भाजपा के इकलौते दलित अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण, तहकला स्टिंग के बाद छोड़नी पड़ी थी कुर्सी
बंगारू लक्ष्मण का जन्म 1939 में तब के आंध्र प्रदेश में हुआ। उनके पिता बी नरसिम्हा थे और माता बी शिवम्मा थीं। उन्होंने हैदराबाद में बीए और एलएलबी किया। एक दलित परिवार में जन्म लेने वाले लक्ष्मण मडिगा जाति से आते हैं।
बंगारू लक्ष्मण भारतीय राजनीतिज्ञ थे जिन्होंने रेल मंत्री के रूप में कार्य करने के अलावा किसी दौर में बीजेपी की कमान भी संभाली थी। वो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सदस्य थे। साल 2000 से 2001 तक पार्टी के अध्यक्ष रहे और 1999 से 2000 तक भारत सरकार में रेल राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया। लेकिन इसके बाद का दौर बंगारू लक्ष्मण के लिए तमाम तरह के झंझावतों से भरा रहा। रक्षा सौदा भ्रष्टाचार मामले में उन्हें जेल जाना पड़ा। बाद में जमानत पर रिहाई भी हुई। लेकिन इस घटना ने उनके राजनीतिक कॅरियर पर जैसे विराम लगा दिया। आज आपको बीजेपी के नेता और भारत सरकार के रेल मंत्री बंगारू लक्ष्मण के शुरुआती जीवन से लेकर राजनीतिक सफर से अवगत कराते हैं। इसके साथ ही बताते हैं कि आखिर क्या था तहलका स्टिंग ऑपरेशन कांड जिसने एक कद्दावर नेता के राजनीतिक करियर का मर्सिया लिख दिया।
इसे भी पढ़ें: दिल्ली के बड़े जाट नेता थे साहिब सिंह वर्मा, ग्रामीण क्षेत्रों में थी खास पकड़
शुरुआती जीवन
बंगारू लक्ष्मण का जन्म 1939 में तब के आंध्र प्रदेश में हुआ। उनके पिता बी नरसिम्हा थे और माता बी शिवम्मा थीं। उन्होंने हैदराबाद में बीए और एलएलबी किया। एक दलित परिवार में जन्म लेने वाले लक्ष्मण मडिगा जाति से आते हैं। 12 वर्ष की आयु में 1953 में लक्ष्मण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल हो गए और कई संगठनात्मक जिम्मेदारियों को निभाया। फिर 1969 में जनसंघ पार्टी के सक्रिय सदस्य बन गए। उन्होंने युवा अवस्था में ही राजनीति में कदम रख दिए। उनके परिवार में पत्नी सुशीला लक्ष्मण औऱ तीन बेटियां व एक बेटा है। सुशीला लक्ष्मण ने बीजेपी के टिकट पर 14वीं लोकसभा के लिए राजस्थान के जालौर से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की थी।
रेल मंत्री के रूप में किया कार्य
बंगारू लक्ष्मण को 1975 में आपातकाल के दौरान जेल जाना पड़ा था। वे 1980-85 तक आंध्र प्रदेश विधान परिषद के सदस्य थे। 1996-2002 तक गुजरात से राज्यसभा भेजे गए। अक्तूबर 1999 में वह अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में योजना और कार्यक्रम क्रियान्वयन राज्यमंत्री बने थे। बाद में नवंबर 1999 से अगस्त 2000 तक उन्हें रेल मंत्रालय में राज्यमंत्री की जिम्मेदारी दी गयी। लक्ष्मण 2000 से 2001 तक भाजपा के अध्यक्ष के पद पर रहे। वे भाजपा के पहले दलित अध्यक्ष थे।
इसे भी पढ़ें: अविस्मरणीय है माधवराव सिंधिया के राजनीतिक किस्से, दो बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बनते-बनते चूक गए थे
‘तहकला’ के एक स्टिंग ऑपरेशन में फर्जी रक्षा सौदे के लिए उन्हें एक लाख रुपए लेते हुए दिखाया गया था जिसके बाद राजग सरकार को बड़े स्तर पर शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा था। उन्हें भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत रिश्वत लेने के आरोप में 27 अप्रैल 2012 को सीबीआई की एक विशेष अदालत ने दोषी ठहराया था और उन्हें हिरासत में ले लिया गया था। रक्षा सौदा तहलका भ्रष्टाचार मामले में बंगारू लक्ष्मण दोषी करार दिए गए। लक्ष्मण को उनके अपराधों के लिए 4 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी। मामले में दोषी ठहराए गए 72 वर्षीय बंगारू को विशेष सीबीआई न्यायाधीश कंवल जीत अरोड़ा के समक्ष तिहाड़ जेल से पेश किया गया था। बंगारू को सेना को थर्मल दूरबीन की आपूर्ति का ठेका देने के लिए रक्षा मंत्रालय को सिफारिश करने के लिए नकली हथियार डीलर से रिश्वत लेने के लिए दोषी ठहराया गया था। फैसले के तुरंत बाद बंगारू लक्ष्मण ने पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से इस्तीफा दे दिया था। लंबी बीमारी के बाद भाजपा के पूर्व अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण का 1 मार्च 2014 को हैदराबाद के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 74 वर्ष के थे।
- अभिनय आकाश
अन्य न्यूज़