उत्तर प्रदेश के विधानसभा उपचुनावों में रंग ला सकती है भाजपा की मेहनत

UP assembly by elections
Prabhasakshi
संजय सक्सेना । Sep 10 2024 4:55PM

मिल्कीपुर और कटेहरी सीट पर टिकट के लिए मारामारी के पीछे की वजह यह बताई जा रही है कि इन दोनों सीटों पर चुनावी प्रबंधन की कमान स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संभाली है, इसलिए दावेदार अपनी जीत सुनिश्चित मान रहे हैं।

उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है। सीएम योगी आदित्यनाथ और उनके दिग्गज मंत्री सभी दसों सीटों पर चुनाव प्रचार की कमान संभाले हुए हैं। बीजेपी की मेहनत कितना रंग लायेगी यह तो भविष्य के गर्भ में छिपा है, परंतु बीजेपी की कार्यकर्ता काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं। यही वजह है पार्टी के भीतर टिकट को लेकर दावेदारों की फौज खड़ी हो गई है।बीजेपी प्रत्याशियों की विपक्ष से लड़ाई तो बाद में होगी, इससे पहले टिकट को लेकर ही पार्टी के भीतर ही जंग शुरू हो गई है। टिकट को लेकर छिड़ी जंग का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि दावेदार आपस में ही एक दूसरे की पोल खोल रहे हैं। अम्बेडकर नगर की कटेहरी सीट पर टिकट को लेकर स्थानीय भाजपा इकाई दो फाड़ हो चुकी है। दोनों खेमा एक दूसरे के खिलाफ शिकायतों का पिटारा भाजपा नेतृत्व के पास भेज रहा है। प्रदेश संगठन ने पिछले दिनों शिकायतकर्ताओं को प्रदेश मुख्यालय में बुलाकर उन्हें समझाया भी था। वहीं, अंबेडकर के दौरे पर गए संगठन के पदाधिकारियों ने भी उन्हें शांत रहने की नसीहत दी थी। इसके बावजूद उनके बीच रार जारी है।

सूत्रों की मानें तो पार्टी से बाहर के कुछ कद्दावर हस्तियां भी टिकट की उम्मीद लगाये बैठी हैं। कटेहरी, गाजियाबाद, फूलपुर और मझवां सीट पर कुछ बाहरी लोगों को टिकट दिलाने को लेकर भाजपा के दो बड़े नेता भी लखनऊ से दिल्ली तक लाबिंग कर रहे हैं। मीरापुर सीट पर पूर्व सांसद मलूक नागर और पूर्व विधायक राजपाल सैनी भी अपने-अपने बेटे के लिए टिकट मांग रहे हैं। मौजूदा सांसद चंदन चौहान भी अपनी पत्नी के लिए जोर लगाए हैं।

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उधर, सहयोगी दल भी सीट के बंटवारे को लेकर भाजपा के सामने अड़ंगा लगा रहे हैं। इसलिए भी बीजेपी के भीतर टिकट वितरण का मामला नहीं सुलझ पा रहा है। सरकार में कैबिनेट मंत्री और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद कटेहरी और मझवां सीट मांग रहे हैं तो रालोद भी मीरापुर के साथ ही खैर सीट पर दावेदारी जता रहा है। इसे लेकर भी भाजपा असमंजस में है। वैसे तो सभी सीटों पर दावेदारी के लिए रस्साकशी हो रही है, लेकिन भाजपा नेताओं के बीच असली जंग कटेहरी और मिल्कीपुर सीट के टिकट को लेकर है। इन दोनों सीटों पर अपने शागिर्दों व चहेतों को टिकट दिलाने के लिए कई मंत्री और संगठन के बड़े पदाधिकारी भी एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। इससे शीर्ष नेतृत्व को टिकट तय करने में दिक्कत है रही है।

मिल्कीपुर और कटेहरी सीट पर टिकट के लिए मारामारी के पीछे की वजह यह बताई जा रही है कि इन दोनों सीटों पर चुनावी प्रबंधन की कमान स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संभाली है, इसलिए दावेदार अपनी जीत सुनिश्चित मान रहे हैं। जिस तरह से सीएम ने दोनों सीटों पर फोकस किया है उससे यहां माहौल काफी बदला है। इससे भाजपा व सहयोगी दलों के दावेदारों की उम्मीदे बढ़ और गई हैं। सूत्रों की माने तो मिल्कीपुर में एक पूर्व सांसद अपने एक करीबी को चुनाव लड़ाना चाहते हैं तो कटेहरी सीट के प्रभारी बनाए गए एक मंत्री भी अपने चहेते को टिकट दिलाने के लिए पूरी ताकत लगाए हैं। संगठन के कई पदाधिकारी भी टिकट की लाइन में हैं। कटेहरी में निषाद पार्टी की दावेदारी के अलावा भाजपा की ओर से भी आधे दर्जन नेताओं में भी टिकट की होड़ है।

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