'अधिका​री तो छोड़िए, एक कर्मचारी तक उनकी बात नहीं सुनता', तेजस्वी यादव का नीतीश कुमार पर सबसे बड़ा हमला

Tejashwi Yadav
ANI
अंकित सिंह । Jul 10 2024 3:27PM

अब नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार के हाथ जोड़ने और पैर छूने पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने एक्स पोस्ट में लिखा कि पूरे विश्व में इतना असहाय, अशक्त, अमान्य, अक्षम, विवश, बेबस, लाचार और मजबूर कोई ही मुख्यमंत्री होगा जो BDO, SDO, थानेदार से लेकर वरीय अधिकारियों और यहाँ तक कि संवेदक के निजी कर्मचारी के सामने बात-बात पर हाथ जोड़ने और पैर पड़ने की बात करता हो?

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एक वीडियो ने सोशल मीडिया पर तेजी से ध्यान आकर्षित किया है। फुटेज में नीतीश कुमार को एक इंजीनियर से पूछते हुए देखा जा सकता है, 'मुझे बताओ, क्या मुझे आपके पैर छूने चाहिए?' जैसे ही वह आगे बढ़ते हैं, इंजीनियर पीछे हट जाता है और विनम्रता से मना कर देता है। नीतीश कुमार बिहार की राजधानी पटना में जेपी गंगा पथ पर गाय घाट से कंगना घाट तक 3.4 किलोमीटर लंबे पुल के उद्घाटन में शामिल हो रहे थे। नीतीश कुमार पुलों के निर्माण में देरी पर नाराजगी जता रहे थे।

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अब नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार के हाथ जोड़ने और पैर छूने पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने एक्स पोस्ट में लिखा कि पूरे विश्व में इतना असहाय, अशक्त, अमान्य, अक्षम, विवश, बेबस, लाचार और मजबूर कोई ही मुख्यमंत्री होगा जो BDO, SDO, थानेदार से लेकर वरीय अधिकारियों और यहाँ तक कि संवेदक के निजी कर्मचारी के सामने बात-बात पर हाथ जोड़ने और पैर पड़ने की बात करता हो? उन्होंने कहा कि बिहार में बढ़ते अपराध, बेलगाम भ्रष्टाचार, पलायन एवं प्रशासनिक अराजकता का मुख्य कारण यह है कि एक कर्मचारी तक (अधिकारी तो छोड़िए) मुख्यमंत्री की नहीं सुनता? क्यों नहीं सुनता और क्यों नहीं आदेशों का पालन करता, यह विचारनीय विषय है? हालाँकि इसमें कर्मचारी व अधिकारियों का अधिक दोष भी नहीं है।

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राजद नेता ने कहा कि एक कमजोर बेबस मुख्यमंत्री के कारण “बिहार में होना वही है जो “चंद” सेवारत और “सेवानिवृत्त” अधिकारियों ने ठाना है” क्योंकि अधिकारी भी जानते है कि ये 43 सीट वाली तीसरे नंबर की पार्टी के मुख्यमंत्री है। उन्होंने तंज भरे लहजे में कहा कि जब शासन में इक़बाल खत्म हो जाए हो और शासक में आत्मविश्वास ना रहे तब उसे सिद्धांत, जमीर और विचार किनारे रख ऊपर से लेकर नीचे तक बात-बात पर ऐसे ही पैर पड़ना पड़ता है। बहरहाल हमें कुर्सी की नहीं बल्कि बिहार और 14 करोड़ बिहारवासियों के वर्तमान और भविष्य की चिंता है। 

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