जीत के साथ ‘मिशन लॉस एंजिलिस 2028’ का आगाज किया भारतीय महिला हॉकी टीम ने

Indian women hockey
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ANI

भारत की युवा और पहले से फिट महिला हॉकी टीम ने एशियाई चैम्पियंस ट्रॉफी खिताब बरकरार रखकर ‘मिशन 2028 लॉस एंजिलिस’ अभियान का आगाज किया। भारत की पुरूष जूनियर टीम को लखनऊ में 2016 में विश्व कप जिता चुके अनुभवी कोच हरेंद्र सिंह और इस टीम के लिये यह नयी शुरूआत है।

राजगीर (बिहार) । पेरिस ओलंपिक के लिये क्वालीफाई नहीं कर पाने के गम को भुलाते हुए भारत की युवा और पहले से फिट महिला हॉकी टीम ने एशियाई चैम्पियंस ट्रॉफी खिताब बरकरार रखकर ‘मिशन 2028 लॉस एंजिलिस’ अभियान का आगाज किया। भारत की पुरूष जूनियर टीम को लखनऊ में 2016 में विश्व कप जिता चुके अनुभवी कोच हरेंद्र सिंह और इस टीम के लिये यह नयी शुरूआत है। अप्रैल में टीम के साथ फिर जुड़ने के बाद से हरेंद्र का एक ही लक्ष्य है ...लॉस एंजिलिस ओलंपिक 2028 के लिये क्वालीफाई करना। उनका मानना था कि एशियाई चैम्पियंस ट्रॉफी जीतकर विश्व कप 2026 और ओलंपिक 2028 की तैयारियों की सही शुरूआत की जा सकती है।

चीन पर फाइनल में 1 . 0 से मिली जीत के बाद कप्तान सलीमा टेटे ने कहा ,‘‘ मुझे पूरा विश्वास है कि इस जीत से अधिक से अधिक लड़कियों को हॉकी खेलने की प्रेरणा मिलेगी। मुझे खुशी है कि हम अपने देश को और प्रशंसकों को इस जीत का तोहफा दे सके।’’ हरेंद्र का फोकस भारतीय टीम की फिटनेस का स्तर सुधारने पर रहा है और इस टूर्नामेंट में उसकी बानगी भी देखने को मिली कि खिलाड़ियों ने वाकई इस पर काफी मेहनत की है। सलीमा ने कहा ,‘‘ हम इस जीत का जश्न मना रहे हैं लेकिन हमारे लक्ष्य दीर्घकालिन है। हमें रोज कड़ी मेहनत करनी है और हर टूर्नामेंट में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना है। हम भारत का परचम हर टूर्नामेंट में लहराना चाहते हैं।’’

भारतीय टीम ने टूर्नामेंट में सभी सात मैच जीते। सबसे अच्छी बात दोनों फ्लैंक से आपसी तालमेल रही है। रक्षापंक्ति ने शानदार प्रदर्शन करते हुए सिर्फ दो गोल गंवाये जबकि भारत ने टूर्नामेंट में 29 गोल किये जिसमें से 15 फील्ड गोल थे। इस टूर्नामेंट से कई सितारों का जन्म हुआ जिनमें 20 वर्ष की युवा स्ट्राइकर दीपिका शामिल है। दीपिका ने 11 गोल किये जिसमें चार फील्ड गोल थे। संगीता कुमारी ने चार, प्रीति दुबे, नवनीत कौर और लालरेम्सियामी ने तीन तीन गोल दागे। सत्रह वर्ष की सुनेलिता टोप्पो ने शानदार ड्रिबलिंग और फ्लैंक से दौड़ते हुए विरोधी डिफेंस को तहस नहस कर डाला।

उदिता, सुशीला चानू , ज्योति और नेहा गोयल ने दमदार प्रदर्शन किया। गोलकीपर सविता पूनिया और बिछू देवी खारीबम को ज्यादा मेहनत करनी ही नहीं पड़ी। लेकिन टीम के प्रदर्शन की एक कमजोर कड़ी पेनल्टी कॉर्नर रही। भारत को हर मैच में बेशुमार पेनल्टी कॉर्नर मिले लेकिन तब्दीली की दर बहुत कम रही। जापान के खिलाफ सेमीफाइनल में 16 पेनल्टी कॉर्नर बेकार गए लिहाजा इस पर मेहनत करनी होगी। भारतीय महिला हॉकी के नये युग का सूत्रपात 12 से 26 जनवरी तक रांची में होने वाली चार टीमों की पहली महिला हॉकी लीग के जरिये होने वाला है। उससे ठीक पहले इस खिताबी जीत से देश में खेल को अच्छा प्रचार मिला है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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