Albert Einstein Death Anniversary: महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन की मृत्यु के बाद उनके दिमाग के किए गए थे 240 टुकड़े

अल्बर्ट आइंस्टीन मानव सभ्यता के सबसे महान वैज्ञानिकों की लिस्ट में शामिल हैं। आज ही के दिन यानी की 18 अप्रैल को अल्बर्ट आइंस्टीन की मृत्यु हो गई थी। पोस्टमार्टम करने वाले वैज्ञानिक ने आइंस्टीन के परिवार की अनुमति के बिना उनका दिमाग चुरा लिया था।
अल्बर्ट आइंस्टीन मानव सभ्यता के सबसे महान वैज्ञानिकों की लिस्ट में शामिल हैं। आज ही के दिन यानी की 18 अप्रैल को अल्बर्ट आइंस्टीन की मृत्यु हो गई थी। उन्होंने अपने जीवन भर न सिर्फ मानव सभ्यता के अद्वितीय विकास की खोज की, बल्कि सुखी जीवन जीने का रास्ता भी दिखाया। अल्बर्ट आइंस्टीन की महान खोज का नतीजा है कि उनकी मृत्यु के बाद पोस्टमार्टम करने वाले वैज्ञानिक ने आइंस्टीन के परिवार की अनुमति के बिना उनका दिमाग चुरा लिया था। इस दिमाग को 224 टुकड़े कर अलग-अलग वैज्ञानिकों के पास रिसर्च करने के लिए भेज दिया था। आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर अल्बर्ट आइंस्टीन के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में।
जन्म और शिक्षा
जर्मनी में वुर्टेमबर्ग के उल्म में 14 मार्च 1879 को आइंस्टीन का जन्म हुआ था। महज पांच साल की उम्र में उन्होंने पहली बार कंपास देखा था। जिसको देखकर आइंस्टीन को बहुत आश्चर्य हुआ था। इसने आइंस्टीन के बालमन में ब्रह्मांड की अदृश्य शक्तियों के प्रति आजीवन आकर्षण को जन्म दिया। जिसके बाद 12 साल की उम्र में उन्होंने पहली बार ज्यामिति की किताब को देखा था। वह प्यार से इस किताब को 'पवित्र छोटी ज्य़ामिति पुस्तक' कहते थे।
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नोबेल पुरस्कार
बता दें कि 9 नवंबर 1921 में महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन को भौतिक शास्त्र का नोबेल पुरस्कार देने का फैसला किया गया था। लेकिन उनको यह पुरस्कार साल 1922 में मिला था। दरअसल, एक साल बाद नोबेल पुरस्कार मिलने के पीछे कारण यह था कि साल 1921 में चयन प्रक्रिया के दौरान नोबेल समिति ने पाया कि उस साल के नॉमिनेशंस में से भौतिकी के लिए कोई भी अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत में उल्लिखित मानदंडों को पूरा नहीं करता है। ऐसे में अगले वर्ष तक नोबेल पुरस्कार को रिजर्व किया जा सकता है। इसलिए अल्बर्ट आइंस्टाइन को साल 1921 की जगह 1922 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
निधन
जर्मनी के महान भौतिक विज्ञानी अल्बर्ट आइंस्टीन को जब उनके आखिरी समय में हॉस्पिटल ले जाया जा रहा था। तब आइंस्टीन को पता था कि अब उनके पास ज्यादा समय नहीं है। वहीं 76 साल के आइंस्टीन ने कहा था कि उनको किसी भी तरह के मेडिकल सपोर्ट की जरूरत नहीं है। जिसके बाद 18 अप्रैल 1955 को अल्बर्ट आइंस्टीन की मृत्यु हो गई। वैज्ञानिक समुदाय के लिए आइंस्टीन का दिमाग रहस्यों का अनंत ब्रह्मांण था। जिसके चलते आइंस्टीन की मृत्यु के कुछ घंटो बाद पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर थॉमस हार्वे ने बिना परिवार की मंजूरी के उनका दिमाग निकाल लिया था।
क्योंकि डॉ. हार्वे का मानना था कि दुनिया के सबसे प्रतिभाशाली व्यक्ति के दिमाग का अध्ययन करना बेहद जरूरी है। हांलाकि आइंस्टीन चाहते थे कि उनकी मृत्यु के बाद शरीर के किसी भी अंग का परीक्षण न किया जाए। लेकिन इसके बाद भी आइंस्टीन के बेटे ने डॉ हार्वे को ऐसा करने से नहीं रोका। डॉ हार्वे ने महान वैज्ञानिक आइंस्टीन के दिमाग की ढेरों तस्वीरें खींची थी।
आइंस्टीन के दिमाग के 240 टुकड़े
आइंस्टीन के दिमाग की तस्वीरें लेने के बाद उनके दिमाग को 240 टुकड़ों में काटा गया था। इनमें से कुछ टुकड़ों को अन्य शोधकर्ताओं को भी भेजा गया था। साल 1985 में डॉ हार्वे ने आइंस्टीन के दिमाग पर एक पेपर भी प्रकाशित किया था। जिसमें उन्होंने बताया था कि अल्बर्ट आइंस्टीन का दिमाग अन्य लोगों के मस्तिष्क से अलग दिखता है, जिस कारण यह अलग तरह से काम भी करता है। बता दें कि आइंस्टीन के दिमाग को फिलाडेल्फिया के म्यूटर म्यूजियम में देखा जा सकता है।
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