चीन की दुष्टता का मुंहतोड़ जवाब देने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि, उत्तराखंड के पूर्व सैनिकों ने तरुण विजय के साथ वीरों को किया याद

तरुण विजय ने कहा कि जो समाज अपने वीरों को भूल जाये उसका कोई भविष्य नहीं होता। देश में आज का दिन भारतीय नेताओं, नेहरूवादी नीतियों की पराजय का है। लेकिन हमारे सैनिकों ने बिना ऊनी जर्सियां, बिना ऊनी जुराबें, थ्री नॉट थ्री बंदूकों से चीनियों के छक्के छुड़ा दिए।
देहरादून। आज चीनी हमले की बीसवीं बरसी पर देहरादून के सैंकड़ों पूर्व सैनिकों ने शौर्य स्थल आकर वीर बलिदानी सैनिकों को स्मरण किया। यह भावभीना आयोजन शौर्य स्थल उत्तराखंड युद्ध स्मारक के अध्यक्ष तरुण विजय ने सुब एरिया कमांड के सहयोग से किया था। इसमें कर्नल सुमित सूद, ( सुब एरिया कमांड ) ने कहा कि बासठ का युद्ध चीन के विश्वासघात और भारतीय सैनिको के महान पराक्रम की याद दिलाता है। उत्तराखंड पूर्व सैनिक लीग के अध्यक्ष लेफ्टिनेंट बी एम थापा, ब्रिगेडियर की गई बहल, सूबेदार मेजर तीरथ सिंह रावत, मेजर जनरल बहुगुणा, सहित वे पूर्व सैनिक भी ए जिन्होंने बासठ के युद्ध में भाग लिया था।
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तरुण विजय ने कहा कि जो समाज अपने वीरों को भूल जाये उसका कोई भविष्य नहीं होता। देश में आज का दिन भारतीय नेताओं, नेहरूवादी नीतियों की पराजय का है। लेकिन हमारे सैनिकों ने बिना ऊनी जर्सियां, बिना ऊनी जुराबें, थ्री नॉट थ्री बंदूकों से चीनियों के छक्के छुड़ा दिए। जसवंत सिंह रावत सिर्फ इक्कीस साल का था, उसने चारसौ से ज्यादा चीन मार गिराए और देवता बन गया। आज भी जसवंत बाबा का नूरानांग अरुणाचल में मंदिर है। उत्तराखंड के हर गाँव से बासठ से युद्ध में शहीद हुए। उन शहीदों के नाम युद्ध स्मारक में शौर्य दीवार पर अंकित हैं। वे एक महीने तक कालेज स्कूल के विद्यार्थियों को यहाँ आने का निमंत्रण दे रहे हैं ताकी वे अपने वीरों को जान सकें। कर्नल यू एस ठाकुर, पूर्व आई जी ईएसएस ईएसएस कुठियाल कैप्टेन नील कुमार थापा ने भी अपने विचार व्यक्त किये और कहा बासठ को कभी भूलना नहीं चाहिए। उस समय सैनिक जीता था नेता हारे थे।
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