Supreme Court ने इस वर्ष निपटाए कुल 52191 मामले, जम्मू कश्मीर और समलैंगिक विवाह से जुड़े मामले भी थे शामिल

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वर्ष 2017 में आईसीएमआईएस (इंटीग्रेटेड केस मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम) लागू होने के बाद से, 2023 में सर्वाधिक मामलों का निपटारा किया गया है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने मामलों को दाखिल करने और सूचीबद्ध करने के लिए आवश्यक समय-सीमा को दुरुस्त किया है।

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने 2023 में52,191 मामलों का निपटारा किया है, जिनमें पूर्ववर्ती राज्य जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधान खत्म करने के केंद्र के फैसले को मंजूरी देने वाली ऐतिहासिक व्यवस्था तथा समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने से इनकार करना शामिल है।

शीर्ष अदालत द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, निपटाए गए मामलों की संख्या पूरे वर्ष के दौरान इसकी रजिस्ट्री में दायर किए गए 49,191 मामलों से 3,000 अधिक रही। न्यायालय की एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘एक और उपलब्धि में, भारत के उच्चतम न्यायालय ने एक जनवरी, 2023 से 15 दिसंबर, 2023 तक 52,191 मामलों का निपटारा किया। इनमें 45,642 विविध मामले और लगभग 6,549 नियमित मामले शामिल हैं।’’

विज्ञप्ति में कहा गया है ‘‘वर्ष 2023 में कुल 49,191 मामले पंजीकृत हुए और 52,191 का निपटारा किया गया। इससे पता चलता है कि इस वर्ष उच्चतम न्यायालय ने 2023 के दौरान दर्ज मामलों की तुलना में अधिक मामलों का निपटान किया।’’ वर्ष 2017 में आईसीएमआईएस (इंटीग्रेटेड केस मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम) लागू होने के बाद से, 2023 में सर्वाधिक मामलों का निपटारा किया गया है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने मामलों को दाखिल करने और सूचीबद्ध करने के लिए आवश्यक समय-सीमा को दुरुस्त किया है।

विज्ञप्ति में कहा गया है ‘‘उनके कार्यकाल में, मामलों को सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया में उल्लेखनीय बदलाव आया। मामले के सत्यापन के बाद सूचीबद्ध होने तथा दाखिल करने तक का समय 10 दिन से घटाकर सात से पांच दिन कर दिया गया है।’’ इसमें कहा गया है ‘‘इसके अतिरिक्त, उच्चतम न्यायालय ने मामलों की अधिक संख्या को देखते हुए विभिन्न कदम उठाए जिससे कानूनी विवादों के समाधान में तेजी आई। मामलों की विशिष्ट श्रेणियों को देखते हुए निपटारे के लिए विशेष पीठों का गठन किया गया, जिससे अधिक विशिष्ट और कुशल न्याय प्रक्रिया को बढ़ावा मिला।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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