बैडमिंटन खेल क्या है? जानें इसका इतिहास और नियम, ओलंपिक 2024 में भारत को मेडल की आस

बैडमिंटन ने म्यूनिख में हुए 1972 के ओलंपिक गेम्स में एक प्रदर्शन खेल के रूप में अपनी शुरुआत की। लेकिन बार्सिलोना में हुए 1992 गेम्स तक ये खेल आधिकारिक तौर पर पुरुषों और महिलाओं के एकल और युगल स्पर्धाओं के साथ ओलंपिक कार्यक्रम का हिस्सा नहीं था।
दो खिलाड़ियों या युगल टीमों द्वारा कोर्ट पर खेला जाने वाला एक रैकेट-एंड-शटल खेल वास्तव में बैडमिंटन कहलाता है। इस खेल का नाम इंग्लिश काउंटी ग्लॉस्टरशायर में ड्यूक ऑफ ब्यूफोर्ट के घर बैडमिंटन हाउस से लिया गया है।
बैडमिंटन का इतिहास
साल 1873 में, भारत के पूना शहर से इस खेल को अपने देश वापस ले जाने और अपने मेहमानों के सामने पेश करने का पूरा श्रेय ड्यूक को दिया जाता है। साल 1877 में नवगठित बाथ बैडमिंटन क्लब ने इस खेल के लिखित नियमों के पहले सेट को तैयार किया। इसके बाद इंग्लैंड का बैडमिंटन फेडरेशन 16 साल बाद बनाया गया और साल 1899 में इसने पहली ऑल इंडिया चैंपियनशिप का आयोजन किया।
बैडमिंटन के नियम
समय के साथ बैडमिंटन नियमों में कई बार बदलाव हुआ है। लेकिन इसका उद्देश्य प्रतिद्वंद्वी के कोर्ट के आधे हिस्से में शटल को पहुंचाना है और इसके साथ ये भी जरूरी है कि विरोधी खिलाड़ी इसे सफलतापूर्व वापस कोर्ट में न भेज दे। वर्तमान में बैडमिंटन मैच बेस्ट ऑफ थ्री गेम के लिए खेले जाते हैं। इसमें जो खिलाड़ी पहले गेम में 21 अंक हासिल करता है वह गेम जीत जाता है।
हर एक खिलाड़ी या युगल टीम को हर गेम को दो स्पष्ट अंकों से जीतना चाहिए। सिवाय इसके कि अगर गेम में दोनों खिलाड़ियों के अंक 29 हैं, तो गेम में अगला अंक जो भी खिलाड़ी हासिल करता है वह गेम जीत जाता है। इसे डेथ प्वाइंट कहते हैं।
बैडमिंटन और ओलंपिक
बैडमिंटन ने म्यूनिख में हुए 1972 के ओलंपिक गेम्स में एक प्रदर्शन खेल के रूप में अपनी शुरुआत की। लेकिन बार्सिलोना में हुए 1992 गेम्स तक ये खेल आधिकारिक तौर पर पुरुषों और महिलाओं के एकल और युगल स्पर्धाओं के साथ ओलंपिक कार्यक्रम का हिस्सा नहीं था। इस खेल का डेब्यू 1992 ओलंपिक गेम्स में हुआ। वहीं, मिश्रित युगल स्पर्धा की शुरुआत साल 1996 में अटलांटा ओलंपिक गेम्स में हुई। तब से, इवेंट की संख्या अपरिवर्तित बनी हुई है।
2024 ओलंपिक में भारत को मेडल की आस
2024 पेरिस ओलंपिक में भारत की तरफ से बैडमिंटन में एक नहीं बल्कि कई खिलाड़ियों से मेडल की उम्मीद है। जहां एक तरफ मेडल की बड़ी दावेदार पीवी सिंधु हैं तो दूसरी तरफ सात्विक-चिराग युगल जोड़ी से भी भारत को मेडल की आस है।
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