Sam Manekshaw Death Anniversary: अदम्स साहस का दूसरा नाम थे सैम मानेकश़ॉ, ऐसे चटाई थी पाकिस्तान को धूल

Sam Manekshaw
Prabhasakshi

आज के दिन यानी की 27 जून को भारतीय सेना के पहले फील्ड मार्शल अधिकारी सैम मानेकशॉ का निधन हो गया था। उनके अदम्य साहस के किस्से आज भी देश की सेना को सुनाए जाते हैं। बता दें कि तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी से उनकी काफी अच्छी दोस्ती थी।

सैम मानेकशॉ की गिनती भारत के सबसे सफल आर्मी कमांडरों में होती है। बता दें कि ब्रिटिश इंडियन आर्मी से शुरू हुआ सैम का सैन्य कॅरियर 4 दशकों तक चला। बताया जाता है कि पीएम इंदिरा गांधी ने सैम की काफी गहरी दोस्ती थी। एक बार तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने खुद सैम को चाय पर बुलाकर पूछा था कि क्या वह उनका तख्तापलट करना चाहते थे। वहीं सैम फील्ड मार्शल की रैंक पाने वाले भारतीय सेना के पहले अधिकारी थे। आज ही के दिन यानी की 27 जून को सैम मानकेशॉ का निधन हो गया था। आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर सैम मानेकशॉ के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

जन्म और शिक्षा

भारत के पहले फील्ड मार्शल सैम होर्मुसजी फ्रामजी जमशेदजी मानेकशॉ का जन्म 3 अप्रैल 1914 को हुआ था। उन्होंने अमृतसर और शेरवुड कॉलेज नैनीताल से अपनी शुरूआती शिक्षा पूरी की थी। भारतीय सैन्य अकादमी के लिए चुने जाने वाले मानेकशॉ 40 कैडेटों के पहले बैच के थे। बता दें कि 4 फरवरी 1934 को मानेकशॉ को 12 एफएफ राइफल्स में शामिल किया गया था। उनका परिवार, दोस्त, पत्नी आदि करीबी लोग उन्हें 'सैम बहादुर' कहकर पुकारते थे। 

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पाकिस्तान को हराने का श्रेय

बता दें कि साल 1971 को पाकिस्तान के साथ हुई जंग में उसे धूल चटाने और नया मुल्क बांग्लादेश बनाने का पूरा श्रेय फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ को जाता है। वह अपने 4 दशक के सैन्य कॅरियर में करीब 5 युद्ध में शामिल रहे। वह भारत के पहले फील्ड मार्शल थे। मानेकशॉ भारतीय सेना के पहले 5 स्टार जनरल और ऑफिसर थे। जिन्हें फील्ड मार्शल के पद के लिए प्रमोट किया गया था। इतिहास में भारतीय सेना का शायद ही ऐसा कोई जनरल रहा हो, जिसने राष्ट्रीय स्तर पर इतनी लोकप्रियता कमाई हो।

गुस्से में ज्वॉइन किया था फौज

दरअसल, अमृतसर में पले-बढ़े सैम अपने पिता की तरह डॉक्टर बनना चाहते थे। वह डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए लंदन जाना चाहते थे। क्योंकि उनके दो भाई लंदन में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे। जब मानेकशॉ ने अपने पिता से लंदन जाने के लिए कहा तो उन्होंने यह कहकर मना कर दिया कि वह अभी छोटे हैं। पिता की इसी बात से गुस्सा होकर उन्होंने इंडियन मिलिट्री में शामिल होने के लिए फॉर्म भरा और वह उसके लिए सेलेक्ट भी हो गए।

पीएम इंदिरा गांधी का किया था विरोध

साल 1971 में सैम मानेकशॉ से जब तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने लड़ाई के लिए तैयार रहने को लेकर सवाल किया। तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा 'आई एम ऑलवेज रेडी स्वीटी', बता दें कि सैम मानेकशॉ का यह जवाब काफी चर्चा में रहा था। वहीं वह पीएम इंदिरा गांधी का विरोध करने में भी पीछे नहीं रहते थे। जब साल 1971 में पीएम इंदिरा गांधी चाहती थीं कि भारतीय सेना मार्च में पाकिस्तान पर चढ़ाई कर दें। लेकिन सैम मानेकशॉ ने ऐसा करने से साफ इंकार कर दिया। उन्होंने पीएम इंदिरा से कहा कि उनकी सेना अभी हमले के लिए तैयार नहीं है।

सैम द्वारा मना किए जाने पर पीएम काफी नाराज हुईं। लेकिन सैम ने पीएम इंदिरा गांधी से कहा कि यदि वह इस युद्ध को जीतना चाहती हैं, तो सिर्फ 6 महीने का समय दीजिए। उन्होंने गारंटी देते हुए कहा कि इस युद्ध में जीत भारत की होगी। जिसके बाद पाकिस्तान से 3 दिसंबर को युद्ध शुरू हो गया। इस दौरान सैम ने पाकिस्तान से आत्मसमर्पण करने के लिए कहा। लेकिन पाकिस्तान ने बात नहीं मानी। भारतीय सेना ने 14 दिसंबर 1971 में ढाका में पाकिस्तान के गवर्नर के घर पर हमला बोल दिया। वहीं 16 दिसंबर को ईस्ट पाकिस्तान आजाद होकर नया मुल्क 'बांग्लादेश' बना। इस युद्ध में पाकिस्तान के करीब 93 हजार सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया था।

मौत

साल 1973 में सैम मानेकशॉ सेना प्रमुख के पद से रिटायर हो गए थे। रिटायरमेंट के बाद सैम तमिलनाडु के वेलिंग्टन चले गए थे। जिसके बाद 27 जून 2008 को वेलिंग्टन में ही सैम मानेकशॉ का निधन हो गया था।

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