Prabhasakshi NewsRoom: Pannun चला था NSA Ajit Doval को समन थमाने, उसकी सारी कोशिशों को US Secret Service Agents ने विफल कर दिया

 NSA Ajit Doval
ANI

पत्र की समीक्षा करने के बाद, न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिले के एक न्यायाधीश ने कहा कि 'शिकायत होटल प्रबंधन के किसी सदस्य या स्टाफ या प्रतिवादी (डोभाल) की सुरक्षा प्रदान करने वाले किसी भी अधिकारी या एजेंट को नहीं दी गई थी, जैसा कि अदालत के आदेश के अनुसार आवश्यक है'।

अमेरिकी अदालत में खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू का एक बड़ा झूठ पकड़ा गया है। दरअसल अमेरिका की एक अदालत ने पाया है कि 12-13 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अमेरिका गए एनएसए अजीत डोभाल को किसी प्रकार का समन नहीं दिया गया। अदालत ने खालिस्तानी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू के इस दावे को खारिज कर दिया है कि वह शीर्ष भारतीय सुरक्षा अधिकारी तक नोटिस पहुंचाने में कामयाब रहे। हम आपको बता दें कि अदालत पन्नू के वकील के एक पत्र का जवाब दे रही थी, जिसमें यह भी खुलासा हुआ था कि ब्लेयर हाउस, जहां भारतीय प्रतिनिधिमंडल को ठहराया गया था, वहां की सुरक्षा कर रहे अमेरिकी सीक्रेट सर्विस एजेंटों ने समन देने आये व्यक्ति को गिरफ्तार करने की धमकी दी थी, जब उसने राष्ट्रपति के गेस्ट हाउस के बाहर जमीन पर नोटिस रखने की कोशिश की थी। समन देने आया व्यक्ति नोटिस को पास के स्टारबक्स स्टोर पर छोड़ गया था।

पत्र की समीक्षा करने के बाद, न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिले के एक न्यायाधीश ने कहा कि "शिकायत होटल प्रबंधन के किसी सदस्य या स्टाफ या प्रतिवादी (डोभाल) की सुरक्षा प्रदान करने वाले किसी भी अधिकारी या एजेंट को नहीं दी गई थी, जैसा कि अदालत के आदेश के अनुसार आवश्यक है"। हम आपको बता दें कि यह घटनाक्रम भारतीय स्थिति की पुष्टि करता है कि एनएसए अजित डोभाल को समन नहीं दिया गया था। हम आपको बता दें कि इस समन को विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने अनुचित और निराधार आरोपों पर आधारित बताया था। यह समन पिछले साल सितंबर में एक अमेरिकी अदालत में पन्नू द्वारा दायर एक दीवानी मुकदमे के जवाब में जारी किया गया था, जिसमें उसके खिलाफ कथित हत्या की साजिश के बारे में बताया गया था, जिसके लिए अमेरिकी अधिकारियों ने विकास यादव नामक एक भारतीय सरकारी एजेंट का नाम लिया था। भारत सरकार ने इस मामले की जांच की है और विकास यादव के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की सिफारिश की है। इस मामले में भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता साजिश में अपनी कथित संलिप्तता के लिए अमेरिकी हिरासत में है और उसके मामले की सुनवाई 3 नवंबर, 2025 को होगी।

इस मामले में यह भी बताया जा रहा है कि आतंकी पन्नू ने अजित डोभाल की दो दिवसीय अमेरिकी यात्रा के दौरान वाशिंगटन डीसी में समन देने के लिए 2 सर्वर और एक जांचकर्ता को काम पर रखा था। यह भी खुलासा हुआ है कि एंबिको वालेस नाम का पहला सर्वर 12 फरवरी को शाम 7.22 बजे ब्लेयर हाउस पहुंचा और पाया कि यह एक ही चेकपॉइंट से घिरा हुआ है, जिस पर सीक्रेट सर्विस एजेंटों का सख्त पहरा है। सर्वर वालेस ने एक सीक्रेट सर्विस एजेंट को कानूनी दस्तावेज दिखाया, लेकिन उसने उसे वहां जाने से कहा और कुछ ही देर में उसे चेकपॉइंट छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया। बताया जा रहा है कि अगले दिन दोपहर 12:15 बजे वेन एंग्राम नाम का एक और व्यक्ति सीक्रेट सर्विस एजेंटों के पास पहुंचा। वेन एंग्राम पिछले 15 सालों से यह काम कर रहा है लेकिन अजित डोभाल को नोटिस दे पाने की उसकी कोशिशों को सीक्रेट सर्विस ने विफल कर दिया। अमेरिकी सीक्रेट सर्विस के एजेंटों ने जब उससे कोई भी दस्तावेज लेने से साफ इंकार कर दिया तो उसने जमीन पर लिफाफा रखने की कोशिश की। ऐसे में सीक्रेट सर्विस एजेंटों ने उससे कहा कि उसने जमीन पर कुछ भी रखा तो उसे तुरंत गिरफ्तार कर लिया जायेगा। उसके बाद पन्नू के सर्वर ने सामने मौजूद स्टारबक्स कैफे के बाहर सार्वजनिक स्थान पर ही एक सीलबंद लिफाफे में समन वाले दस्तावेज छोड़ दिए।

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक कैफे में समन छोड़ने के बाद वेन एंग्राम फिर सीक्रेट सर्विस एजेंटों के पास गया और उसने बताया कि उसने समन कहां छोड़ा है। उसने अपील की कि वह इसे अजित डोभाल तक पहुँचा दें। जब यह बात अदालत को पता चली तो उसने इसे नाकाफी बताया। मीडिया रिपोर्टों में यह भी दावा किया गया है कि खालिस्तानी आतंकी पन्नू ने जिस जांचकर्ता को काम पर रखा था, उसने भी ब्लेयर हाउस के स्टाफ और सीक्रेट सर्विस से फोन पर बात की थी। उसने सभी को समझाने की काफी कोशिश की लेकिन उसकी कोई बात नहीं सुनी गयी। यहां तक कि उसे दस्तावेज भेजने के लिए कोई ईमेल आईडी भी नहीं दिया गया।

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