Pahalgam Attack में सामने आया ISI का हाथ, Pakistan Army Special Forces का पूर्व Para Commando निकला आतंकवादी Hashim Musa

हम आपको बता दें कि SSG के पैरा-कमांडो असाधारण युद्ध कौशल में प्रशिक्षित होते हैं और गुप्त अभियानों में विशेषज्ञता रखते हैं। उनका कठोर और सघन प्रशिक्षण शारीरिक क्षमता, मानसिक दृढ़ता और रणनीतिक सोच पर केंद्रित होता है।
एनआईए ने पहलगाम आतंकवादी हमले की जांच अपने हाथ में लेने के बाद से आतंकी साजिश का पता लगाने के लिए सबूतों की तलाश तेज कर दी थी और अब जो तथ्य सामने आ रहे हैं वह इस हमले के पीछे पाकिस्तान की आईएसआई का हाथ होने की ओर पूरा इशारा कर रहे हैं। हम आपको बता दें कि पहलगाम नरसंहार के पीछे पाकिस्तानी आतंकवादी हाशिम मूसा का हाथ होने की बात सामने आई है। वह पाकिस्तान सेना की स्पेशल फोर्सेज का पूर्व पैरा कमांडो हैं। हाशिम मूसा अब पाकिस्तान आधारित प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के साथ काम कर रहा एक कट्टर आतंकवादी हैं। उसको LeT के मास्टरमाइंड्स ने एक विशेष मिशन पर कश्मीर भेजा था ताकि गैर-स्थानीय लोगों और सुरक्षाबलों पर आतंकवादी हमले किए जा सकें। सुरक्षा प्रतिष्ठान के एक अधिकारी ने कहा, "यह संभव है कि उन्हें पाकिस्तान की स्पेशल सर्विस ग्रुप (SSG) जैसी स्पेशल फोर्सेज द्वारा लश्कर-ए-तैयबा को अस्थायी रूप से सौंपा गया हो।"
हम आपको बता दें कि SSG के पैरा-कमांडो असाधारण युद्ध कौशल में प्रशिक्षित होते हैं और गुप्त अभियानों में विशेषज्ञता रखते हैं। उनका कठोर और सघन प्रशिक्षण शारीरिक क्षमता, मानसिक दृढ़ता और रणनीतिक सोच पर केंद्रित होता है। SSG कमांडो अत्याधुनिक हथियारों के संचालन और हाथों-हाथ मुकाबले में माहिर होते हैं और उनमें उच्च स्तर की नेविगेशन और जीवित रहने की क्षमता होती है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मूसा की पाकिस्तान सेना की पृष्ठभूमि की पुष्टि उन 15 कश्मीरी ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs) से पूछताछ के दौरान हुई है, जो पहलगाम हमले की जांच में प्रमुख संदिग्ध बनकर सामने आए हैं। इन OGWs ने पाकिस्तानी हमलावरों को लॉजिस्टिक्स उपलब्ध कराए और रेकी (जासूसी) में मदद की थी। इसे पहलगाम आतंकी हमले में ISI की भूमिका के सबूत के रूप में देखा जा रहा है, साथ ही कश्मीर में पहले हुए हमलों में भी ISI की संलिप्तता के प्रमाण के तौर पर देखा जा रहा है। इन हमलों में अक्टूबर 2024 में गगनगीर, गांदरबल में हुआ हमला शामिल है जिसमें 6 गैर-स्थानीय नागरिक और एक डॉक्टर मारे गए थे। इसके अलावा बारामुला में हुआ हमले में भी उनकी संलिप्तता बताई जा रही है जिसमें दो सैनिक और सेना के दो पोर्टर मारे गए थे।
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मूसा इन तीनों हमलों में मुख्य साजिशकर्ता के रूप में सामने आया है। इसके अलावा, जावेद अहमद भट और अरबाज़ मीर दो अन्य स्थानीय आतंकवादी जो पाकिस्तान में प्रशिक्षित थे, वह भी गगनगीर और बारामूला हमलों में शामिल थे, लेकिन उन्हें नवंबर और दिसंबर 2024 में सुरक्षा बलों के साथ अलग-अलग मुठभेड़ों में मार गिराया गया। मूसा इसके बाद से कश्मीर में गैर-स्थानीय लोगों को निशाना बनाने के अपने आतंकी मिशन को आगे बढ़ाने में जुट गया था और बैसरन में 26 नागरिकों जिनमें 25 पर्यटक शामिल थे, की हत्या कर बड़ी वारदात को अंजाम दिया।
हम आपको यह भी बता दें कि पहलगाम हमले की जांच से दक्षिण कश्मीर में OGWs और आतंकवादी मददगारों के एक स्थानीय नेटवर्क की संलिप्तता का भी खुलासा हुआ है, जिन्होंने हमलावरों का मार्गदर्शन किया, उन्हें आश्रय उपलब्ध कराया और संभवतः हमले में प्रयुक्त हथियारों को लाने ले जाने में भी मदद की। बताया जा रहा है कि हमले की जगह का विस्तृत सर्वेक्षण स्थानीय लोगों की मदद से किया गया। इस दौरान आतंकवादियों के हमले से पहले और बाद में छिपने के स्थानों की पहचान की गई। हम आपको बता दें कि अब तक की जानकारी में दो पाकिस्तानी आतंकवादियों- हाशिम मूसा और अली भाई और दो स्थानीय आतंकियों- आदिल ठोकर और आसिफ शेख की भूमिका की पुष्टि हुई है, जबकि OGWs से पूछताछ के दौरान और भी पाकिस्तानी आतंकवादियों की संलिप्तता के संकेत मिले हैं।
हम आपको यह भी बता दें कि एनआईए की एक टीम सबूत जुटाने के लिए गत बुधवार से ही आतंकी हमले वाली जगह पर डेरा डाले हुए हैं। एनआईए के एक बयान में कहा गया, ‘‘एनआईए की टीम आतंकवादियों के बारे में सुराग हासिल करने के लिए प्रवेश और निकास बिंदुओं की गहन जांच कर रही हैं। फॉरेंसिक और अन्य विशेषज्ञों की सहायता से टीम पूरे इलाके की गहन जांच कर रही हैं, ताकि उस आतंकी साजिश का पर्दाफाश किया जा सके, जिसके कारण यह भयावह हमला हुआ। इस हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया है।’’ हम आपको बता दें कि कश्मीर में हुए सबसे भीषण आतंकवादी हमलों में से एक को अंजाम देने वाले घटनाक्रम की कड़ियों को जोड़ने के लिए प्रत्यक्षदर्शियों से भी बारीकी से पूछताछ की जा रही है।
अधिकारियों ने बताया कि एनआईए अधिकारियों की अलग-अलग टीम आतंकवादी हमले में जीवित बचे लोगों से जानकारी लेने के लिए देश भर का दौरा कर रही हैं। बताया जा रहा है कि यह हमला पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) द्वारा कराया गया था। उन्होंने बताया कि एनआईए की टीम ने महाराष्ट्र, ओडिशा और पश्चिम बंगाल सहित अन्य राज्यों में पीड़ितों के परिवार के सदस्यों के बयान दर्ज किए हैं। उन्होंने बताया कि इस नृशंस आतंकवादी हमले की प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि इसमें शामिल आतंकवादियों की संख्या पांच से सात तक थी। अधिकारियों ने बताया कि हमलावरों को पाकिस्तान में प्रशिक्षण प्राप्त कम से कम दो स्थानीय आतंकवादियों से भी मदद मिली थी।
सुरक्षा एजेंसियों ने हमले में संलिप्तता के संदेह में तीन आतंकवादियों के रेखाचित्र जारी किए हैं। उन्होंने बताया कि तीनों पाकिस्तानी हैं और इनके नाम आसिफ फौजी, सुलेमान शाह और अबू तल्हा हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने आतंकवादियों के बारे में सूचना देने वाले को 20-20 लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की है। अधिकारियों ने प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से बताया कि जांच से पता चला है कि आतंकवादियों ने अपने बर्बर कृत्य को रिकॉर्ड करने के लिए ‘बॉडी कैमरों’ का इस्तेमाल किया था।
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