देश की पहली ओलम्पिक विजेता महिला बॉक्सर ने कई बार भारत को किया गौरवान्वित, मैरी कॉम ने ऐसे शुरू किया था अपना करियर

भारत के मणिपुर में जन्मी मैरी कॉम ने न सिर्फ अपनी प्रतिभा और हुनर के दम पर अपने देश का नाम रोशन किया। इस दौरान उन्होंने अपने शानदार प्रदर्शन से कई मेडल जीते। लेकिन मैरी कॉम का यह सफर इतना भी आसान नहीं था। मैरी कई बार वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप का खिताब जीत चुकी हैं।
भारत की ऐसी महिला खिलाड़ी जिसने अपने शानदार प्रदर्शन से कई बार देश का नाम रोशन किया। उनके जीवन पर फिल्म भी बनाई जा चुकी है। उनका नाम है मैरी कॉम। बता दें कि शायद ही ऐसी कोई उपलब्धि हो जिसे मैरी कॉम हासिल करने से चुकी हो। यह भारत की अकेली महिला बॉक्सर हैं। मैरी को आज पूरी दुनिया जानती है। लेकिन इनका यह सफर इतना भी आसान नहीं था। अपनी जिंदगी में मैरी कॉम ने बहुत से उतार चढ़ाव देखे। लेकिन हालात कितने भी विपरीत क्यों न हों मैरी कॉम ने कभी हार नहीं मानी और पूरी दुनिया में अपना लोहा मनवाया। आज ही के दिन यानि की 1 मार्च को इनका जन्म हुआ था। आइए जानते हैं मैरी कॉम के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातें।
जन्म और शिक्षा
मैरी कॉम का जन्म 1 मार्च 1983 में मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में एक गरीब किसान के परिवार में हुआ था। यह चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी थीं। यह छोटी उम्र से ही अपने माता-पिता का हाथ बंटाने के अलावा अपने भाई-बहनों का ध्यान रखती थीं। घर की माली हालत खराब होने का प्रभाव मैरी कॉम ने अपनी शिक्षा पर नहीं पड़ने दिया। मैरी ने अपनी पढ़ाई इम्फाल के एनआईओएस से पूरी की और इसके बाद वह इम्फाल के चुराचांदपुर कॉलेज से ग्रेजुएशन कंप्लीट किया।
करियर
मैरी ने बॉक्सिंग की शुरूआत महज 18 साल की उम्र से शुरू कर दी थी। बॉक्सिंग को करियर बनाने के लिए इन्होंने कड़ी मेहनत की। मैरी को बचपन से ही खेल-कूद का काफी शौक रहा। लेकिन वह कभी भी बॉक्सिंग में हिस्सा नहीं लेती थीं। साल 1998 में मणिपुर के बॉक्सर डिंग्को सिंह ने एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था। उनकी इस जीत को पूरे मणिपुर ने मनाया था। डिंगको को बॉक्सिंग करते देख मैरी उनसे इतना प्रभावित हुईं कि उन्होंने बॉक्सिंग में अपना करियर बनाने की ठान ली। लेकिन इसके लिए मैरी को अपने परिवार वालों को मनाना एक बड़ी चुनौती थी।
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बॉक्सिंग ट्रेनिंग
मैरी ने भी ठान लिया था कि वह भी एक दिन अपने लक्ष्य को जरूर हासिल करेंगी। इसलिए उन्होंने अपने माता पिता को बिना बताए ट्रेनिंग शुरू कर दी। एक दिन खुमान लम्पक स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स में मैरी ने लड़कियों को लड़कों से बॉक्सिंग करते देखा। तब उनका यह सपना और ज्यादा परिपक्व हो गया। बॉक्सिंग की ट्रेनिंग लेने के लिए मैरी इम्फाल गईं और मणिपुर के कोच एम नरजीत सिंह से ट्रेनिंग लेना शुरु कर दिया। वह अपने लक्ष्य को लेकर इतनी पक्की थीं कि जब रात को सब चले जाते थे तो भी मैरी प्रैक्टिस करती रहती थीं।
वीमेन बॉक्सिंग चैम्पियनशिप
मैरी ने साल 1998 से लेकर 2000 तक अपने परिवार वालों से छिपाकर बॉक्सिंग की ट्रेनिंग लेती रहीं। जब साल 2000 में मणिपुर से वीमेन बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में जीत हासिल की और उन्हें बॉक्सर का अवॉर्ड मिला। इस जीत के बाद हर अखबार में उनकी यह जीत छिपी। तब जाकर उनके परिवार को मैरी के बॉक्सर होने का पता चला। इसके बाद मैरी के परिवार वालों ने इस जीत को सेलिब्रेट किया। परिवार का सहयोग मिलने के बाद मैरी और उत्साह से अपने करियर पर ध्यान देने लगी। फिर पश्चिम बंगाल में आयोजित ‘वीमेन बॉक्सिंग चैम्पियनशीप’ में गोल्ड मैडल जीतकर उन्होंने अपने राज्य का नाम रोशन हुआ। मैरीकॉम ने साल 2001 में इंटरनेशनल लेवल पर अपने करियर की शुरूआत की। इसके बाद मैरी कॉम ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
प्रमुख उपलब्धियां
1. 2001 में एआईबीए वर्ल्ड वुमन्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक
2. 2002 में एआईबीए वर्ल्ड वुमन्स सीनियर बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक
3. 2003 में एशियन वुमन्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक
4. 2004 में ताईवान में आयोजित एशियन वुमन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक
5. 2005 में एआईबीए वुमन्स वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक
6. 2006 में एआईबीए वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक
7. 2008 में चीन में आयोजित वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक
8. 2010 में एआईबीए वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक
9. 2010 एशियाई खेलों में कांस्य पदक
10. 2012 लंदन ओलम्पिक में कांस्य पदक
11. 2014 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक
मैरी कॉम पर फिल्म और किताब
बता दें कि मैरी कॉम के प्रेरणादायक जीवन पर साल 2013 में Unbreakable किताब प्रकाशित की गई। इसके अलावा उनके जीवन पर मैरी कॉम फिल्म बनाई गई थी। इस फिल्म में अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने उनके किरदार को जीवंत कर दिया।
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