Savita Ambedkar Birth Anniversary: डॉ आंबेडकर की दूसरी पत्नी थीं सविता आंबेडकर, लोग प्यार से कहते थे 'माईसाहेब'

डॉ भीमराव आंबेडकर की पत्नी डॉ सविता आंबेडकर का 27 जनवरी को जन्म हुआ था। उन्होंने डॉ आंबेडकर के साथ मिलकर काम किया और फिर पति के निधन के बाद उनकी विरासत को आगे बढ़ाने का काम किया था।
आज ही के दिन यानी की 27 जनवरी को सविता अंबेडकर का जन्म हुआ था। वह डॉ भीमराव आंबेडकर की पत्नी थीं। सविता आंबेडकर सामाजिक न्याय और समानता के लिए एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व थीं। उन्होंने डॉ आंबेडकर के साथ मिलकर काम किया और फिर पति के निधन के बाद उनकी विरासत को आगे बढ़ाने का काम किया था। सविता आंबेडकर ने झांसी के कई दौरे किए थे और यहां के लोगों को जागरुक करने का काम किया। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर सविता आंबेडकर के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और परिवार
महाराष्ट्र के एक कुलीन ब्राह्मण परिवार में 27 जनवरी 1909 को सविता का जन्म हुआ था। उनका असली नाम शारदा कबीर था। ब्राह्मण परिवार में जन्म लेने वाली शारदा के पिता इंडियन मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार थे। साल 1937 में उन्होंने मुंबई से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की थी। उस दौरान किसी लड़की का डॉक्टर बनना किसी बड़े आश्चर्य से कम नहीं था। उनका परिवार उस समय भी काफी मॉर्डन था।
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बाबासाहेब और सविता की मुलाकात
साल 1947 में बाबा साहेब पहली बार डॉ शारदा से मिले थे। उस दौरान डॉ आंबेडकर बीमारियों से काफी परेशान थे। उस दौर में चिट्ठियों से बातचीत होती थी। वहीं 15 अप्रैल 1948 को डॉ आंबेडकर और डॉ शारदा कबीर शादी के बंधन में बंध गए। शादी के बाद लोग डॉ शारदा को सविता आंबेडकर कहकर पुकारने लगे। फिर साल 1953 में डॉ सविता अंबेडकर गर्भवती हो गईं। लेकिन कश्मीर दौरे पर अचानक उनको चक्कर आए और उल्टियां हुईं। बाद में बता चला कि उनका गर्भपात हो गया है। इस घटना ने आंबेडकर को अंदर से तोड़ दिया था और वह दुखी रहने लगे थे।
बता दें कि बाबा साहेब की जिंदगी पर डॉ सविता का बहुत ज्यादा प्रभाव था। वह हर समय डॉ आंबेडकर के साथ राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों में उनके साथ खड़ी रहीं। उन्होंने बाबा साहेब की सेहत का खास ख्याल रखा। बाबा साहेब ने अपनी किताब में लिखा है, 'सविता आंबेडकर की वजह से वह 8-10 साल अधिक जी पाए।' सविता आंबेडकर को लोग 'माईसाहेब' कहते थे।
मृत्यु
डॉ आंबेडकर के निधन के बात सविता आंबेडकर को अकेलेपन का अनुभव होने लगा। फिर वह कुछ समय के लिए दलित संघर्ष में लौट आईं। वहीं 19 अप्रैल 2003 में सविता आंबेडकर को सांस लेने में दिक्कत होने लगी। तब उनको जे.जे अस्पताल भेजा गया। फिर 29 मई 2003 में 94 साल की आयु में डॉ सविता आंबेडकर का निधन हो गया।
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