वैश्विक जगत भारत के साथ वहीं भारत के विरोधी दल देश के गुनाहगारों के साथ

उत्तर प्रदेश में समाजवादी मुखिया अखिलेश यादव को राज्य में मुस्लिम तुष्टिकरण और पीडीए राजनीति की चिंता है और यही कारण है कि वे कहते हैं कानपुर के शहीद शुभम द्विवेदी के परिवार से उनका कोई संबंध नहीं है और उनके घर जाने का उनके पास समय नहीं हैं।
कश्मीर घाटी के पहलगाम हमले में 26 निहत्थे निर्दोष पर्यटकों की धर्म पूछकर और कलमा न पढ़ पाने पर की गई नृशंस हत्याओं के बाद, देश में आतंकवाद के खिलाफ भीषण आक्रोश है। देश का जन जन पाकिस्तान से बदला लेने के लिए तड़प रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले बिहार की मधुबनी रैली में और फिर “मन की बात“ रेडियो कार्यक्रम में देश को विश्वास दिलाया है कि पीड़ितों को न्याय मिलकर रहेगा तथा पाकिस्तान को ऐसा दंड दिया जाएगा जिसकी उसने कल्पना भी नहीं की होगी। आतंकवादी घटनाओं के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि देश के गृहमंत्री तुरंत अपने सभी कार्यक्रम रद्द करके घटनास्थल पहुंचे और पीड़ितों के साथ खड़े रहे। इस घटना के बाद से भारत के आतंकवाद से निपटने के निर्णय को विश्व के सभी प्रमुख देशों ने अपना पूरा समर्थन दिया है। लगभग पूरा वैश्विक समुदाय संकट की इस घड़ी में भारत के साथ खड़ा हुआ दिखाई दे रहा है।
भारत के विरोधी दलों की स्थिति इसके पूर्णतया विपरीत है। भारत सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में तो विपक्ष ने सरकार का साथ देते हुए पहलगाम हमले की निंदा की तथा सरकार के निर्णयों का पूर्ण समर्थन देने की बात की किन्तु कुछ ही घंटों में इनके तेवर बदल गए और ये वापस अपनी तुष्टीकरण की राजनीति में लग गए। स्वाभाविक रूप से इनके पाकिस्तान परस्त एजेंडा का नेतृत्व कांग्रेस पार्टी कर रही है जिसने अपनी सोशल मीडिया टीम के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विरुद्ध अत्यंत निंदनीय कैम्पेन आरम्भ किया है। कांग्रेस पार्टी द्वारा जारी एक ताजा मीम में प्रधानमंत्री का शीर्ष रहित स्केच दिखाया गया है। कांग्रेस सहित विपक्ष के सभी नेता और प्रवक्ता टीवी चैनलों तथा सार्वजनिक मंचों पर जिस प्रकार की बयानबाजी कर रहे हैं उससे स्पष्ट है इनको देश से कोई मतलब नहीं है बस अपने वोट बैंक को खुश करना है भले ही देश की सुरक्षा को दांव पर क्यों न लगाना पड़े।
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आज कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राजद और आम आदमी पार्टी के प्रवक्ताओं की बयानबाजी कर रहे हैं इन नेताओं के गिरे हुए स्तर का प्रमाण है। पाकिस्तानी माडिया व यूटूबूर्स विरोधी दलों के इन्हीं नेताओं के बयानों को आधार मानकर भारत के खिलाफ प्रोपोगैंडा चला रहा है। सबसे पहले गांधी परिवार के दामाद रॉबर्ट वार्ड्रा जिस पर आर्थिक भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है उसने आपत्तिजनक बयान दिया फिर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया जो मुस्लिम तुष्टीकरण और जातिवाद की राजनीति में गले तक फंसे हैं ने कहा कि इस समय पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध छेड़ने की कोई आवश्यकता नही है।
कर्नाटक सरकार के ही एक मंत्री ने कहा कि आतंकियो ने धर्म पूछ कर हत्याएं नहीं की हैं। महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता और विधायक विजय वडेटटीवार ने पीड़ितों की गवाही पर ही प्रश्न खडे़ कर दिए। उनका कहना है कि क्या आतंकवादियों के पास लोगों को गोली मारने से पहले उनका धर्म पूछने का समय होता है। उनसे पहले बिलकुल यही टिप्पणी कर्नाटक के मंत्री आरबी थिम्मापुर ने की थी। जब जनता में इन विधायकों के खिलाफ आक्रोष बढ़ा तब ये अपने बयान से पलट गए। उधर कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज अनगर्ल बयानबाजी कर चुके हैं। कांग्रेस का पूरा आईटी सेल अपनी गालीबाज प्रवक्ता के नेतृत्व में अनर्गल प्रलाप कर रहा है।
उत्तर प्रदेश में समाजवादी मुखिया अखिलेश यादव को राज्य में मुस्लिम तुष्टिकरण और पीडीए राजनीति की चिंता है और यही कारण है कि वे कहते हैं कानपुर के शहीद शुभम द्विवेदी के परिवार से उनका कोई संबंध नहीं है और उनके घर जाने का उनके पास समय नहीं हैं। वहीं सरकार को घेरने के लिए वो बलिदानियों को 10-10 करोड़ का मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं और भाजपा सरकार पर हमलावर हैं। स्मरणीय है कि ये यह वही अखिलेश यादव हैं जो माफिया मुख्तार और अतीक अहमद के घर जाकर मर्सिया पढ़ते हैं। यह वही अखिलेश यादव हैं जिन्होंने 2012 से 2017 के मध्य संविधान को दरकिनार रखते हुए आतंकवादियां की रिहाई का हरसंभव प्रयास किया था।
यही नहीं भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने पहलगाम की दुखद घटना की निंदा तो नहीं की लेकिन जब भारत सरकार ने सिंधु नदी जल समझौता स्थगित किया तब उसके पेट में दर्द होने लगा । ज्ञातव्य है कि पाकिस्तानी नागरिकों को सीमा पर छोड़ने वाली एक गाड़ी पर इनकी यूनियन का नाम लिखा था। टिकैत ने यहां तक कह दिया कि पहलगाम के आतंकी सीमा पार नहीं सब यहीं पर छुपे हुए हैं। स्पष्ट है टिकैत पाकिस्तानी मीडिया का नायक बनना चाहता है, लेकिन क्यों?
पाकिस्तान टीवी पर भारत के विरोधी दलों के नेताओं के बयान चल रहे हैं। पाकिस्तान के बड़े एक्स अकाउंट इनको कोट रहे हैं। आज देश कांग्रेस से सवाल पूछ रहा है कि उनके और पाकिस्तानी मंत्रियों के बयानों में इतनी समानता क्यों हैं? अचानक सिद्धारमैया सहित कांग्रेस व विरोधी दलों के नेता पाकिस्तानी मीडिया के प्रिय बन गये हैं। ये लोग जो अभी सर्वदलीय बैठक में सरकार के साथ होने का मुखौटा लगे थे इनका मुखौटा देश के जनमानस के समक्ष उतर चुका है।
संभवत: यह लोग अपनी तुष्टीकरण की राजनीति की समाप्ति की आशंका से भयभीत हो गये हैं अगर युद्ध के बाद पाकिस्तान चार टुकड़ों में विभाजित हो गया और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार आतंकवाद का सफाया करने में सफल हो गई तब इन दलों की राजनीति का क्या होगा ? यही कारण है कि यह सभी दल पाकिस्तान व आतंकियों के लिए लगातार कवर फायर कर रहे हैं। मुस्लिम तुष्टिकरण में अंधे इन दलों के नेताओं को यह नहीं पता कि जनता उनकी प्रत्येक गतिविधि को देख रही है।
अपने नेताओं की बयानबाजी से चौतरफा घिरी कांग्रेस पार्टी ने जब तक अपने नेताओं को अनर्गल बयानबाजी से बचने का निर्देश दिया तब तक बहुत देर चुकी थी लेकिन फिर भी उसके नेताओं ने अपनी पार्टी का निर्देश लेने से इंकार दिया। अब भी कांग्रेस पार्टी और इनके पेड हैंडल्स के सोशल मीडिया एकाउंटस को देखा जाये तो वो आपत्तिजनक शब्दावली से भरे पड़े हैं।
पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाने और आतंकवाद पर अंतिम प्रहार करने से पूर्व देश के अंदर छिपे हुए गद्दारों का बेनकाब होना अनिवार्य है फिर वह चाहे राजनैतिक दल हों, नेता हों या किसी अनाम गोपनीय संगठन का कोई भी सदस्य या यूटूबर्स आदि। पहलगाम में हुए आतंकी हमलों पर देश विरोधी टिप्पणी करने के आरोप में पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में अब तक 25 लोगों को हिरासत में लिया गया हैं। उत्तर प्रदेश में लोक गायिका नेहा सिंह पर एफआईआर दर्ज की गई है। गिरफ्तार किये लोगों में विधायक, पत्रकार, छात्र, एक वकील, एक महिला और सेवा निवृत्त शिक्षक शामिल हैं यह सभी लोग इंटरनेट मीडिया पर लगातार आपत्तिजनक पोस्ट कर रहे थे। भारत के हर राज्य और हर कोने में अभी भी हजारों की संख्या में देशविरोधी अराजक तत्व मौजूद हैं जिन पर भी निर्णायक कार्यवाही का यही समय है।
- मृत्युंजय दीक्षित
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