Ranaghat इलाके में बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे लोग, पूछ रहे कब ममता दीदी को हम पर आएगा तरस?

ranaghat loksabha seat election
Prabhasakshi

हम आपको बता दें कि रानाघाट फूलों की खेती के लिए विश्व विख्यात है। रानाघाट में बड़ी संख्या में बांग्लादेश से आए हिंदू शरणार्थी बसे हुए हैं। बताया जाता है कि इन शरणार्थियों में मतुआ समुदाय के लोगों की संख्या सर्वाधिक है।

पश्चिम बंगाल का रानाघाट संसदीय क्षेत्र बांग्लादेश की सीमा से सटा हुआ है। इस क्षेत्र में टीएमसी और कांग्रेस के बीच मुकाबला होता रहा है मगर पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान चली मोदी लहर के चलते जगन्नाथ सरकार ने यह सीट भाजपा की झोली में डाल दी थी। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के दौरान भी जगन्नाथ सरकार यहां से विधानसभा चुनाव जीत गए थे मगर बाद में उन्होंने संसदीय सीट बरकरार रखते हुए विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इस बार भाजपा ने उन्हें फिर से अपना उम्मीदवार बनाया है।

प्रभासाक्षी की चुनाव यात्रा जब रानाघाट पहुंची तो हमने सांसद जगन्नाथ सरकार से बात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में पिछले पांच साल में मैंने विकास के जितने काम कराए हैं उतने पहले कभी नहीं हुए थे। उन्होंने कहा कि मैं मोदी सरकार की तो कई योजनाएं अपने क्षेत्र में ले आया लेकिन जहां राज्य सरकार की मदद की जरूरत पड़ी वहां काम में देरी हुई या फिर वह लटक गया। उन्होंने उम्मीद जताई कि जनता उन्हें एक और मौका देगी ताकि वह सबकी सेवा कर सकें।

इसे भी पढ़ें: Mumbai की छह लोकसभा सीटों पर क्या सत्तारुढ़ Shivsena-BJP-NCP के लिए इस बार फँस गया है मामला?

हम आपको बता दें कि रानाघाट फूलों की खेती के लिए विश्व विख्यात है। रानाघाट में बड़ी संख्या में बांग्लादेश से आए हिंदू शरणार्थी बसे हुए हैं। बताया जाता है कि इन शरणार्थियों में मतुआ समुदाय के लोगों की संख्या सर्वाधिक है। हम आपको बता दें कि रानाघाट में कई ऐतिहासिक स्थल हैं जिनका यदि जीर्णोद्धार हो जाए तो इस इलाके में पर्यटन की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। इस इलाके से कई बड़े नाम निकले हैं जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में नाम कमाया है, इनमें फिल्म अभिनेत्री राखी गुलज़ार और खिलाड़ी सोमा बिस्वास का नाम प्रमुख है।

हम आपको बता दें कि अपने शासन के दौरान कृष्णा पंती और उनके वंशज पाल-चौधरी ने यहां कई मंदिरों का निर्माण करवाया था। नादिया जिले में पड़ने वाले इस इलाके में कई महलनुमा इमारतें, मंदिर और उद्यान देखने को मिलते हैं। यह सभी वास्तुकला के बेहतर उदाहरण हैं।

2009 में अस्तित्व में आई रानाघाट संसदीय सीट पर पहले टीएमसी का कब्जा था, लेकिन साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के जगन्नाथ सरकार को यहां से बड़ी जीत मिली थी। जगन्नाथ सरकार भी मतुआ समुदाय से आते हैं। 

रानाघाट में ग्रामीण मतदाताओं की संख्या कुल आबादी की लगभग 59% है, जबकि शहरी मतदाता 41 फीसदी बताए जाते हैं। इस क्षेत्र की कुल जनसंख्या में अनुसूचित जाति की आबादी 35.98 और अनुसूचित जनजाति की आबादी 3.57 फीसदी बताई जाती है। इस संसदीय क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या 1833975 है।

हम आपको बता दें कि रानाघाट लोकसभा सीट के अंतर्गत सात विधानसभा सीटे आती हैं। इनके नाम हैं चकदाह, रानाघाट दक्षिण (एससी), रानाघाट उत्तर पूर्व (एससी), रानाघाट उत्तर पश्चिम, शांतिपुर, कृष्णगंज (एससी) एवं कृष्णानगर दक्षिण। इन विधानसभा सीटों में से एक पर तृणमूल कांग्रेस और छह पर भाजपा का कब्जा है।

अपनी चुनाव यात्रा के दौरान जब हमने स्थानीय लोगों से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि यहां किसी तरह की सुविधा नहीं है। लोगों ने कहा कि ना पीने के लिए साफ पानी है और ना ही शौचालय की सुविधा है। लोगों ने कहा कि स्कूल और चिकित्सा केंद्र भी दूर हैं जिससे तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लोगों ने बताया कि हमें ममता बनर्जी सरकार की किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़