अपने शहर में भारतीय टीम में वापसी सोने पे सुहागा: बीरेंद्र लाकड़ा
ओडिशा के अमित रोहिदास भी टीम में लौटे हैं जबकि जूनियर विश्व कप स्टार दिप्सन टिर्की भी टीम में हैं जो उन्हीं के राज्य से हैं।
नयी दिल्ली। करीब एक साल बाद भारतीय हाकी टीम में लौटे अनुभवी डिफेंडर बीरेंद्र लाकड़ा की वापसी की खुशी दुगुनी हो गई है क्योंकि अपने शहर भुवनेश्वर में हाकी विश्व लीग फाइनल के जरिये उन्हें दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीमों के खिलाफ देश के लिये फिर खेलने का मौका मिला है। एक से 10 दिसंबर तक भुवनेश्वर में हो रहे हाकी विश्व लीग फाइनल के लिये चुनी गई 18 सदस्यीय भारतीय टीम में लाकड़ा ने वापसी की है। ओडिशा के अमित रोहिदास भी टीम में लौटे हैं जबकि जूनियर विश्व कप स्टार दिप्सन टिर्की भी टीम में हैं जो उन्हीं के राज्य से हैं।
लाकड़ा ने टीम में चयन के बाद बेंगलुरू से भाषा से बातचीत में कहा,‘‘ टीम में वापसी करके बहुत अच्छा लग रहा है। मेरे लिये तो यह दुगुनी खुशी की बात है कि अपने शहर में वापसी का टूर्नामेंट खेलूंगा। इससे और बेहतर प्रदर्शन की प्रेरणा मिलेगी। इस टूर्नामेंट में दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीमें खेल रही है और हमें अच्छे प्रदर्शन का यकीन हैं।’’ घुटने की चोट के कारण रियो ओलंपिक नहीं खेल सके लाकड़ा ने आखिरी बार दिसंबर में आस्ट्रेलिया में चार देशों के टूर्नामेंट में भारत के लिये खेला था। उन्हें शिविर के दौरान फिर चोट लगी थी जिससे उन्हें पूरी फिटनेस हासिल करने के लिये बाहर रखा गया था।
उन्होंने कहा,‘‘ मैने टीम सत्रों में भी ध्यान रखा कि घुटने पर ज्यादा जोर नहीं पड़े। शिविर के दौरान सेना की टीम के खिलाफ अभ्यास मैचों में भाग लिया। वहीं घर आने पर भुवनेश्वर में होस्टल में लगातार अभ्यास किया। मानसिक दृढता के लिये मनोवैज्ञानिक की सलाह भी ली। इसके अलावा कोचों, साथी खिलाड़ियों और परिजनों ने काफी हौसलाअफजाई की।’’ चोट के बाद टीम में वापसी की राह आसान नहीं होती और खासकर तब जबकि जूनियर खिलाड़ी बेहतरीन प्रदर्शन करके सीनियर स्तर पर पदार्पण की दहलीज पर खड़े हों। लाकड़ा के लिये भी चुनौती कठिन थी लेकिन जर्मन हाकी स्टार मौरित्ज फुएर्त्से से उन्होंने प्रेरणा ली।
उन्होंने बताया ,‘‘ मौरित्ज के कैरियर में भी फिटनेस समस्या आई थी जिससे उबरकर उसने शीर्ष स्तर पर वापसी की। उसने मुझे प्रेरित किया कि वापसी की राह मुश्किल नहीं है अगर खिलाड़ी कमर कस ले। उनके अलावा मेरे आदर्श और भारत के महान डिफेंडर दिलीप टिर्की ने भी समय समय पर मार्गदर्शन दिया।
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