Tirupati Laddu Controversy । जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर, Sadhguru की भी सामने आयी प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में सद्गुरु ने लिखा, 'मंदिर के प्रसाद में भक्तों द्वारा गोमांस का सेवन करना घृणित है। इसलिए मंदिरों को भक्तों द्वारा चलाया जाना चाहिए, न कि सरकारी प्रशासन द्वारा। जहाँ भक्ति नहीं है, वहाँ पवित्रता नहीं रह सकती।'
आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर के प्रसाद के लड्डुओं में पशुओं की चर्बी के कथित इस्तेमाल को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर इस मामले की विशेष जांच दल से जांच कराने का अनुरोध किया गया है। इन सब के बीच आध्यात्मिक नेता और ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने मामले पर टिप्पणी की है। उन्होंने इसे मंदिर के प्रसाद में गोमांस की चर्बी का इस्तेमाल करने को घृणित से भी बदतर बताया है।
सद्गुरु ने क्या कहा?
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में सद्गुरु ने लिखा, 'मंदिर के प्रसाद में भक्तों द्वारा गोमांस का सेवन करना घृणित है। इसलिए मंदिरों को भक्तों द्वारा चलाया जाना चाहिए, न कि सरकारी प्रशासन द्वारा। जहाँ भक्ति नहीं है, वहाँ पवित्रता नहीं रह सकती। अब समय आ गया है कि हिंदू मंदिरों को सरकारी प्रशासन द्वारा नहीं, बल्कि धर्मनिष्ठ हिंदुओं द्वारा चलाया जाए।'
Devotees consuming beef tallow in the Temple prasadam is beyond disgusting. This is why Temples should be run by Devotees, not by government administrations. Where there is no Devotion, there shall be no sanctity. Time the Hindu Temples are run by devout Hindus, not by government… https://t.co/4c53zVro7G
— Sadhguru (@SadhguruJV) September 21, 2024
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जनहित याचिका दायर कर क्या मांग की गयी?
हिंदू सेना के अध्यक्ष एवं किसान सुरजीत सिंह यादव ने उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिका दायर की है। उन्होंने कहा है कि तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ने श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में श्रद्धालुओं को घी के बजाय पशुओं की चर्बी से तैयार ‘‘लड्डू प्रसादम’’ प्रदान कर हिंदू धर्म का उपहास किया है और हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। यह याचिका आम लोगों के हित में दायर की गई है, जो वित्तीय और कानूनी रूप से पूरी तरह लैस न होने के कारण स्वयं न्यायालय तक नहीं पहुंच सकते हैं और इस प्रकार वे ‘जनहित याचिका’ का सहारा लेने की स्थिति में नहीं हैं।
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