पंजाब के Akshdeep Singh पेरिस ओलंपिक में रेस-वॉकिंग प्रतियोगिता में करेंगे भारत का दावा मजबूत
पंजाब के अक्षदीप सिंह ने अगले महीने वाले पेरिस ओलंपिक में पदक के लिए अपना दावा मजबूत कर लिया है। उन्होंने राष्ट्रीय चैंपियनशिप से विश्व चैंपियनशिप और पेरिस ओलंपिक्स के लिए क्वालीफाई किया है। रांची में राष्ट्रीय ओपन पैदल चाल स्पर्धा 2023 जीतकर ओलंपिक के लिए क्वालिफाई करने वाले अक्षदीप ने अपना ही रिकॉर्ड तोड़ा था।
20 किमी रेस वॉक में राष्ट्रीय कीर्तिमान स्थापित कर चुके पंजाब के अक्षदीप सिंह ने अगले महीने वाले पेरिस ओलंपिक में पदक के लिए अपना दावा मजबूत कर लिया है। उन्होंने राष्ट्रीय चैंपियनशिप से विश्व चैंपियनशिप और पेरिस ओलंपिक्स के लिए क्वालीफाई किया है। रांची में राष्ट्रीय ओपन पैदल चाल स्पर्धा 2023 जीतकर ओलंपिक के लिए क्वालिफाई करने वाले अक्षदीप ने एक घंटे 19 मिनट 38 सेकंड का समय निकालकर एक घंटे 19 मिनट 55 सेकंड का अपना ही रिकॉर्ड तोड़ा था। मेंस कैटेगरी में ओलिंपिक्स में भारत के कोटे के तीनों स्पॉट फुल हो चुके है।
अक्षदीप सिंह का जन्म पंजाब के बरनाला जिले के काहनेके गांव में 22 नवंबर 1999 को हुआ था। उनके पिता एक किसान हैं। एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया था कि 10 साल की उम्र में उनका सपना भारतीय सेना में शामिल होना था। इसलिए उन्होंने भर्ती अभियान को पास करने के लिए दौड़ना शुरू कर दिया। आखिरकार, कोच गुरदेव सिंह ने उन्हें रेस वॉकर बना दिया। उन्होंने कहा था, "जब मैं 15 साल का था, तब मैंने एक सैनिक के रूप में सेना में शामिल होने के अपने सपने को पूरा करने के लिए तैयारी शुरू कर दी थी।" "उस समय मैं बहुत तेज़ दौड़ता था और सेना में भर्ती के लिए प्रशिक्षण ले रहे गांव के बड़े-बुजुर्ग भी मेरी तारीफ़ करते थे। उन्होंने मुझे एथलीट बनने का सुझाव दिया।"
सिंह की मुलाक़ात बरनाला के एक स्टेडियम में कोच जसप्रीत सिंह से हुई। उन्होंने कहा, "लेकिन कोच ने मुझे रेस-वॉकिंग चुनने का सुझाव दिया। मुझे शुरू में यह पसंद नहीं आया क्योंकि मैं दौड़ने का शौकीन था।" दिसंबर 2016 में सिंह पटियाला आए, जहां कोच गुरदेव सिंह ने उन्हें रेस-वॉक का प्रशिक्षण दिया। उन्होंने कहा, "मैंने अंततः अप्रैल 2017 में रेस-वॉकिंग करने का मन बना लिया।" सिंह ने तरनतारन में आयोजित अंडर-18 नॉर्थ इंडिया चैंपियनशिप में अपना पहला कांस्य पदक जीता। इसके बाद उन्होंने अंडर-18 जूनियर नेशनल में भाग लिया और रजत पदक जीता।
2017 में ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में उन्होंने फिर से रजत पदक जीता। अपने प्रशिक्षण के एक वर्ष के भीतर ही सिंह ने अखिल भारतीय अंतर-विश्वविद्यालय खेलों में स्वर्ण पदक जीता। हालांकि, 2019 में घुटने की चोट के कारण वह इटली में हुए विश्व विश्वविद्यालय खेलों में हिस्सा नहीं ले पाए। उन्होंने फरवरी 2020 में राष्ट्रीय स्तर के आयोजन में हिस्सा लिया, लेकिन 12वां स्थान हासिल किया। कोविड-19 के कारण लागू लॉकडाउन और अपनी चोट से पूरी तरह से उबर न पाने के कारण सिंह को अपने खेल के बारे में पुनर्विचार करना पड़ा।
सिंह 2021 में बैंगलोर गए और फिर से प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया। जनवरी 2022 में मैंगलोर में ऑल इंडिया इंटर-यूनिवर्सिटी गेम्स में सिंह ने नया रिकॉर्ड बनाया। सिंह के परिवार के पास बरनाला में दो एकड़ खेती की ज़मीन है। उनके पिता एक केमिकल फैक्ट्री में काम करते हैं जबकि उनकी माँ आंगनवाड़ी में हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे अपने परिवार से पूरा सहयोग मिल रहा है।’’ पंजाब सरकार ने सिंह को 2024 ओलंपिक खेलों की तैयारी के लिए 5 लाख रुपये दिए थे। 2023 को उन्होंने 47वीं ऑल जापान रेस वॉकिंग मीट में हिस्सा लिया और 12वें स्थान पर रहे। अक्टूबर 2022 में, उन्होंने बेंगलुरु के श्री कांथीरवा आउटडोर स्टेडियम में राष्ट्रीय ओपन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रजत पदक जीता। 2022 में सिंह ने कर्नाटक के मूडबिद्री में अंतर-विश्वविद्यालय स्वर्ण और मई में बेंगलुरु में खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स भी जीते थे।
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