यूपी में सपा और कांग्रेस की लड़ाई इंडिया गठबंधन की असलियत को उजागर कर रही है
कांग्रेस नेता उत्तर प्रदेश में लोकसभा की सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा करते आए हैं। वहीं सपा कांग्रेस के पाले में 15 से 20 सीट ही जाने देना चाहती है। दोनों ही दलों के नेता सीटों के बंटवारे को लेकर एक-दूसरे पर दबाव भी बनाते नजर आए हैं।
हिंदी शासित राज्यों- मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर सपा-कांग्रेस के बीच रार उनके नेताओं में दूरियां भी बढ़ा रही हैं। जिसके चलते विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए में दरार बढ़ रही है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय के विवादित बयान इस मनमुटाव में आग में घी डालने का काम कर रहे हैं। वह लगातार अखिलेश यादव को नसीहत दे रहे हैं, जो सपा नेताओं को राज नहीं आ रहा है। इसी क्रम में अब उन्होंने मध्य प्रदेश में सीटों के बंटवारे पर सपा नेताओं का फिर बड़ा दिल दिखाने का सुझाव दिया है।
अजय राय का कहना है कि उत्तर प्रदेश से बाहर सपा को मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में अपना आधार भी देखना चाहिए। मध्य प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनाव में सपा को केवल एक सीट मिली थी। इससे पार्टी को अपनी जमीनी स्थिति को भी समझना चाहिए। अजय राय ने कहा कि उत्तराखंड की बागेश्वर सीट पर हुए विधानसभा के उपचुनाव में भी सपा ने अपना प्रत्याशी उतारा था, जिसका नुकसान कांग्रेस प्रत्याशी को उठाना पड़ा था। इसके बाद भी कांग्रेस ने बड़ा दिल दिखाया था। प्रदेश में घोसी सीट पर विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने बढ़कर सपा प्रत्याशी को समर्थन दिया था और कांग्रेस नेताओं ने घोसी जाकर प्रचार किया था। पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में सपा को सभी जगह पहले अपना आधार देखना चाहिए। हालांकि आने वाले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में सीटों के बंटवारे पर राय ने प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन हकीकत यह भी है कि उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में सपा व कांग्रेस के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर भी खींचतान के संकेत मिलते रहे हैं।
कांग्रेस नेता सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा करते आए हैं। वहीं सपा कांग्रेस के पाले में 15 से 20 सीट ही जाने देना चाहती है। दोनों ही दलों के नेता सीटों के बंटवारे को लेकर एक-दूसरे पर दबाव भी बनाते नजर आए हैं। इसी कड़ी में संसद में भाजपा सांसद द्वारा बसपा सांसद दानिश अली पर की गई गंभीर टिप्पणी के बाद पहले राहुल गांधी और फिर अजय राय ने दिल्ली में दानिश अली से मुलाकात की थी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सक्रिय मुस्लिम नेता व पूर्व विधायक इमरान मसूद को भी कांग्रेस ने घर वापसी कराई। इसके बाद राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के कद्दावर नेता रहे नवाब कोकब हमीद के बेटे नवाब अहमद हमीद और सपा नेता व पूर्व मंत्री ओमवीर तोमर भी कांग्रेस में शामिल हुए। कांग्रेस मुस्लिम नेताओं में अपनी पैठ बढ़ाकर सपा पर दबाव बनाती दिख रही है। ऐसे में उत्तर प्रदेश में आने वाले दिनों में दोनों दलों के नेताओं के बीच खींचतान बढ़ने की संभावनाएं भी तेज होती जा रही हैं।
उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की जिद के कारण 'खतरे का निशान' पार करता दिख रहा है। जो पार्टी जहां मजबूत है वह वहां दूसरे को नीचा दिखाने लगी है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस गठबंधन सहयोगी समाजवादी पार्टी को भाव नहीं दे रही है तो उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी अपने नेतृत्व में चुनाव लड़े जाने की बात कर रही है। दोनों के बीच सीटों के बंटवारे पर बार-बार मनमुटाव उजागर हो रहा है। यूपी में कांग्रेस करीब दो दर्जन सीटों पर अपनी दावेदारी ठोक रही है तो वहीं समाजवादी पार्टी का कहना है कि वह दावेदारी ना ठोके यह बताए कि कितने सीटों पर चुनाव जीत सकते हैं।
पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में जिस तरह की खटास सपा और कांग्रेस के बीच देखी जा रही है उसका असर अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में भी पड़ना तय नजर आ रहा है क्योंकि यूपी में समाजवादी पार्टी अपने को 'अपर हैंड' मानती है और कांग्रेस को चार-पांच सीटों से ज्यादा देने को तैयार नहीं है। यह बात कांग्रेस को काफी खल रही है, जिस तरह से उत्तर प्रदेश कांग्रेस का नेतृत्व समाजवादी पार्टी के खिलाफ बयान बाजी कर रहा है उससे भी दोनों दलों के बीच की दूरियां बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों पर इंडिया गठबंधन का खेल खराब हो सकता है जिसका पूरा फायदा भारतीय जनता पार्टी उठाने की कोशिश करेगी।
-अजय कुमार
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