Supreme Court ने 4 साल से अधिक समय से हिरासत में बंद UAPA के आरोपी को जमानत दी, कहा- मुकदमे के जल्द खत्म होने की संभावना नहीं

Supreme Court
ANI
रेनू तिवारी । Sep 2 2024 12:35PM

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के साथ कथित संबंधों को लेकर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत आरोपी एक व्यक्ति को जमानत दी, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि वह 6 मई, 2020 से हिरासत में है, और मुकदमे का जल्द खत्म होना संभव नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के साथ कथित संबंधों को लेकर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत आरोपी एक व्यक्ति को जमानत दी, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि वह 6 मई, 2020 से हिरासत में है, और मुकदमे का जल्द खत्म होना संभव नहीं है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने यह भी नोट किया कि 14 सह-आरोपियों में से 12 को जमानत दे दी गई है।

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कोर्ट मुकेश सलाम नामक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर विचार कर रहा था, जिस पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम, 1967 की धारा 10, 13, 17, 38(1)(2), 40, 22-ए और 22-सी के तहत अपराध का आरोप लगाया गया है; छत्तीसगढ़ विशेष जन सुरक्षा अधिनियम, 2005 की धारा 8(2)(3)(5) तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 201 और 149/34 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा जमानत देने से इनकार करने के बाद उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में अपील की। ​​अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि मुकेश सलाम नक्सली कमांडर राजू सलाम का मामा था तथा राजू सलाम के साथ सीधे तथा निरंतर संपर्क में था तथा उसे सामग्री उपलब्ध कराता था। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा उद्धृत 100 गवाहों में से अब तक केवल 40 गवाहों की ही जांच की गई है।

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न्यायालय ने कहा, "उपर्युक्त परिस्थितियों और कथित मामले की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए, हमारा विचार है कि याचिकाकर्ता को लगातार हिरासत में रखने से न्याय का उद्देश्य पूरा नहीं होगा। मुकदमे के जल्द समाप्त होने की कोई संभावना नहीं है। याचिकाकर्ता 6 मई 2020 से हिरासत में है। हम तदनुसार आदेश देते हैं और निर्देश देते हैं कि याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा किया जाए, जो कि विशेष न्यायाधीश (एनआईए अधिनियम), कांकेर द्वारा एफआईआर संख्या 9/2020 के संबंध में लगाए जा सकने वाले नियमों और शर्तों के अधीन हो।"

मामला : मुकेश सलाम बनाम छत्तीसगढ़ राज्य

उद्धरण : 2024 लाइवलॉ (एससी) 641

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