दिल्ली हिंसा मामले की सुनवाई कर रहे जज का ट्रांसफर, राहुल-प्रियंका ने उठाए सवाल
राहुल गांधी ने दिवंगत न्यायाधीश लोया के मामले का उल्लेख किया और सरकार पर तंज करते हुए ट्वीट किया, बहादुर न्यायाधीश लोया को याद कर रहा हूं कि जिनका तबादला नहीं किया गया था। प्रियंका ने ट्वीट कर कहा, न्यायमूर्ति मुरलीधर का मध्यरात्रि में तबादला मौजूदा शासन को देखते हुए चौंकाने वाला नहीं है।
नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एस. मुरलीधर का पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में तबादला कर दिया गया है। उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने कुछ दिन पहले ही उनके स्थानांतरण की सिफारिश की थी। न्यायमूर्ति मुरलीधर दिल्ली हिंसा मामले की सुनवाई कर रहे थे और यह अधिसूचना ऐसे दिन जारी की गई जब उनकी अगुवाई वाली पीठ ने कथित रूप से नफरत फैलाने वाले भाषणों को लेकर तीन भाजपा नेताओं के खिलाफ दिल्ली पुलिस के प्राथमिकी दर्ज नहीं करने पर ‘‘नाराजगी’’ जताई थी। विधि एवं न्याय मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि राष्ट्रपति ने प्रधान न्यायाधीश से विचार-विमर्श के बाद यह फैसला किया। अ
Supreme Court Collegium, in its meeting held on February 12 (Wednesday) had recommended the transfer of Delhi High Court judge, Justice S Muralidhar to Punjab and Haryana High Court. https://t.co/lJBTbxYaqe
— ANI (@ANI) February 26, 2020
अधिसूचना में हालांकि, यह जिक्र नहीं किया गया है कि न्यायमूर्ति मुरलीधर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में अपना कार्यभार कब संभालेंगे। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने दिल्ली हिंसा मामले में सुनवाई करने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस मुरलीधर के तबादले पर सवाल खड़े करते हुए बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि सरकार ने न्याय अवरुद्ध करने का प्रयास किया है।
Remembering the brave Judge Loya, who wasn’t transferred.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) February 27, 2020
राहुल गांधी ने दिवंगत न्यायाधीश लोया के मामले का उल्लेख किया और सरकार पर तंज करते हुए ट्वीट किया, बहादुर न्यायाधीश लोया को याद कर रहा हूं कि जिनका तबादला नहीं किया गया था। प्रियंका ने ट्वीट कर कहा, न्यायमूर्ति मुरलीधर का मध्यरात्रि में तबादला मौजूदा शासन को देखते हुए चौंकाने वाला नहीं है। लेकिन यह निश्चित तौर पर दुखद और शर्मनाक है। उन्होंने आरोप लगाया, करोड़ों भारतीय नागरिकों को न्यायपालिका पर आस्था है। न्याय को अवरुद्ध करने और लोगों का विश्वास तोड़ने का सरकार का प्रयास निंदनीय है।
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