पार्टी या गांधी परिवार में से एक को चुनेंगे तभी कांग्रेस को खड़ा कर पाएंगे नेता

sonia priyanka rahul
ANI
अंकित सिंह । Sep 5 2022 4:12PM

दिल्ली में उपराज्यपाल और आम आदमी पार्टी के बीच हुई तकरार देखने को मिली। इस पर भी हमने चर्चा की। नीरज दुबे ने कहा कि 2014 के बाद से दिल्ली के जितने भी उपराज्यपाल रहे हैं, उनसे केजरीवाल सरकार की बनी नहीं है। सभी के साथ केजरीवाल सरकार से खराब रिश्ते रहे

प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इस सप्ताह भी हमने कई मुद्दों पर चर्चा की। हमने जिन पहलुओं को छुआ उसमें दिल्ली का दंगल और कांग्रेस की वर्तमान स्थिति शामिल है। इस कार्यक्रम में हमेशा की तरह मौजूद रहे। प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे जी सबसे पहले हमने कांग्रेस की स्थिति पर बात की थी। नीरज दुबे ने साफ तौर पर कहा कि कांग्रेस में घमासान अभी भी कम नहीं है। हालांकि उन्होंने इस बात को भी स्वीकार किया कि कांग्रेस ने भारत को मजबूत करने में योगदान निभाया है। लेकिन आज कांग्रेस के भीतर आंतरिक लोकतंत्र नहीं बचा है। यह बात हम नहीं बल्कि कांग्रेस के ही अंदर के लोग उजागर कर रहे हैं। नीरज दुबे के मुताबिक कांग्रेस के शशि थरूर, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी जैसे नेता लगातार इस बात की मांग कर रहे हैं कि आप उन डेलिगेट्स के नाम उजागर करिए जो चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा लेंगे। ऐसे में सवाल यह है डेलिगेट्स के नाम की घोषणा में कांग्रेस को दिक्कत क्या है? इसके साथ ही नीरज दुबे ने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या डेलिगेट्स में उन्हीं लोगों के नाम को शामिल किया गया है जो गांधी परिवार के वफादार है। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि गुलाम नबी आजाद के बातों में दम नजर आता है। गुलाम नबी आजाद के दावा किया था कि यह वही लोग हैं जो फर्जी डेलिगेट्स बनाए हैं।

नीरज दुबे ने कहा कि कांग्रेस अपने अध्यक्ष का चुनाव लगभग ढाई सालों के बाद कराने जा रही है। पिछले ढाई सालों में कई राज्यों के चुनाव हुए। कई बड़े-बड़े काम हुए। लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव कोरोना महामारी के बहाने टाला गया। नीरज दुबे ने कहा कि चुनाव पारदर्शी तरीके से नहीं हो रहा है। पहले तो चुनाव को बार-बार टाला गया। सीडब्ल्यूसी के सदस्य को भी मनोनीत किया जाता है। निर्वाचित नहीं किया जाता है। लेकिन कांग्रेस के बड़े नेताओं की ही तो मांग है कि सीडब्ल्यूसी के सदस्यों को निर्वाचन के जरिए ही शामिल किया जाए। इसके साथ ही नीरज दुबे ने कहा कि चुनाव के लिए मधुसूदन मिस्त्री को अध्यक्ष बनाया गया है। वह साफ कहते हैं कि सभी के लिए मंच खुला हुआ है। कोई भी आकर नामांकन कर सकता है। हम उस व्यक्ति को मतदाता सूची देंगे। वहीं दूसरी ओर पार्टी के कई नेता यह लगातार दावा करते हैं कि राहुल गांधी जी अध्यक्ष होंगे और हम उन्हें को बनाएंगे।

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इसी बात पर नीरज दुबे ने कहा कि फिर आप क्यों अध्यक्ष का चुनाव करा रहे हैं। जब आपका मन है कि राहुल गांधी ही अध्यक्ष बने तो फिर उनको मनोनीत ही कर दीजिए। एक तरफ कहा जा रहा है कि कोई भी अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए नामांकन कर सकता है। दूसरी ओर कहा जा रहा है कि राहुल गांधी अध्यक्ष ही होंगे। हालांकि जब हमने कहा कि शशि थरूर की अध्यक्ष पद में उम्मीदवार बनने को लेकर इच्छा जता चुके हैं। फिर कांग्रेस की ओर से यह क्यों कहा जा रहा है कि उन्हें मनाने की कोशिश की जाएगी? इस पर नीरज दुबे ने कहा कि गांधी परिवार का इतिहास रहा है कि जब भी गांधी परिवार के सदस्य कांग्रेस के अध्यक्ष बने हैं तो वे निर्विरोध बने। ऐसे में अगर कोई दूसरा चुनाव में खड़ा होता है तो कहीं ना कहीं निर्विरोध वाला सवाल रह नहीं जाएगा। हां, यह बात जरूर है कि सोनिया गांधी को चुनौती दी गई थी। लेकिन वह सिर्फ आभासी चुनौती थी। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस के नेताओं को यह भी सोचना होगा कि हम पार्टी के लिए काम कर रहे हैं या किसी परिवार के लिए काम कर रहे हैं। नीरज दुबे का यह बयान  भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा दिए गए बयान के संदर्भ में ही आया है।

चर्चा के दौरान ही नीरज दुबे ने कहा कि कांग्रेस को भारत जोड़ो यात्रा से पहले पार्टी जोड़ो यात्रा करनी चाहिए। पार्टी को लोगों के समक्ष एकजुटता दिखानी चाहिए। लोगों में इस बात का संदेश जा रहा है कि कांग्रेस के भीतर ही उठापटक है। दूसरों को सलाह देने से पहले आप खुद पर अमल कर लीजिए। इसके साथ ही नीरज दुबे ने कहा कि कांग्रेस के साथ फिलहाल ऐसे संकट है जिसे वह या तो समझ नहीं पा रहे हैं या उनके आसपास जो समझाने वाले लोग हैं वह ठीक से बता नहीं पा रहे। गुलाम नबी आजाद के बयान का हवाला देते हुए कहा कि राजनीति में जो भी व्यक्ति है, उसे खुद ही निर्णय लेना होता है। अगर उसके बदले कोई और निर्णय लेता है तो कहीं ना कहीं सही नहीं है।

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दिल्ली में उपराज्यपाल और आम आदमी पार्टी के बीच हुई तकरार देखने को मिली। इस पर भी हमने चर्चा की। नीरज दुबे ने कहा कि 2014 के बाद से दिल्ली के जितने भी उपराज्यपाल रहे हैं, उनसे केजरीवाल सरकार की बनी नहीं है। सभी के साथ केजरीवाल सरकार से खराब रिश्ते रहे हैं। सभी पर केजरीवाल की ओर से आरोप लगाए गए हैं। नीरज दुबे ने कहा कि चाहे साहिब सिंह वर्मा हो या फिर शिला दिक्षित हो, इस दौरान भी मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल अलग-अलग पार्टियों से रहें। बावजूद इसके दोनों के बीच रिश्ते सामान्य रहे थे। लेकिन अब ऐसा दिख नहीं रहा है। इसके लिए नीरज दुबे ने कई उदाहरण भी दिए। उन्होंने कहा कि आज भले ही दिल्ली सरकार अधिकारों की लड़ाई लड़ रही है। लेकिन इन्हीं अधिकारों के आधार पर शीला दीक्षित ने दिल्ली का विकास किया। उन्होंने दिल्ली का कायाकल्प कर दिया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि दिल्ली में फिलहाल ऐसा देखने को मिल रहा है कि अधिकारों की लड़ाई के नाम पर राजनीतिक लड़ाई लड़ी जा रही है।

- अंकित सिंह

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