Hyderabad Nizam Story: 900 करोड़ के हीरे को बना दिया था पेपरवेट, दान किया 5 टन सोना, अब घर के लोगों को मिलता है 4 रुपये महीना

Hyderabad Nizam
prabhasakshi
अभिनय आकाश । Mar 13 2023 3:53PM

हैदराबाद के निजाम के पास दौलत का भंडार था। कहा जाता है कि निजाम अपने बेशकीमती हीरों को पेपरवेट की तरह इस्तेमाल करते थे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मीर उस्मान अली के पास 230 अरब डॉलर की संपत्ति थी।

कल्पना कीजिए कि आपके परिवार में दुनिया का सबसे अमीर आदमी रहा हो, लेकिन आपको केवल गरीबी का कड़वा घूंट पीकर ही रहना पड़े।हैदराबाद का नाम सुनते ही जेहन में कई चीजें घूमने लगती हैं। हैदराबाद का चार मीनार, हैदराबादी बिरयानी, दम चाय और ओवैसी बंधु भी। लेकिन इन सब के इतर हैदराबाद की एक और अहम पहचान है। मीर उस्मान अली खान यानी हैदराबाद के आखिरी निजाम। हैदराबाद के निजाम की जिंदगी से जुड़ी कई दिलचस्प बातें हैं जिन्हें जानकर आप हैरान रह जाएंगे। 

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हैदराबाद के निजाम के पास दौलत का भंडार था। कहा जाता है कि निजाम अपने बेशकीमती हीरों को पेपरवेट की तरह इस्तेमाल करते थे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मीर उस्मान अली के पास 230 अरब डॉलर की संपत्ति थी। जिसकी वजह से उनका नाम दुनिया के सबसे अमीर लोगों में शुमार हुआ करता था। हैदराबाद के सातवें निजाम मीर उस्मान अली खान के बारे में अफवाह थी कि उन्होंने 185 कैरेट के हीरे- जैकब के हीरे- को पेपरवेट के रूप में इस्तेमाल किया था। 1937 में वह अरबों डॉलर की अनुमानित संपत्ति के साथ दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति होने के लिए टाइम पत्रिका के कवर पर थे।

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 हीरे का बनाया पेपरवेट

मीर उस्मान अली ने 1911 से 1948 तक हैदराबाद पर शासन किया। दौलत के इस अपार भंडार की हिफाजत ठीक से नहीं हो पाती थी। कहा जाता है कि एक बार तहखाने में रखे 9 मिनियन पाउंड के नोट को चूहों ने कुतर कर खराब कर दिया था। इसी तरह उनके खजाने में बहुत सारे जवाहरात थे और उन जवाहरातों के कलेक्शन में शुतुरमुर्ग के अंडे के बराबर 185 कैरेट का हीरा भी था। इस जैकेब हीरे की कीमत 900 करोड़ रुपये हैं और फिलहाल इसका मालिकाना हक भारत के पास है। 

अब घर के लोगों को मिलता है 4 रुपये महीना

हालाँकि, आज, निज़ाम के परिवार की एक पीढ़ी यानी  छठे निज़ाम के वंशज में अमीर उत्तराधिकारी नहीं है। वे हैदराबाद में छोटे-मोटे काम करते हुए रहते हैं और छोटे व्यवसाय चलाते हैं। निज़ाम की प्रसिद्ध दौलत उन्हें एक पुरानी, ​​फीकी तस्वीर की तरह लगती है, जहाँ वे मुश्किल से एक गौरवशाली अतीत की धुंधली आकृति को देख पाते हैं। अंतिम गणना के अनुसार, इस खानदान के करीब 4,500 साहेबज़ादे हैं। सभी 'मजलिस-ए-साहेबजादगान' सोसाइटी के तहत एक छत के नीचे रहते हैं। हालांकि, उनका ये ट्रस्ट लगभग दिवालिया हो चुका है। दुनिया के सबसे अमीर शख्स के इस ट्रस्ट से उनके खानदान के लोगों को अब महीने में 4 रुपये से लेकर 150 रुपये के बीच पैसा मिलता है। 

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