CV Raman Death Anniversary: साइंस में नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले वैज्ञानिक थे सीवी रमन, जानिए रोचक बातें

CV Raman
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आज ही के दिन यानी की 21 नवंबर को भारत में विज्ञान को नई ऊंचाइयां देने वाले वेंकट रमन का निधन हो गया था। वह एक समर्पित वैज्ञानिक, कर्मठ शिक्षक और देशभक्त के रूप में अपना काम करते रहे।

भारत में विज्ञान को नई ऊंचाइयां देने वाले वेंकट रमन की आज ही के दिन यानी की 21 नवंबर को मृत्यु हो गई थी। वह एक वैज्ञानिक होने के साथ एक महान शिक्षक भी थे। दुनिया उनको रमन प्रभाव के लिए ज्यादा जानती है। वेंकट रमन को उनके जीवन के आधे पड़ाव पर ही नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने अपना पूरा जीवन विज्ञान और शिक्षा के लिए लगा दिया। वह एक समर्पित वैज्ञानिक, कर्मठ शिक्षक और देशभक्त के रूप में अपना काम करते रहे। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर सीवी रमन के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

जन्म और शिक्षा

मद्रास प्रेसिडेंसी के तिरुचिरापल्ली में 07 नवंबर 1888 को चंद्रशेखर वेंकट रमन का जन्म हुआ था। वह बचपन से ही पढ़ाई में काफी अच्छे थे। स्नातक पूरा करने के बाद उन्होंने ध्वनिकी और प्रकाशिकी पर कार्य करना शुरू किया और फिर लंदन से लौटने के दौरान उनको रमन प्रभाव की खोज करने की प्रेरणा मिली।

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विज्ञान संस्थानों की स्थापना

सीवी रमन सिर्फ अपने प्रयोगों में ही डूबे नहीं रहते थे, बल्कि उन्होंने साल 1926 में इंडियन जनरल ऑफ फिजिक्स की शुरुआत की। वहीं साल 1933 में बेंगलुरू में भारतीय विज्ञान संस्थान के पहले निदेशक का पद संभाला और इसी साल उन्होंने भारतीय विज्ञान अकादमी की स्थापना भी की। फिर साल 1948 में भारतीय विज्ञान संस्थान से रिटायरमेंट के बाद उन्होंने गलुरू में ही रमन अनुसंधान संस्थान की स्थापना की और साल 1970 तक यहीं काम करते रहे।

खास पत्थरों का कलेक्शन

सीवी रमन ने कई खास पत्थर, खनिज औऱ अन्य पदार्थ जमा किए थे। यह सभी उन्होंने प्रकाश प्रकीर्णन गुणों के लिए इकट्ठा किया था। इनमें से कुछ उन्होंने खुद तलाश किए, तो कुछ उनको भेंट मिले थे। सीवी रमन अपने साथ हमेशा एक छोटा स्पैक्ट्रोस्कोप रखा करते थे। इसको आज भी आईआईएससी में देख सकते हैं।

सम्मान

साल 1954 में डॉ सीवी रमन को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। उन्होंने रमन प्रभाव की खोज 28 फरवरी 1928 को की थी। इसलिए 28 फरवरी को भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है। बता दें कि रमन के वैज्ञानिक जीवन में लॉर्ड रदरफोर्ड का बहुत योगदान था। लॉर्ड रदरफोर्ड ने सीवी रमन को नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किया था। वहीं साल 1932 भारतीय विज्ञान संस्थान के निदेशक पद के लिए उनकी अनुशंसा की थी।

मृत्यु

अक्तूबर 1970 में हृदयाघात के कारण सीवी रमन अपनी प्रयोगशाला में गिर पड़े। जिसके बाद उनको फौरन अस्पताल ले जाया गया, जहां पर डॉक्टरों ने जवाब दिया कि अब उनके पास 4 घंटे से भी कम समय है। लेकिन वह इसके बाद भी कई दिनों तक जिंदा रहे। वहीं 21 नवंबर 1970 को 82 साल की उम्र में सीवी रमन की मृत्यु हो गई।

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