महिलाओं को मिली खड़े होकर काम करने से आजादी, जानिए Right to SIT के बारे में
राइट टू सिट से आप समझ ही गए होंगे की इसका मतलब है बैठने का अधिकार। आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन देश के ऐसे कई क्षेत्र है जहां कर्मचारियों को काम करते समय बैठने का अधिकार नहीं होता है।
कमाकाजी महिलाओं के लिए बड़ी खबर सामने आ रही है। हिंदी अखबार NBT में छपी एक खबर के मुताबिक, तमिलनाडु में राइट टू सिट यानि की बैठने का अधिकार लागू हो गया है। केरल के बाद यह कानून लागू करने वाला तमिलनाडु दुसरा राज्य बन गया है। इस कानून के लागू होने से वर्किंग महिलाओं को काफी राहत मिली है।
आइये बताते है राइट टू सिट के बारें में
राइट टू सिट से आप समझ ही गए होंगे की इसका मतलब है बैठने का अधिकार। आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन देश के ऐसे कई क्षेत्र है जहां कर्मचारियों को काम करते समय बैठने का अधिकार नहीं होता है। इसमें कर्मचारी को वर्किंग आवर तक खड़े होकर काम करना होता है। ऐसे ही कर्मचारियों के लिए यह कानून पारित किया गया है जिसके तहत अब हर कर्मचारी बैठ कर काम करने के लिए आजाद होगा।
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ऐसे कानून की क्या जरूरत है?
जानकारी के लिए बता दें कि, तमिलानाडु राज्य में शॉप, कपड़ा, जूलरी जैसे दुकानों में काम कर रहे कर्मचारियों को बैठने की सुविधा नहीं होती है और यह कर्मचारी 10-12 घंटे लगातार खड़े होकर काम करते है। इतने घंटे लगातार खड़े होकर काम करने से कर्मचारियों के शारिरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर काफी ज्यादा असर पड़ता था।
महिलाओं के लिए सबसे बड़ी राहत की खबर
बता दें कि इस कानून के बाद से महिलाओं को काफी ज्यादा राहत मिली है क्योंकि महिलाओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है, कुछ जगहों में महिलाओं को पेशाब करने की भी इजाजत नहीं होती है। पिरियड्स के दौरान महिलाओं को घंटों तक खड़ा रहना पड़ता है जिससे उनके स्वास्थ्य पर काफी ज्यादा असर पड़ता था।इन सभी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए तमिलनाडु के कर्मचारियों ने आवाज उठाई जिसके बाद राज्य सरकार ने वर्कर के लिए यह कानून लागू किया गया।
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