Vikram Sarabhai Birth Anniversary: विक्रम साराभाई ने देश के स्पेश मिशन में दिया था क्रांतिकारी योगदान
गुजरात के अहमदाबाद में एक प्रतिष्ठित उद्योगपति परिवार में 12 अगस्त 1919 को विक्रम अंबालाल साराभाई का जन्म हुआ था। शुरूआती शिक्षा प्राप्त करने के बाद विक्रम साराभाई ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के सेंट जॉन्स कॉलेज उच्च शिक्षा प्राप्त की।
आज ही के दिन यानी की 12 अगस्त को देश के स्पेश मिशन में क्रांतिकारी योगदान देने वाले विक्रम साराभाई का जन्म हुआ था। उनको इंडियन स्पेस प्रोग्राम का जनक कहा जाता है। उन्होंने न सिर्फ स्पेश मिशन बल्कि अन्य क्षेत्रों में अहम योगदान दिया है। इस बात की जानकारी बहुत कम लोगों को है कि साराभाई ने अपनी पत्नी के साथ मिलकर एक डांस एकेडमी की स्थापना की थी। आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर विक्रम साराभाई के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और शिक्षा
गुजरात के अहमदाबाद में एक प्रतिष्ठित उद्योगपति परिवार में 12 अगस्त 1919 को विक्रम अंबालाल साराभाई का जन्म हुआ था। शुरूआती शिक्षा प्राप्त करने के बाद विक्रम साराभाई ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के सेंट जॉन्स कॉलेज उच्च शिक्षा प्राप्त की। फिर साल 1947 में उनको डॉक्टरेट की उपाधि दी गई। वह एक प्रतिष्ठित भौतिक विज्ञानी और खगोलशास्त्री थे। उन्होंने भारत में अंतरिक्ष अनुसंधान और परमाणु ऊर्जा को आगे ले जाने में अहम भूमिका निभाई थी।
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शादी
साल 1942 में विक्रम साराभाई ने मृणालिनी से शादी की। मृणालिनी एक निपुण शास्त्रीय नृत्यांगना थी। लेकिन साराभाई का परिवार भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल होने की वजह से उनकी शादी में शामिल नहीं हो सके थे। विक्रम और मृणालिनी के दो बच्चे थे।
इसरो की रखी नींव
नवंबर 1947 में संयुक्त राज्य अमेरिका से भारत लौटने के बाद साराभाई ने अहमदाबाद में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला की स्थापना की। जोकि भारत के स्पेश कार्यक्रम के लिए एक अहम क्षण था। शुरूआत में PRL ने कॉस्मिक किरणों के अनुसंधान पर फोकस किया। उनके घर से 'रिट्रीट' की शुरूआत की, जिसने ISRO की नींव रखी।
स्पेश मिशन में विक्रम साराभाई ने अहम योगदान किया था। उनकी कोशिशों ने भारत के पहले कृत्रिम उपग्रह आर्यभट्ट को विकसित करने में अहम भूमिका निभाई। जिसको विक्रम साराभाई की मृत्यु के चार साल बाद सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया।
पुरस्कार
विक्रम साराभाई को उनके पूरे करियर में कई पुरस्कार से सम्मानित किए गए। साल 1962 में उनको भौतिकी के लिए शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से नवाजा गया। इसके अलावा उन्होंने परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग पर चौथे संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के उपाध्यक्ष तौर पर कार्य किया। साल 1996 में विक्रम साराभाई को पद्म भूषण और साल 1972 में मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
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