मराठाओं की पहली महिला सेनापति बनी थी उमाबाई खंडेराव, पेशवाओं का किया था डंटकर सामना

इतिहास के पन्नों में गुम हो गया नाम उमाबाई खंडेराव दाभाड़े मराठा सेना का नेतृत्व करने वाली पहली मराठा महिला थीं। द बेटर इंडिया के एक लेख के अनुसार, उमाबाई का जन्म नासिक में देवराव ठोके के घर हुआ था। इनकी शादी बहुत की कम उम्र में खंडेराव दाभाड़े के साथ कर दिया गया।
मराठा शब्द सुनकर आपको यह तो पता चल गया होगा कि मराठा योद्धाओं ने भारत को अजाद कराने के लिए अपने प्राणों की आहुति तक दे दी थी। विदेशी ताकतों से लड़ने के लिए भारत के मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज, पेशवा बाजीराव और तानाजी मालुसरे ने अपनी जान पर लड़कर भारत देश पर केसरिया झंडा फहराया। ऐसे तो नजाने कितने ही मराठा योद्धाओं की कहानी आपने सुनी होगी। लेकिन मराठाओं योद्धा की बात की जाती है तो केवल वीर ही क्यों याद आते है, वीरांगनाएं क्यों नहीं? जानकारी के लिए बता दें कि, मराठाओं मे न केवल वीर बल्कि ऐसी कई वीरांगनाएं भी थी जिन्होंने अपनी देशभूमि को बचाने के लिए अपने प्राण त्यागने को लेकर जरा सा भी नहीं सोचा। दुख की बात है कि, ऐसी वीरांगनाओं की कहानी कहीं किसी किताबों में ही रह गई हैं। आज हम आपको एक ऐसी वीरांगना की कहानी बताने वाले है जिन्होंने अपने शोर्य से महिला सेनापति का पहला पद धारण किया। नाम है उमाबाई उमाबाई खंडेराव दाभाड़े।
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इतिहास के पन्नों में गुम हो गया नाम उमाबाई खंडेराव दाभाड़े मराठा सेना का नेतृत्व करने वाली पहली मराठा महिला थीं। द बेटर इंडिया के एक लेख के अनुसार, उमाबाई का जन्म नासिक में देवराव ठोके के घर हुआ था। इनकी शादी बहुत की कम उम्र में खंडेराव दाभाड़े के साथ कर दिया गया। फेमिनिस्म इंडिया के एक लेख के मुताबिक, खंडेराव दाभाड़े छत्रपति साहू के सेनापति थे और उमाबाई उनकी सबसे छोटी पत्नी थीं। हमेशा गलत का अवाज उठाने वाली उमाबाई के तीन बेटी और तीन बेटे थे। उमाबाई के पति का 1729 में देहांत हो गया और खुद अपने हाथों में दाभाड़े वंश की कमान अपने हाथों में लिया और मराठा सेना की पहली महिला सेनापति बनीं। जब पेशवा ने दाभाड़े वंश को टैक्स जमा करने के लिए कहा तो साथ में एक शर्त भी रख दी कि टैक्स की आधी रकम पेशवो को देना होगा। जब टैक्स जबरदस्ती वसूला जाने लगा तो उमाबाई को यह बात बहुत गलत लगने लगी। पहली बार ऐसा हुआ था कि, मरठा वीरंगना पेशवा के सामने ढाल बनकर खड़ी थी। लेकिन पेशवा ने उमाबाई को बंदी बना लिया। उमाबाई दाभाडे ने गुजरात में कई क्षेत्रों को नियंत्रित किया। अपने पति खांडे राव और उनके बेटे त्र्यंबक राव की मृत्यु के बाद, उन्होंने कार्यकारी शक्तियों का प्रयोग किया, पेशवा बालाजी बाजी राव के खिलाफ उनके असफल विद्रोह के परिणामस्वरूप दाभाडे परिवार का पतन 1753 में हुआ।भले ही उमाबाई पेशवा से हार गई थी लेकिन उनका नाम, मराठा औरतों के लिए प्रेरणा बन गया। आपको बता दें कि, उमाबाई खंडेराव दाभाड़े के जीवन पर एक मराठी फ़िल्म, 'भद्रकाली' भी जल्द रिलीज होने वाली है जिसका टीजर 2021 में रिलीज़ किया गया था।
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