भारतीय भाषा और संस्कृति में तिलक का विश्वास नई शिक्षा नीति में झलकता है: अमित शाह
कामकाजी वर्ग को राष्ट्रीय आंदोलन से जोड़ने में तिलक के महत्वपूर्ण योगदान का उल्लेख करते हुए शाह ने कहा कि तिलक ने लोगों को स्वतंत्रता संघर्ष से जोड़ने के लिए शिवाजी जयंती और गणेशोत्सव मनाना शुरू किया था जिसने स्वतंत्रता आंदोलन की दिशा ही बदल दी।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 29 जुलाई को नई शिक्षा नीति, 2020 को मंजूरी दी थी जिसमें स्कूली और उच्च शिक्षा में आमूल-चूल बदलाव के प्रावधान हैं। लोकमान्य तिलक की सौवीं पुण्यतिथि के अवसर पर भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) ने यहां वेबिनार का आयोजन किया। शाह ने कहा कि तिलक का प्रसिद्ध सूत्रवाक्य था कि सच्चे राष्ट्रवाद की बुनियाद संस्कृति और परंपराओं की आधारशिलाओं पर रखी होती है। उन्होंने कहा, ‘‘कोई भी सुधार यदि हमारे अतीत की अनदेखी करता है या उसका अपमान करता है तो सच्चे राष्ट्रवाद को समझने में मदद नहीं मिल सकती।’’ गृह मंत्री ने कहा कि तिलक ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को सच्चे अर्थों में पूर्णता प्रदान करने में अहम भूमिका निभाई थी और इसमें बेजोड़ योगदान दिया था। उन्होंने कहा कि तिलक का यह नारा स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में हमेशा स्वर्णाक्षरों में अंकित रहेगा ‘‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे पाकर रहूंगा।’’Addressed a webinar 'Lokmanya Tilak: Swaraj to Atmanirbhar Bharat' organized by @ICCR_Delhi on the 100th punyatithi of Lokmanya Tilak.
— Amit Shah (@AmitShah) August 1, 2020
This seminar will surely inspire the nation by connecting Modi ji's resolve of Atmanirbhar Bharat with Lokmanya Tilak ji’s vision of Swaraj. pic.twitter.com/MZ2DWHIi1G
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शाह ने कहा कि तिलक के इस नारे ने भारतीय समाज में जागरण किया और स्वतंत्रता संघर्ष को जन आंदोलन बना दिया जिसकी वजह से उनका नाम लोकमान्य तिलक पड़ गया। उन्होंने कहा कि भारत और भारतीय संस्कृति के गौरवपूर्ण इतिहास को जानना है तो तिलक के लेखन को समझना होगा। उनकी साहित्यिक कृतियों को पढ़ने से युवाओं को उनके महान व्यक्तित्व का ज्ञान होगा। कामकाजी वर्ग को राष्ट्रीय आंदोलन से जोड़ने में तिलक के महत्वपूर्ण योगदान का उल्लेख करते हुए शाह ने कहा कि तिलक ने लोगों को स्वतंत्रता संघर्ष से जोड़ने के लिए शिवाजी जयंती और गणेशोत्सव मनाना शुरू किया था जिसने स्वतंत्रता आंदोलन की दिशा ही बदल दी।
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