तन, मन और धन के साथ हर किरदार पर काम करते हैं Sanjay Leela Bhansali, जन्मदिन पर जानिए जीवन के किस्से

संजय लीला भंसाली की फिल्मों की खासियत शानदार सेट, शाही किरदार, गानों में गहराई और दमदार कहानी, यहीं खत्म नहीं होती है। एडिटर और असिस्टेंट बनकर अपना करियर शुरू करने वाले भंसाली आज सिनेमा के मंझे हुए निर्देशक हैं। वे हमेशा लीक से हटकर चलने की कोशिश करते हैं
बॉलीवुड में सबसे महँगी फिल्में बनाने वाले डायरेक्टरों की लिस्ट में शुमार संजय लीला भंसाली की फिल्मों की खासियत शानदार सेट, शाही किरदार, गानों में गहराई और दमदार कहानी, यहीं खत्म नहीं होती है। एडिटर और असिस्टेंट बनकर अपना करियर शुरू करने वाले भंसाली आज सिनेमा के मंझे हुए निर्देशक हैं। उन्होंने सिनेमा को हम दिल दे चुके सनम, देवदास, पद्मावत, राम-लीला और ब्लैक जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में बनाकर इतिहास रच दिया। वे हमेशा लीक से हटकर चलने की कोशिश करते हैं और शायद यही वजह है कि संजय लीला भंसाली अक्सर ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित फिल्में बनाते हैं।
मंदी की हालात में काटा जीवन
मुंबई में आज ही दिन यानी 24 फरवरी 1963 को जन्मे भंसाली के पिता नवीन भंसाली भी प्रोड्यूसर हुआ करते थे, जिन्होंने जहाजी लुटेरा (1958) जैसी फिल्मों का निर्माण किया था। भले ही उनके पिता ग्लैमर वर्ल्ड से जुड़े रहे, लेकिन परिवार की हालत मंदी में ही रही। बचपन से ही छोटा और बेरंग मकान देखा, गरीबी में गुजारा किया। संजय लीला भंसाली का बचपन गरीबी में बीता। वह और उनकी बहन अपने माता-पिता के साथ चॉल में रहा करते थे। मां कपड़े सिलकर गुजारा करती थीं।
जब माँ ने उठायी परिवार की जिम्मेदारी
बचपन में भंसाली के घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। भले की उनके पिता एक प्रोड्यूसर थे, लेकिन असफल होने के बाद उन्होंने शराब का सहारा ले लिया। शराब की बुरी लत की वजह से उन्होंने घर की सारी जिम्मेदारियां छोड़ दीं, जिसके बाद उनकी मां लीला ने दिन रात मेहनत कर परिवार का खर्च उठाया। लीला को रंगमंच पर परफॉर्म करके और लोगों के कपड़े सिलकर घर चलाना पड़ता था। इस सबके बीच संजय ने फिल्म इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से पढ़ाई की है। हालांकि, जिस कोर्स में उन्होंने दाखिला लिया था वह उसे पूरा नहीं कर सके थे।
विधु विनोद चोपड़ा ने दिया पहला मौका
बतौर अस्टिस्टेंट डायरेक्टर उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की थी। मशहूर फिल्म निर्माता विधु विनोद चोपड़ा ने उन्हें सबसे पहला मौका दिया था। अनिल कपूर की फिल्म 1942: अ लव स्टोरी के एक गाने को संजय ने निर्देशित किया था, जिसके लिए विधु उन्हें क्रेडिट देना चाहते थे। तब उन्होंने अपने नाम के बीच में लीला जोड़ने को कहा था, इससे वह लोगों को यह बताना चाहते थे कि वह जो भी हैं अपनी मां के संघर्षों की वजह से हैं।
बनाईं बॉलीवुड की यादगार फिल्में
फिल्म बनाने के अपने शानदार करियर में उन्होंने हम दिल दे चुके सनम, देवदास, ब्लैक, गोलियों की रासलीला रामलीला, बाजीराव मस्तानी, पद्मावत जैसी फिल्मों का निर्देशन कर अपने काम का लोहा मनवाया है। वह अलग-अलग श्रेणी में पांच बार राष्ट्रीय पुरस्कार भी हासिल कर चुके हैं। फिल्मी दुनिया में उनके योगदान के लिए भारत सरकार की तरफ से उन्हें पद्मश्री सम्मान से नवाजा भी जा चुका है।
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