Happy Valentines Day: प्रेम के इस त्योहार को मनाते तो सब हैं लेकिन संत वैलेंटाइन के बारे में कितना जानते हैं?

Valentines Day
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राजकुमार जैन । Feb 14 2023 12:00PM

हमारे देश में वैलेंटाइन डे को लेकर दो परस्पर विरोधी विचारधाराएँ काम करती है, एक वो जो इस प्रेमदिवस को मनाने के समर्थन में है और दूसरी तरफ वो लोग है जो पाश्चात्य संस्कृति के नाम पर इसका विरोध करते है उनका मानना है कि ये हमारी संस्कृति नही है इसलिए ये पर्व सार्वजनिक स्थलों पर नही मनाया चाहिए।

एक पुरानी कथा है कि रोमन राज्य का अति महत्वाकांक्षी सम्राट क्लाउडियस गोथिकस द्वितीय एक शक्तिशाली साम्राज्य का अधिपती था और उसे अपना साम्राज्य फैलाने के लिए बड़ी संख्या में सैनिको की जरूरत थी लेकिन उसे अपनी आवश्यकता अनुसार युवा सैनिक नही मिल पा रहे थे, जांच करने पर पता चला कि वो लोग जिनके परिवार है, जिनकी पत्नी और बच्चे हैं, या जो प्यार मे पड़े होकर शादी करना चाहते है वह युवा पुरुष सेना मे भर्ती नही होना चाहते हैं, यह जानकर क्लॉडियस ने शादियों पर प्रतिबंध लगा दिया क्योंकि उसकी सोच थी कि प्रेम-संबंध या विवाह से पुरुषो की बुद्धि और शक्ति दोनो खत्म हो जाती है और सैनिक अपने लक्ष्य से विमुख होकर युद्ध हार जाते हैं। क्रिश्चियन सभ्यता में विवाह को एक पवित्र कर्म माना जाता है और शादिया चर्च में संत (पादरी) करवाते है, क्लॉडियस के राज्य में “संत वैलेंटाइन” नाम के एक संत थे जिनको राजा का यह बेतुका फरमान कतई पसंद नहीं आया, दरअसल सैंट-वैलेंटाइन संसार में प्यार को बढ़ावा देने के समर्थक थे, उनका मानना था कि इंसान ईश्वर की मर्जी से प्रेम में पड़ता है और उनकी शादी करवाना एक संत का ईश्वरीय कर्तव्य है तो उन्होने राजाज्ञा के विरुद्ध गुप्त रूप से शादिया करवाना जारी रखा, लेकिन यह बात अधिक समय तक छुपी ना रह सकी और जैसे ही सम्राट तक यह खबर पहुंची उसने संत वैलेंटाइन को कैद कर लिया और सजा-ए-मौत का ऐलान कर दिया, 14 फरवरी 269 ईस्वी को सेंट-वैलेंटाइन को फांसी पर चढ़ा दिया गया। खुशी और प्यार के नाम अपना जीवन समर्पित कर देने के लिए सेंट वैलेंटाइन को याद किया जाने लगा और उनके निर्वाण दिवस 14 फरवरी को प्यार दिवस या वैलेंटाइन डे के नाम से समारोह पूर्वक मनाया जाने लगा । 

हमारे देश में वैलेंटाइन डे को लेकर दो परस्पर विरोधी विचारधाराएँ काम करती है, एक वो जो इस प्रेमदिवस को मनाने के समर्थन में है और दूसरी तरफ वो लोग है जो पाश्चात्य संस्कृति के नाम पर इसका विरोध करते है उनका मानना है कि ये हमारी संस्कृति नही है इसलिए ये पर्व सार्वजनिक स्थलों पर नही मनाया चाहिए, दिलचस्प बात यह है कि दोनों ही यह मानते है कि प्रेम या प्यार एक निजी मामला है लेकिन एक का कहना है कि इसमें दूसरों को दखल नही देना चाहिए और विरोधियो का कहना है कि इस निजी व्यवहार को प्रदर्शन की बात नही बनाना चाहिए, दोनों के अपने अपने तर्क है और अपने अपने नजरिए से दोनों सही प्रतीत होते है, सरकार इस दिवस को ना तो आधिकारिक रूप से प्रतिबंधित नही करती है और ना ही विरोध करने वालो के विरुद्ध कोई कड़ी कार्यवाही करती है यानि सरकार ने इसे लोगो के स्व-विवेक पर छोड़ दिया है, कुछ लोग यह आरोप भी लगाते है कि सरकार ने बाजार की ताकतों के आगे समर्पण कर दिया है।

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अगर संत वैलेंटाइन आज जीवित होते, तो वह आज के जमाने के विवाहित जोड़ों के आपसी व्यवहार को देखकर कहते कि मेरे बच्चों जीवन में एक समय ऐसा भी आता है, जब आपको लगता है कि विवाह संबंध में अपनी प्रतिबद्धता और अपनी प्रतिज्ञाओं को बनाए रखना आसान नहीं रहता और आपको यह जानकार आश्चर्य होता है कि किसी के लिए आपके मन में जो असीमित प्यार था वह कुछ कम हो रहा है लेकिन शायद वो प्यार अब अधिक परिपक्व हो रहा है, असल सवाल यह है कि क्या आप इसे महसूस करने और इसके साथ जुड़ी जिम्मेदारिया निभाने के लिए तैयार है?

यूं तो प्यार का इजहार कभी भी किया जा सकता है लेकिन प्यार के इस महान त्योहार वैलेंटाइन डे के दिन अपने प्यार का इजहार करने का एक अलग ही महत्व है, इस दिन लगभग पूरे संसार में प्यार करने वाले अपनत्व से भरे उपहार और प्रेम पत्र देकर वैलेंटाइन डे मनाते हैं। यूं तो वैलेंटाइन डे तो केवल एक प्रतीकात्मक दिन है जिसे प्यार के लिए जाना जाता है लेकिन असल में प्यार करने वालों को ना किसी विशेष दिन की आवश्यकता है ना किसी विशेष अवसर की और ना ही किसी विशेष जगह की क्योंकि प्यार एक ऐसा शब्द है जो हर किसी को कभी ना कभी किसी ना किसी से होता है। हमें अपने प्रियजनो के लिए समय निकालना चाहिए क्योंकि इस समय चक्र में जो पल बीत जाते है वो कभी लौट कर वापस नहीं आते, एक खुशहाल जीवन जीने के लिए इन पलों को आपको अपने परिवार, दोस्तो, और परिजनो के साथ हंसी खुशी गुजारना चाहिए इसी में इस दिवस की सार्थकता है।

राजकुमार जैन 

स्वतंत्र विचारक 

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