Feroze Gandhi Birth Anniversary: अपनी ही सरकार के प्रति आलोचनात्मक रहे फिरोज गांधी, ऐसे बनाई थी राजनीति में जगह

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फिरोज गांधी का जन्म 12 सितंबर 1912 को हुआ था। इनका असली नाम फिरोज घांदी था। वहीं फिरोज के पिता का नाम जहांगीर घांदी था और इनकी मां का नाम रतिमाई घांदी था। फिरोज गांधी पारसी परिवार से ताल्लुक रखते थे।

आज ही के दिन यानी की 12 सितंबर को भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी का जन्म हुआ था। फिरोज गांधी कांग्रेस सांसद और राजनेता होने के साथ पत्रकार भी थे। फिरोज और इंदिरा गांधी का प्रेम प्रसंग और शादी के किस्से की चर्चा आज भी होती है। हालांकि भारत के पहले प्रधानमंत्री और इंदिरा गांधी के पिता पं. जवाहर लाल नेहरु इनके रिश्ते के खिलाफ थे, लेकिन महात्मा गांधी के सपोर्ट की वजह से इंदिरा और फिरोज की शादी हुई। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर फिरोज गांधी के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

जन्म और परिवार

फिरोज गांधी का जन्म 12 सितंबर 1912 को हुआ था। इनका असली नाम फिरोज घांदी था। वहीं फिरोज के पिता का नाम जहांगीर घांदी था और इनकी मां का नाम रतिमाई घांदी था। फिरोज गांधी पारसी परिवार से ताल्लुक रखते थे। पिता की मौत के बाद फिरोज घांदी अपनी मां के साथ मुंबई में रहे, फिर साल 1915 में वह प्रयागराज आ गए। 

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राजनीति में सक्रियता और गांधी सरनेम

जब फिरोज घांदी राजनीति में सक्रिय हुए, तो उस समय के न्यूज पेपरों में फिरोज के सरनेम घांदी को गांधी समझ लिया गया और उनका नाम फिरोज गांधी प्रिंट होने लगा। जिसके बाद उनके नाम के साथ गांधी सरनेम जुड़ गया। तो वहीं कुछ लोगों का मानना है कि फिरोज घांदी, महात्मा गांधी से इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने अपना सरनेम गांधी कर लिया।

इंदिरा-फिरोज की लव स्टोरी

बता दें कि उस दौरान इंदिरा गांधी और फिरोज की लव स्टोरी काफी चर्चित रही थी। दरअसल, इंदिरा की मां कमला नेहरू एक आंदोलन के दौरान कॉलेज के सामने धरना देते हुए बेहोश हो गई थीं। उस समय फिरोज ने कमला नेहरू की बहुत सेवा की थी। इसी बीच उनका इंदिरा गांधी के घर आना-जाना शुरू हो गया। इसी दौरान इंदिरा और फिरोज एक-दूसरे के करीब आए थे।

साल 1933 का वह समय था, जब फिरोज 21 साल के और इंदिरा 16 साल की थीं। तब फिरोज गांधी ने इंदिरा गांधी को शादी के लिए प्रपोज किया था। लेकिन इंदिरा ने उनके प्रपोजल को ठुकरा दिया था। वहीं समय बीतने के साथ फिरोज राजनीति में सक्रिय होते गए। इसके बाद एक समय ऐसा आया, जब इंदिरा और फिरोज फिर एक-दूसरे के नजदीक आए और दोनों ने शादी करने का फैसला किया।

हालांकि इंदिरा गांधी के पिता पं. नेहरु इस रिश्ते के खिलाफ थे। जिसका कारण यह था कि दोनों का धर्म अलग-अलग था। इससे उनकी राजनीति प्रभावित हो सकती थी। ऐसे में महात्मा गांधी ने पं. नेहरु को समझाया, जिसके बाद उन्होंने फिरोज को अपना सरनेम 'गांधी' उपाधि के तौर पर दिया। इसके बाद इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी की शादी हिंदू रीति-रिवाजों के साथ हुई।

मृत्यु

फिरोज गांधी अपनी ही सरकार के प्रति आलोचनात्मक रहे। वहीं उनके अपने ससुर पं. जवाहर लाल नेहरू के साथ संबंध मधुर नहीं रहे। जिसका असर इंदिरा के साथ उनके रिश्ते पर पड़ा और एक समय ऐसा आया, जब फिरोज और इंदिरा अलग हो गए थे। अपने जीवन के आखिरी पड़ाव में फिरोज काफी अकेले पड़ चुके थे। साल 1958 में फिरोज गांधी को पहला हार्ट अटैक आया, तो वहीं साल 1960 में उनको दूसरा हार्ट अटैक पड़ा। वहीं महज 47 साल की उम्र में 8 सितंबर 1960 में हुआ था।

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