Feroze Gandhi Death Anniversary: 'परिवार राज' के सख्त खिलाफ थे फिरोज गांधी, छोटा लेकिन बेहद शानदार रहा राजनीतिक सफर

Feroze Gandhi
Prabhasakshi

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पति और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के दामाद फिरोज गांधी का आज ही के दिन यानी की 8 सितंबर को निधन हो गया था। फिरोज गांधी पत्रकार होने के साथ स्वतंत्रता सेनानी भी थे। उन्होंने देश की आजादी की लड़ाई में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था।

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पति और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के दामाद फिरोज गांधी का आज ही के दिन यानी की 8 सितंबर को निधन हो गया था। फिरोज गांधी पेशे से पत्रकार थे। साथ ही आजादी के बाद उन्होंने रायबरेली से चुनाव जीत संसद में पहुंचे थे। उस दौरान ससंद में कांग्रेस सरकार के सामने कोई विपक्ष नहीं था। लेकिन जब भी फिरोज गांधी असहमत होते थे, तो वह सरकार के खिलाफ आवाज उठाते थे। आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर फिरोज गांधी के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

जन्म और शिक्षा

फिरोज गांधी का जन्म 12 सितंबर  1912 को फारसी परिवार में हुआ था। फिरोज गांधी के पिता का नाम जहांगीर और माता का नाम रतिमाई था। इस पारसी परिवार की दक्षिण गुजरात में जड़ें बड़ी गहरी थीं। पिता के निधन के बाद फिरोज अपनी मां के साथ इलाहाबाद पहुंच गए। अपनी शुरूआती शिक्षा उन्होंने इलाहाबाद से पूरी की। वहीं उन दिनों इलाहाबाद स्वतंत्रता संग्राम की गतिविधियों का केंद्र हुआ करता था। शिक्षा के दौरान फिरोज महात्मा गांधी के प्रभाव में आ गए। इसके बाद उनका नेहरु परिवार से संपर्क हुआ। 

इसके बाद साल 1928 में फिरोज गांधी ने साइमन कमीशन के बहिष्कार में हिस्सा लिया। साथ ही 1930-32 के आंदोलन में उन्हें जेल की सजा भी हुई। साल 1935 में वह आगे की पढ़ाई के लिए गए और वहां पर फिरोज गांधी ने 'स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स' से अंतर्राष्ट्रीय कानून में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की।

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राजनीतिक सफर

फिरोज गांधी का राजनीतिक सफर भले ही छोटा था मगर शानदार रहा। उन्होंने अपने ससुर नेहरु से कभी कोई मदद नहीं ली। साल 1942 में 'भारत छोड़ों आंदोलन' में फिरोज गांधी कुछ समय तक तक भूमिगत रहे। लेकिन उसके कुछ समय बाद उनको गिरफ्तार कर लिया गया था। साल 1946 में जेल से रिहा होने के बाद लखनऊ के दैनिक पत्र 'नेशनल हेराल्ड' के प्रबन्ध निर्देशक के पद की जिम्मेदारियां संभाली। वहीं साल 1952 के पहले चुनाव में फिरोज गांधी लोकसभा के सदस्य चुने गए। कुछ साल फिरोज और इंदिरा नेहरु जी के साथ रहे। इसके बाद फिरोज गांधी ने लखनऊ छोड़ दिया। इंदिरा गांधी का अधिकतर समय अपने पिता जवाहर लाल नेहरु की देखरेख में बीता। साल 1956 में फिरोज ने पीएम निवास छोड़ दिया और वह सांसद के साधारण से मकान में अकेले रहने लगे। 

शादी

बता दें कि अपने पिता जवाहरलाल नेहरू की मर्जी के खिलाफ जाकर इंदिरा गांधी ने फिरोज गांधी से शादी की थी। इस दोनों की लव स्टोरी काफी चर्चित रही थी। बता दें कि साल 1930 में दोनों की पहली मुलाकात हुई थी। देश की आजादी की लड़ाई में इंदिरा गांधी की मां कमला नेहरू एक कॉलेज के सामने धरना दे रही थीं। उस दौरान वह बेहोश हो गई, तब फिरोज ने उनकी काफी देखभाल की। ऐसे में फिरोज उनका हालचाल लेने के लिए अक्सर घर पहुंचते थे। इसी दौरान फिरोज और इंदिरा की नजदीकियां बढ़ीं। जब फिरोज इलाहाबाद चले गए, तब भी वह आनंद भवन आते-जाते रहते थे।

साल 1942 में फिरोज और इंदिरा गांधी ने शादी कर ली। हालांकि इंदिरा के पिता नेहरु इस शादी के खिलाफ थे। लेकिन महात्मा गांधी के हस्तक्षेप के बाद फिरोज और इंदिरा गांधी इलाहाबाद में शादी हुई। महात्मा गांधी ने फिरोज को अपना सरनेम 'गांधी' भी दिया। जिसके बाद भारत छोड़ो आंदोलन में फिरोज और इंदिरा एक बार फिर जेल गए। बताया जाता है कि शादी के बाद दोनों के बीच काफी ज्यादा लड़ाइयां होती थीं। साल 1949 में इंदिरा गांधी पति फिरोज को छोड़ अपने दोनों बच्चों राजीव को लेकर अपने पिता नेहरु के घर चली गईं। इस दौरान संजय गांधी लखनऊ में रहे।

मौत

फिरोज गांधी एक ऐसे व्‍यक्ति थे जो 'परिवार राज' के सख्‍त खिलाफ थे। इंदिरा गांधी द्वारा घर छोड़कर जाने के बाद फिरोज गांधी ने नेहरु सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया। इस दौरान फिरोज गांधी ने कई बड़े घोटालों को उजागर किया। हालांकि कुछ समय बाद से फिरोज की तबियत खराब रहने लगीं। हालांकि तब उनकी देखभाल के लिए इंदिरा गांधी उनके पास मौजूद रहीं। बता दें कि 8 सितंबर 1960 को दूसरी बार हार्ट अटैक आने पर महज 48 साल की उम्र में फिरोज गांधी का निधन हो गया।

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