रंगबिरंगी होली को मनाने के तरीके भी अलग-अलग राज्यों में गजब के हैं

छत्तीसगढ़ की होरी में लोक गीतों की अद्भुत परंपरा है और मध्य प्रदेश के मालवा अंचल तथा दक्षिण गुजरात के आदिवासी इलाकों में यह पर्व बेहद धूमधाम से मनाया जाता है। बिहार में फगुआ जम कर मौज मस्ती करने का पर्व है।
होली पर्व पर जिस तरह रंगों की विभिन्नता देखने को मिलती है उसी प्रकार इसको मनाये जाने के प्रकार में भी देश के विभिन्न प्रांतों में भिन्नता देखने को मिलती है। इस दिन उत्तराखंड के कुमाउं की गीत बैठकी में शास्त्रीय संगीत की गोष्ठियां आयोजित की जाती हैं तो हरियाणा में भाभी द्वारा देवर को सताए जाने का सब आनंद लेते हैं। महाराष्ट्र में सूखा गुलाल खेलने और गोवा में जलूस निकालने के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है तथा पंजाब में होला मोहल्ला में सिखों की ओर से शक्ति प्रदर्शन किये जाने की परंपरा है।
छत्तीसगढ़ की होरी में लोक गीतों की अद्भुत परंपरा है और मध्य प्रदेश के मालवा अंचल तथा दक्षिण गुजरात के आदिवासी इलाकों में यह पर्व बेहद धूमधाम से मनाया जाता है। बिहार में फगुआ जम कर मौज मस्ती करने का पर्व है। दिल्ली और आसपास के इलाकों में इस दिन डीजे और ढोल की थापों पर लोग नाचते गाते और एक दूसरे को गुजिया खिलाते नजर आते हैं। बंगाल में होली को 'डोल यात्रा' व 'डोल पूर्णिमा' कहते हैं और होली के दिन श्री राधा और कृष्ण की प्रतिमाओं को डोली में बैठाकर पूरे शहर में घुमाया जाता है। बंगाल में होली को 'बसंत पर्व' भी कहते हैं। इसकी शुरुआत रवीन्द्र नाथ टैगोर ने शान्ति निकेतन में की थी। ओडिशा में भी होली को 'डोल पूर्णिमा' कहते हैं और इस दिन भगवान जगन्नाथ जी की डोली निकाली जाती है।
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राजस्थान की तीन तरह की होली
राजस्थान में मुख्यतः तीन प्रकार की होली होती है। माली होली- इसमें माली जात के मर्द, औरतों पर पानी डालते हैं और बदले में औरतें मर्दों की लाठियों से पिटाई करती हैं। इसके अलावा गोदाजी की गैर होली और बीकानेर की डोलची होली भी काफी चर्चित हैं।
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कर्नाटक में यह त्योहार कामना हब्बा के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव ने कामदेव को अपने तीसरे नेत्र से जला दिया था। इस दिन कूड़ा-करकट फटे वस्त्र, एक खुली जगह एकत्रित किए जाते हैं तथा इन्हें अग्नि को समर्पित किया जाता है।
होली का उल्लास और मस्ती ब्रज क्षेत्र में देखते ही बनती है। बरसाने की लठमार होली काफी प्रसिद्ध है। इसमें पुरुष महिलाओं पर रंग डालते हैं और महिलाएं उन्हें लाठियों तथा कपड़े के बनाए गए कोड़ों से मारती हैं। मथुरा और वृंदावन में तो 15 दिनों तक होली का पर्व मनाया जाता है।
-शुभा दुबे
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