MS Swaminathan Birth Anniversary: एम एस स्वामीनाथन को कहा जाता था 'हरित क्रांति का जनक', जानिए रोचक बातें
तमिलनाडु में 07 अगस्त 1925 को एमएस स्वामीनाथन का जन्म हुआ था। उनका पूरा नाम मनकोम्बु संबाशिवन स्वामीनाथन था। स्वामीनाथन कृषि वैज्ञानिक होने के साथ ही पादप आनुवंशिकीविद भी थे। उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का निदेशक बनाया गया।
आज ही के दिन यानी की 07 अगस्त को हरित क्रांति के जनक एम एस स्वामीनाथन का जन्म हुआ था। एम एस स्वामीनाथन को हरित क्रांति का जनक कहा जाता है। स्वामीनाथन एक मशहूर कृषि वैज्ञानिक और भारत में हरित क्रांति के जनक माने जाने थे। उन्होंने साल 1979 में कृषि मंत्रालय के प्रमुख सचिव के तौर पर काम किया था। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर एम एस स्वामीनाथन के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म
तमिलनाडु में 07 अगस्त 1925 को एमएस स्वामीनाथन का जन्म हुआ था। उनका पूरा नाम मनकोम्बु संबाशिवन स्वामीनाथन था। स्वामीनाथन कृषि वैज्ञानिक होने के साथ ही पादप आनुवंशिकीविद भी थे। उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का निदेशक बनाया गया। फिर साल 1979 में उनको प्रधान सचिव बनाया गया। वह योजना आयोग में भी रहे। स्वामीनाथन ने देश को सूखे से बचाने के लिए अहम काम किए थे।
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ऐसे मिली 'भारतीय हरित क्रांति के जनक' की उपाधि
स्वामीनाथन के कृषि और गेहूं की खेती सहित अन्य विशिष्ट क्षेत्रों में काम से गेंहू उत्पादन में वृद्धि हुई। उनके कार्यों ने भारत को भोजन की कमी वाले देश से आत्मनिर्भर राष्ट्र में बदल दिया। इसी वजह से स्वामीनाथन को 'भारतीय हरित क्रांति के जनक' की उपाधि से नवाजा गया।
पुरस्कार
कृषि जगत में एम एस स्वामीनाथक के अहम योगदान को देखते हुए उनको कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। साल 1971 में सामुदायिक नेतृत्व के लिए उनको रेमन मैग्सेस पुरस्कार से नवाजा गया। वहीं साल 1987 में स्वामीनाथन को विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साल 1967 में पद्म श्री, साल 1972 में पद्म भूषण और साल 1989 में स्वामीनाथन को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
स्वामीनाथन रिपोर्ट
राष्ट्रीय किसान आयोग के अध्यक्ष के तौर पर काम करते हुए डॉ. स्वामीनाथन ने किसानों की समस्याओं को दूर करने में अहम भूमिका निभाई। स्वामीनाथन ने किसानों को होने वाली चुनौतियों को कम करने के लिए उनकी फसल की औसत लागत को कम से कम 50 प्रतिशत अधिक MSP निर्धारित करने की सिफारिश की थी। जिसको स्वामीनाथन रिपोर्ट कहा गया था।
भारत को अकाल संकट से बचाने में अहम योगदान
भारतीय कृषि क्षेत्र में डॉ.स्वामीनाथन ने कई बड़े योगदान दिए थे। जिसके कारण उनको 'फादर ऑफ इकोलॉजी' की उपाधि से नवाजा गया था। बता दें कि 1960 के दशक में हरित क्रांति के ग्लोबल लीडर के रूप में स्वामीनाथन ने भारत को अकाल जैसी बुरी स्थितियों से बचाने के लिए गेहूं और चावल की उच्च उपज वाली किस्मों को पेश करने में अहम भूमिका निभाई थी।
मृत्यु
वहीं 28 सितंबर 2023 को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के चलते 98 साल की आयु में एम एस स्वामीनाथन का निधन हो गया था।
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