चले आइए पहाड़ियों पर बसे भोपाल में, तहज़ीब भरे इस शहर में बहुत कुछ है

bhopal-city-best-tourist-places
प्रीटी । Dec 16 2019 2:19PM

भोपाल का पुराना विधानसभा भवन वास्तुकला का एक शानदार नमूना है। यह भवन ब्रिटिश वास्तुविदों ने बनाया था। राजभवन भी इसी काल की रचना है। भोपाल पहाड़ियों पर बसाया गया शहर है। पहाड़ियों पर ही मध्य प्रदेश सचिवालय का बल्लभ भवन और दो अन्य भवन सतपुड़ा व विंध्याचल, आधुनिक वास्तुकला के भव्य नमूने हैं।

खुले वन्य परिक्षेत्र में घूमते सफेद शेर और मुगल काल की पुरानी तहजीबों से रूबरू होने का नाम है भोपाल। भोपाल एक शांत, ऐतिहासिक व सहज शहर है, जहां खूबसूरत झीलों का नजारा है। शहर का अधिकांश क्षेत्र हरीभरी पहाड़ियों से घिरा है। पूरे देश से कहीं से भी सरलता से यहां पहुंचा जा सकता है। दिल्ली, कोलकाता, मुंबई व चेन्नई से सीधी रेल यात्रा की सुविधा भोपाल तक आने के लिए है।

भोजपाल नाम से बना भोपाल

राजा भोज के बसाए इस खूबसूरत शहर का नाम पहले भोजपाल था। फिर अपभ्रंश में इसे भोपाल कहा जाने लगा। भोजपुर का विश्व प्रसिद्ध शिव मंदिर व एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद ताजउल मस्जिद भोपाल में ही है। भोपाल की पुरानी गलियों में घूमते सूरमा भोपाली चूना चाटते हुए, आपसे आज भी टकरा जाएंगे। परदे लगे तांगों में बुरका पहने हुए महिलाएं आज भी पुराने भोपाल में नजर आती हैं। आदिम युगीन भीम बैठकों की गुफाएं और विश्व प्रसिद्ध सांची के स्तूप भोपाल के नजदीक ही हैं। 

इसे भी पढ़ें: माचिस की जलती तिल्ली से असंख्य अक्षों का जादुई सम्मोहन लिए है शीशमहल

आज भी आप भोपाल की तीन खासियतों− जरदा, परदा व गरदा, को भी वैसा ही पाएंगे। पर्यटकों के लिए एक खास तोहफे के रूप में मौजूद है, शान−ए−भोपाल 'मेरीन ड्राइव'। लाल घाटी से कमला पार्क तक का तालाब के किनारे−किनारे खूबसूरत रास्ता, जहां तीन किलोमीटर तक बड़ी झील के किनारे पैदल चलने व ड्राइविंग का आनंद लेने रोज शाम हजारों लोग इकट्ठा होते हैं। शाम होते ही भोपाल के इस मेरीन ड्राइव पर तालाब में झिलमिलाती हजारों विद्युत लड़ियों का अपना अलग ही आनंद है।


ऐतिहासिक स्थल

ताजउल मस्जिद देखने योग्य है। यह मस्जिद एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद मानी जाती है। इसके पास ही दिसंबर माह में विश्व मुस्लिम शांति सम्मेलन 'इस्तिमा' का मेला लगता है जिसमें दुनिया भर के मुसलमान शरीक होते हैं। इस विशाल मस्जिद के निर्माण की शुरुआत शाहजहां बेगम ने 1868 में की थी। निर्माण कार्य उसकी मृत्यु के बाद संपन्न हुआ। भोपाल की जामा मस्जिद भी आप देखने जा सकते हैं। स्वर्ण शिखर से मंडित भोपाल के चौक में स्थित यह आकर्षक मस्जिद कुदेसिया बेगम द्वारा निर्मित है। इसके बारे में कहा जाता है कि यहां पहले परमार वंशीय राजा उपादित्य द्वारा 1059 में निर्मित सभा मंडप था। जामा मस्जिद से कुछ ही दूरी पर है मोती मस्जिद। मोती मस्जिद दिल्ली की जामा मस्जिद की शैली पर बनी मुगलकाल की भव्य इमारत है।

भोपाल का पुराना विधानसभा भवन वास्तुकला का एक शानदार नमूना है। यह भवन ब्रिटिश वास्तुविदों ने बनाया था। राजभवन भी इसी काल की रचना है। भोपाल पहाड़ियों पर बसाया गया शहर है। पहाड़ियों पर ही मध्य प्रदेश सचिवालय का बल्लभ भवन और दो अन्य भवन सतपुड़ा व विंध्याचल, आधुनिक वास्तुकला के भव्य नमूने हैं।

इसे भी पढ़ें: दुनिया की सबसे बड़ी तोप जयबाण देख कर आप रह जाएंगे दंग

अब आप भारत भवन देखने जा सकते हैं। प्रसिद्ध वास्तुविद चार्ल्स कूरियर द्वारा इस सांस्कृतिक परिसर का निर्माण किया गया है। इसे देश का सांस्कृतिक तीर्थ भी कहा जा सकता है। आदिवासी संस्कृति व रंगकर्म के शानदार वैभव का अद्भुत संग्रह भारत भवन भोपाल की सुंदर झील के किनारे बना है। इसी प्रकार आदिवासी कला केंद्र खुले मैदान में खुले आकाश के नीचे आदिवासियों की झोपड़ियों व उनके रहन−सहन का नमूना प्रस्तुत करता है।


यह भी देखें

अन्य दर्शनीय स्थलों की बात करें तो उनमें शासकीय पुरातत्व संग्रहालय, गांधी भवन, वन बिहार, चौक आदि स्थलों का नाम लिया जा सकता है। भोपाल से थोड़ी ही दूरी पर इस्लाम नगर है जहां अफगान शासक दोस्त मुहम्मद खान के बनाए सुंदर महल व बगीचे हैं, यहां पर अकसर फिल्मों की शूटिंग होती रहती है।

भोपाल से लगभग पैंतीस किलोमीटर दूर भीम बैठका की आदिमयुग की गुफाएं भी हैं। इन गुफाओं में आदिकालीन मानव द्वारा पत्थरों पर उकेरी गई चित्रकारी का बड़ा संग्रह है। हालांकि भीम बैठका की गुफाओं के संदर्भ में यह भी कहा जाता है कि महाभारत काल में भीम ने इन गुफाओं में निवास किया था। 

प्रीटी

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़