कैंसर थैरेपी में उपयोगी हो सकता है बालों का कचरा
मेलेनिन और केराटिन मनुष्य के बालों में भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं और दुनियाभर में हर दिन करीब तीन लाख टन मनुष्य के बालों का कचरा पैदा होता है। बाल जैविक रूप से अपघटित तो हो सकते हैं, पर अपशिष्टों के प्रवाह तंत्र में इनकी मौजूदगी पर्यावरणीय समस्याओं को जन्म दे सकती है।
नई दिल्ली। (इंडिया साइंस वायर): कैंसर थैरेपी में मेलेनिन और कॉस्मेटिक उद्योग में केराटिन का उपयोग बड़े पैमाने पर होता है। भारतीय वैज्ञानिकों ने अब एक ऐसी पद्धति विकसित की है, जो बालों के कचरे से मेलेनिन और केराटिन को अलग करने और उससे जैविक फर्टीलाइजर प्राप्त करने में उपयोगी हो सकती है।
मेलेनिन और केराटिन मनुष्य के बालों में भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं और दुनियाभर में हर दिन करीब तीन लाख टन मनुष्य के बालों का कचरा पैदा होता है। बाल जैविक रूप से अपघटित तो हो सकते हैं, पर अपशिष्टों के प्रवाह तंत्र में इनकी मौजूदगी पर्यावरणीय समस्याओं को जन्म दे सकती है।
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मेलानिन एक प्राकृतिक रंगद्रव्य (पिगमेंट) है, जो अधिकतर जीवों में पाया जाता है। जबकि, केराटिन एक रेशेदार संरचनात्मक प्रोटीन के परिवार का हिस्सा है, जिसे स्क्लेरोप्रोटीन के रूप में जाना जाता है। एक किलोग्राम केराटिन का बाजार मूल्य 15 हजार से 20 हजार रुपये है। वहीं, मेलेनिन सोने से भी महंगा है और इसका मूल्य करीब पांच हजार रुपये प्रति ग्राम तक है। इस लिहाज से देखें तो इन दोनों तत्वों का महत्व काफी अधिक है।
केराटिन और मेलेनिन को अलग करने के लिए हाइड्रेटेड आयनिक घोल का उपयोग किया गया है। इस घोल में बाल अपघटित होकर घुल जाते हैं। गुजरात के भावनगर में स्थित केंद्रीय नमक व समुद्री रसायन अनुसंधान संस्थान (सीएसएमसीआरआई) के शोधकर्ता डॉ कमलेश प्रसाद ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि “आमतौर पर उपयोग होने वाले लवण (सॉल्ट) कमरे के तापमान पर ठोस होता है, लेकिन इस घोल में विशिष्ट लवण का उपयोग किया गया है, जो सामान्य कमरे के तापमान पर तरल अवस्था में होता है।”
मानव बालों के नमूने को सबसे पहले एक खास सॉल्यूशन की मदद से साफ किया गया है। इसके बाद हाइड्रेटेड आयनिक तरल में डालकर नौ घंटे तक इसे हिलाया गया, ताकि बाल उसमें पूरी तरह घुल जाएं। ऐसा करने पर एक काले रंग का घोल बन जाता है। इस घोल में हाइड्रोक्लोरिक एसिड मिलाया गया, तो ब्लैक मेलेनिन तलछट के रूप में बच जाता है। मेलेनिन निकालने के बाद, बचे हुए सॉल्यूशन में एसीटोन मिलाया गया, जिससे केराटिन प्राप्त किया गया है।
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डॉ. प्रसाद ने बताया कि “मनुष्य के बालों के करीब 25 प्रतिशत कचरे को घोलने में हाइड्रेटेड आयनिक घोल को प्रभावी पाया गया है। इस पद्धति से 10 से 22 प्रतिशत मेलेनिन और 36 से 38 प्रतिशत तक केराटिन अलग करने में सफलता मिली है। इन तत्वों को अलग करने के बाद बचे अपशिष्ट को समुद्री शैवाल के साथ बराबर अनुपात में मिलाकर फर्टीलाइजर के रूप में उपयोग किया जा सकता है। एक किलोग्राम मनुष्य के बालों से 200 ग्राम मेलेनिन, 360 ग्राम केराटिन और 300 मिलीलीटर आयनिक तरल मिल सकता है।”
डॉ. प्रसाद का कहना है कि “इस अध्ययन में फिलहाल मेलेनिन का अपरिष्कृत रूप प्राप्त किया गया है। अगर परिष्कृत करके इसे सल्फर रहित कर दिया जाए तो इसका मूल्य और भी बढ़ सकता है।”
(इंडिया साइंस वायर)
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