आज के ही दिन दिल्ली एक पल में बन गई थी National Capital, विकसित होने में लगे दो दशक
दिल्ली को उसका नाम भी कई कारणों से मिला है। लोगों का कहना है कि दिल्ली शब्द फारसी शब्द देहलीज से आया है। दिल्ली गंगा के तराई इलाकों के लिए देहलीज हुआ करती थी। कई जगहों पर ये भी सूचना मिली है कि 1450 ईसा पूर्व इंद्रप्रस्थ के तौर पर पहली बार पांडवों ने दिल्ली की बसावट की शुरुआत की थी।
भारत की राजधानी क्या है, अगर किसी से ये सवाल किया जाए तो अधिकतर लोगों को जवाब होगा दिल्ली, जो सही भी है। अगर एक और सवाल किया जाए कि दिल्ली को भारत की राजधानी कब घोषित किया गया तो ये जानकारी काफी कम लोगों के पास ही होगी। दिल्ली हमेशा से भारत की राजधानी नहीं थी, बल्कि इससे पहले कोलकाता देश की राजधानी हुआ करती थी।
वहीं भारत की राजधानी दिल्ली 12 दिसंबर 1911 को बनी थी। कोलकाता की जगह दिल्ली को राजधानी बनाने का ऐलान ब्रिटेन के राजा रानी में किया था। उन्होंने दिल्ली दरबार में ऐलान किया था कि दिल्ली को भारत की राजधानी बनाया जाएगा, जो उस समय तक कोलकाता हुआ करती थी।
गौरतलब है कि भारत पर अंग्रेजों की हुकुमत के दौरान वर्ष 1911 तक देश की राजधानी कोलकाता रही थी। इसी बीच शासन को बेहतर तरीके से चलाने के उद्देश्य से ब्रिटेन के राजा ब्रिटेन के किंग जॉर्ज पंचम और रानी ने घोषणा की कि भारत की राजधानी दिल्ली में शिफ्ट की जाएगी, जिससे देश भर में शासन करना अधिक सुगम हो गया था। इस ऐलान के बाद दिल्ली को फिर से शहर के तौर पर निर्माण के दौर से गुजरना पड़ा था। इस दौरान दिल्ली का निर्माण ब्रिटिश आर्किटेक्ट सरह हरबर्ट बेकर और सम एडविन लुटियंस ने मिलकर किया था। दोनों ने मिलकर नए शहर के निर्माण की योजना तैयार की थी। इस योजना को तैयार करने में दो दशक का लंबा समय लगा था। इसके बाद 13 फरवरी 1931 को आधिकारिक तौर पर दिल्ली को भारती की राजधानी बनाया गया था।
ये पहला मौक नहीं था जब दिल्ली में कोई नया काम हो रहा था या दिल्ली को नए सिरे से बसाने की तैयारी हो रही थी। इसे कई बार हुकूमतों ने लूटा था, जिसमें निजामुद्दीन औलिया, बख्तियार काकी की मजार, बंगला साहिब गुरुद्वारा से लेकर अक्षरधाम मंदिर तक का अद्भूत संगम देखने को मिलता है। ये सभी मिलकर दिल्ली की कहानी भी दर्शाते है, जिससे साफ पता चलता है कि दिल्ली सभी को जोड़ती है।
ऐसा रहा है दिल्ली का इतिहास
दिल्ली का इतिहास कई वर्षों पुराना है, इसे इंद्रप्रस्थ के नाम से शुरुआत में जाना जाता था। आज के समय में दिल्ली में इंद्रप्रस्थ के नाम से एक इलाका भी है। इसका सबसे पहला जिक्र महाभारत में हैं जहां दिल्ली को इंद्रप्रस्थ पांडवों ने बसाया था। महाभारत काल की दिल्ली आज के पुराने किले में बसाई गई थी। इसके बाद 11 ईसा पूर्व में दिल्ली का नाम दिल्ली पड़ा था। गौरतलब है कि कई वर्षों के बाद दिल्ली को भारत की राजधानी के तौर पर बनाने जाने का फैसला किया गया था।
बता दें कि दिल्ली को उसका नाम भी कई कारणों से मिला है। लोगों का कहना है कि दिल्ली शब्द फारसी शब्द देहलीज से आया है। दिल्ली गंगा के तराई इलाकों के लिए देहलीज हुआ करती थी। कई जगहों पर ये भी सूचना मिली है कि 1450 ईसा पूर्व इंद्रप्रस्थ के तौर पर पहली बार पांडवों ने दिल्ली की बसावट की शुरुआत की थी। इसके साक्ष्य पूराना किला में मौजूद है। वहीं कहा जाता है कि जिस समय ब्रिटेन के राजा ने ऐलान किया था कि दिल्ली को भारत की राजधानी बनाया जाएगा तब दिल्ली बेहद पिछड़ी हुई थी। राजधानी बनाए जाने के ऐलान के बाद ही यहां विकास संभव हुआ। उस समय दिल्ली की अपेक्षा मुबंई , कोलकाता और मद्रास जैसे शहरों में विकास काफी आगे पहुंच चुका था जबकि दिल्ली पिछड़ी हुई थी। दिल्ली की अपेक्षा लखनऊ और हैदराबाद भी बेहतर शहर माने जाते थे।
ये वो दौर था जब दिल्ली में विदेशी पर्यटकों की संख्या भी बेहद कम हुआ करती थी। हालांकि महज दिल्ली की भौगोलिक दृष्टि को देखते हुए ही दिल्ली को राजधानी बनाए जाने का फैसला किया गया था, जिसके बाद इसे बनाने और बसाने में कुल 20 वर्षों का लंबा समय गुजरा था।
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