लाल-बाल-पाल की तिकड़ी के 'पाल' की खास बातें जानें, जिन्हें कहा जाता था क्रांतिकारी विचारों का जनक
बिपिन चंद्र पाल का जन्म ब्रिटिश भारत के बंगाल प्रेसीडेंसी के सिलहट जिले के हबीगंज के पोइल गांव में एक हिंदू बंगाली कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके पिता रामचंद्र पाल, एक फारसी विद्वान और छोटे जमींदार थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही फारसी भाषा में हुई।
बौद्धिक और वैचारिक क्षमता के धनी बिपिन चंद्र पाल भारत के क्रांतिकारी विचारों के जनक के रूप में जाने जाते हैं। वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे। बिपिन चंद्र पाल एक महान राष्ट्रवादी थे, जिन्होंने भारत के स्वतंत्र रूपी पवित्र कार्य के लिए वीरता पूर्वक संघर्ष किया। एक महान समाज सुधारक, शिक्षाविद, आदर्शवादी और सिद्धांतवादी व्यक्ति थे। उन्होंने भारत की आजादी के लिए पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने अपने मजबूत प्रयासों और इरादों से देश में अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला देने का काम किया था। वो देश में स्वदेशी आंदोलन के सूत्रधार और महानायक में से एक थे।
इसे भी पढ़ें: आखिर गांधीजी से क्यों खफा था नाथूराम गोडसे?, जानें बापू की हत्या से फांसी तक की कहानी
शुरुआती जीवन
बिपिन चंद्र पाल का जन्म ब्रिटिश भारत के बंगाल प्रेसीडेंसी के सिलहट जिले के हबीगंज के पोइल गांव में एक हिंदू बंगाली कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके पिता रामचंद्र पाल, एक फारसी विद्वान और छोटे जमींदार थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही फारसी भाषा में हुई। बाद में उच्च शिक्षा के लिए पाल को कलकत्ता भेजा गया। किन्ही वजहों से उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। उन्होंने एक विधवा से विवाह किया था जो उस समय दुर्लभ बात थी। इसके लिए उन्हें अपने परिवार से नाता तोड़ना पड़ा। कलकत्ता के एक स्कूल में पाल ने हेडमास्टर और फिर वहां कि एक लाइब्रेरी में लाइब्रेरियन की नौकरी की।
शस्त्र अधिनियम को निरस्त करने की दलील
पाल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रमुख नेता बने। 1887 में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मद्रास अधिवेशन में, बिपिन चंद्र पाल ने शस्त्र अधिनियम को निरस्त करने के लिए एक मजबूत दलील दी। जिस दौर में पूरा भारत अंग्रेजों के अत्याचारों से हैरान-परेशान था उस वक्त बिपिन चंद्र पाल अपने देश को गोरी हुकूमत से मुक्ति दिलाने के लिए प्रयासरत थे। उन्होंने भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के लिए रूपरेखा तैयार की।
इसे भी पढ़ें: अदम्य साहस के प्रतीक नाना साहेब की रहस्यमयी मौत से नहीं उठा पर्दा, 1857 में अंग्रेजों पर कहर बनकर टूटे थे
क्रांतिकारी विचारों के जनक
बिपिन चंद्र पाल देश के उन महान विभूतियों में शामिल हैं जिन्होंने भारत के स्वतंत्र संग्राम आंदोलन की मजबूत बुनियाद रखने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वे बंगाल पुनर्जागरण के मुख्य वास्तुकार भी थे। लाला लाजपत राय और बाल गंगाधर तिलक के साथ वे लाल बाल पाल की तिकड़ी का हिस्सा रहे बिपिन चंद्र पाल भारत में क्रांतिकारी गतिविधियों को अंजाम देते थे। बिपिन चंद्र पाल का मानना था कि नरम दल के हथियार 'प्रेयर पिटीशन' से स्वराज नहीं मिलने वाला है। उनका कहना था कि स्वराज हासिल करने के लिए विदेशी हुकूमत पर करारा प्रहार करना होगा। उनके इन्हीं विचारों की वजह से स्वाधीनता आंदोलन में उन्हें क्रांतिकारी विचारों का जनक कहा जाता है।
- अभिनय आकाश
अन्य न्यूज़