भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल, जहाँ बिना ड्राइवर चलती है मेट्रो ट्रेन

Driverless Metro

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि शहरीकरण को चुनौती के रूप में देखने के बजाय इसे बेहतर बुनियादी ढांचे के निर्माण के अवसर के रूप में उपयोग किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जहाँ वर्ष 2014 में सिर्फ पाँच शहरों में मेट्रो रेल थी, वहीं आज 18 शहरों में मेट्रो ट्रेन उपलब्ध है।

भारत भी अब उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया है, जहाँ बिना ड्राइवर मेट्रो ट्रेन संचालित होती है। देश को बिना ड्राइवर चलने वाली मेट्रो ट्रेन की सौगात दिल्ली मेट्रो ने दी है। दिल्ली मेट्रो की मैजेंटा लाइन पर भारत की पहली ड्राइवर रहित मेट्रो ट्रेन का परिचालन सोमवार को शुरू हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये ड्राइवर रहित इस मेट्रो ट्रेन का उद्घाटन किया है।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि शहरीकरण को चुनौती के रूप में देखने के बजाय इसे बेहतर बुनियादी ढांचे के निर्माण के अवसर के रूप में उपयोग किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जहाँ वर्ष 2014 में सिर्फ पाँच शहरों में मेट्रो रेल थी, वहीं आज 18 शहरों में मेट्रो ट्रेन उपलब्ध है। वर्ष 2025 तक 25 से अधिक शहरों में मेट्रो ट्रेन का विस्तार करने की योजना है। वर्ष 2014 में देश में केवल 248 किलोमीटर लंबी मेट्रो लाइनें थीं। लेकिन, आज 700 किलोमीटर से अधिक मेट्रो लाइनें परिचालित हो रही हैं।  इस प्रकार इसमें तीन गुना बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2025 तक, मेट्रो ट्रेन लाइनों का विस्तार 1700 किलोमीटर तक करने का प्रयास किया जा रहा है।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि बिना ड्राइवर के मेट्रो रेल परिचालन की उपलब्धि से हमारा देश दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जहाँ इस प्रकार की सुविधाएँ उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि इस मेट्रो रेल में ऐसी ब्रेकिंग प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है, जिसमें ब्रेक लगाने पर 50 प्रतिशत ऊर्जा वापस ग्रिड में चली जाती है। आज दिल्‍ली मेट्रो में 130 मेगावाट सौर ऊर्जा का उपयोग किया जा रहा है, जिसे बढ़ाकर 600 मेगावाट कर दिया जाएगा। 

बिना ड्राइवर मेट्रो ट्रेन का परिचालन शुरू होने के साथ-साथ नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड की भी दिल्ली मेट्रो की एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन में शुरुआत की गई है। यह कार्ड पिछले साल अहमदाबाद में शुरू किया गया था। नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड सेवा शुरू होने के बाद यात्रियों को स्मार्ट कार्ड या टोकन लेने की जरूरत नहीं होगी, बल्कि वो रूपे डेबिट कार्ड से ही सफर कर सकेंगे। यात्री जैसे ही कार्ड पंच करेंगे, उनके बैंक खाते से पैसे कट जाएंगे। इसके जरिये मेट्रो ट्रेन सहित एयरपोर्ट या बसों के किराये का भुगतान किया जा सकेगा। इसका उपयोग टोल या पार्किंग शुल्क जमा करने और शॉपिंग के लिए भी कर सकते हैं। सरकार की योजना 'वन नेशन, वन कार्ड' की व्यवस्था को पूरे देश में लागू करने की है, जिससे अलग-अलग स्मार्ट कार्ड लेकर चलने से छुटकारा मिल सकता है। कॉमन मोबिलिटी कार्ड के बारे में जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आधुनिकीकरण के लिए समान मानक और सुविधाएं उपलब्‍ध कराना महत्‍वपूर्ण है। राष्ट्रीय स्तर पर कॉमन मोबिलिटी कार्ड इस दिशा में एक प्रमुख कदम है।

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इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने विभिन्‍न प्रकार की मेट्रो रेल परियोजनाओं का उल्लेख किया, जिसमें दिल्ली और मेरठ के बीच रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस), कम यात्रियों की संख्या वाले शहरों के लिए मेट्रोलाइट रेल एवं मेट्रोनिओ सेवा शामिल है। इसके अलावा, वाटर मेट्रो का निर्माण बड़े जल-निकाय वाले शहरों या फिर द्वीपों के पास रहने वाले लोगों को अंतिम छोर तक कनेक्टेविटी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज मेट्रो केवल सार्वजनिक परिवहन का एक माध्यम मात्र ही नहीं है, बल्कि प्रदूषण को कम करने का एक बेहतर तरीका भी है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मेट्रो सेवाओं के विस्तार के लिए ‘मेक इन इंडिया’ महत्वपूर्ण है। ‘मेक इन इंडिया’ से लागत कम होती है, जिससे विदेशी मुद्रा की बचत होती है और देश में लोगों को अधिक रोजगार उपलब्‍ध होते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि रोलिंग स्टॉक के मानकीकरण ने अब हर कोच की लागत 12 करोड़ से घटाकर 8 करोड़ कर दी है। आज, चार बड़ी कंपनियां देश में मेट्रो कोच का विनिर्माण कर रही हैं और दर्जनों कंपनियां मेट्रो के घटकों के विनिर्माण में लगी हुई हैं। इससे ‘मेक इन इंडिया’ के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत के अभियान में भी मदद मिल रही है। 

(इंडिया साइंस वायर) 

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