उच्चतम न्यायालय ने यूजीसी को रैगिंग, भेदभाव पर मसौदा नियम अधिसूचित करने की अनुमति दी

 Supreme Court
ANI

पीठ ने कहा, ‘‘इसके मद्देनजर, हम यह स्पष्ट करना उचित समझते हैं कि यूजीसी मसौदा विनियम 2025 को अंतिम रूप देने के लिए आगे बढ़ सकता है और उसे अधिसूचित कर सकता है।’’

उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को वर्ष 2025 के मसौदा नियम को अधिसूचित करने की अनुमति दे दी। ये नियम उच्च शिक्षण संस्थानों में रैगिंग, यौन उत्पीड़न और जाति, लिंग, दिव्यांगता तथा अन्य पूर्वाग्रहों के आधार पर भेदभाव को मिटाने के लिए हैं।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने 24 मार्च के फैसले पर गौर किया, जिसमें ऐसे संस्थानों में छात्रों की आत्महत्या के मामलों पर विचार किया गया था और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए छात्रों की मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को दूर करने की खातिर एक राष्ट्रीय कार्य बल (एनटीएफ) का गठन किया गया था।

पीठ ने कहा, ‘‘इसके मद्देनजर, हम यह स्पष्ट करना उचित समझते हैं कि यूजीसी मसौदा विनियम 2025 को अंतिम रूप देने के लिए आगे बढ़ सकता है और उसे अधिसूचित कर सकता है।’’

अदालत ने कहा कि, जैसा कि इस अदालत ने अमित कुमार के मामले में (24 मार्च के फैसले में) कहा था, ये नियम एनटीएफ की सिफारिशों के अतिरिक्त हैं। पीठ एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया था कि एनटीएफ की सिफारिशों और शीर्ष अदालत द्वारा विचार किए जाने तक, याचिकाकर्ताओं या किसी जनहितैषी व्यक्ति को यूजीसी द्वारा अधिसूचित किए जाने वाले नियमों में उपयुक्त चीजें जोड़ने या हटाने का सुझाव देने के लिए उचित याचिका दायर करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह कहने की जरूरत नहीं है कि ऐसे सुझावों पर विचार किया जाएगा।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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