Rajiv Gandhi Death Anniversary: गांधी परिवार के आखिरी प्रधानमंत्री थे राजीव गांधी, ऐसे रखा था राजनीति में कदम

इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी के बेटे राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 में हुआ था। उनके जन्म के तीन साल बाद देश आजाद हुआ था। राजीव का बचपन तीन मूर्ति भवन में बीता और बतौर पीएम राजीव गांधी नेहरू-गांधी परिवार के आखिरी सदस्य थे।
आज ही के दिन यानी की 21 मई को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी। समय-समय पर उनकी हत्या को लेकर कई तरह की चर्चाएं होती रही हैं। उनकी हत्या कैसे हुई, वह इसके लिए कितने जिम्मेदार थे या फिर राजीव गांधी की हत्या के पीछे सिर्फ तमिल समुदाय का असंतोष भर था, या उस घटना में विदेशी साजिश भी शामिल थीं। बता दें कि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी देश के अगले प्रधानमंत्री बने थे, वह दूरगामी सोच रखने वाले शख्सियत थे। आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और परिवार
इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी के बेटे राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 में हुआ था। उनके जन्म के तीन साल बाद देश आजाद हुआ था। राजीव का बचपन तीन मूर्ति भवन में बीता और बतौर पीएम राजीव गांधी नेहरू-गांधी परिवार के आखिरी सदस्य थे। हालांकि गांधी परिवार आज भी राजनीति में सक्रिय है। लेकिन राजीव गांधी के बाद गांधी परिवार का कोई सदस्य प्रधानमंत्री पद तक नहीं पहुंचा। भले ही राजीव गांधी राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते थे, लेकिन उनको खुद कभी राजनीति में दिलचस्पी नहीं रही। राजनीति में आने से पहले वह एक पेशेवर पायलट हुआ करते थे।
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शिक्षा और कॅरियर
राजीव गांधी ने इंजीनियरिंग करने के लिए कॉलेज में एडमिशन लिया था। लेकिन उन्होंने खुद को सिर्फ किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं रखा। पहले लंदन और फिर कैंब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज में तीन साल पढ़ाई करने के बाद भी उनको डिग्री नहीं हासिल हुई। तब उन्होंने लंदन के ही इंपीरियल कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया। लेकिन यहां भी राजीव गांधी का मन नहीं लगा और वह भारत वापस आ गए। भारत वापस आने के बाद उन्होंने दिल्ली के फ्लाइंग क्लब में पायलट की ट्रेनिंग ली। ट्रेनिंग खत्म होने के बाद साल 1970 में उन्होंने एयर इंडिया के साथ अपने करियर को शुरू किया।
राजनीति
बता दें कि राजीव गांधी की छवि एक साफ-सुथरे और बेदाग नेता के तौर पर रही। देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बाद साल 1980 में राजीव गांधी ने राजनीति में कदम रखा। विदेश में पढ़ाई करने वाला और राजनीति में दिलचस्पी न रखने वाला युवा नेता महज 40 साल की उम्र में राष्ट्रीय राजनीति की ऊंचाइयों तक पहुंच गया। हालांकि राजनीति में एंट्री करने के बाद राजीव गांधी का नाम कई बड़े घोटालों में आया, जिसके कारण उनकी छवि धूमिल होने लगी थी।
बताया जाता है कि राजीव गांधी एक ऐसे प्रधानमंत्री थे, जो अपनी गाड़ी को खुद चलाया करते थे। फिर चाहे उनको कहीं भी जाना हो। इतना ही नहीं वह कई चुनावी रैलियों में खुद कार ड्राइव करके जाते थे। वहीं उनके सुरक्षाकर्मी उनकी कार के पीछे आते थे।
पूर्वाभास पर सवाल
भले ही यह सवाल सुनने में थोड़ा अजीब लगता है, लेकिन कहा जाता है कि राजीव गांधी को अपनी मौत का पूर्वाभास पहले से हो गया था। उन्हें इस बात का पूर्वानुमान हो गया था कि उनकी हत्या हो सकती है। क्योंकि इस सवाल को बल तब मिला, जब हत्या के एक दिन पहले राजीव गांधी इंटरव्यू देते हैं। इंटरव्यू लेने वाले शख्स ने यह खुलासा किया कि उस दिन राजीव गांधी की बातों से ऐसा लगा था कि उनको इस बात का अंदाजा है कि अब उनका अंतिम समय करीब आ गया है।
मौत
आम चुनाव के दौरान 21 मई 1991 में तमिलनाडु के श्रीपेदम्बूदूर में हुई एक प्रचार सभा में रैली के लिए राजीव गांधी वहां पहुंचे। इसी दौरान सभा में करीब 30 साल की एक महिला उनकी तरफ चंदन की माला लेकर बढ़ती है। वह महिला हाथ में माला लेकर और चेहरे पर मुस्कान लिए जैसे ही राजीव गांधी के पैर छूने के लिए झुकती है। तभी एक जोरदार बम धमाका होता है। इस धमाके में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी समेत 15 लोगों की मौत हो जाती है। बता दें कि राजीव गांधी की मौत से देश के राजनीतिक परिदृश्य पर गहरा असर देखने को मिला।
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