स्टिंग मामला : सीबीआई आवाज का नमूना देने के लिए हरीश रावत को दे सकती है नयी तारीख
दो दिन पहले हल्द्वानी से काशीपुर जाते समय रावत की कार सड़क के बीच बने डिवाइडर से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गयी थी, जिसमें उन्हें कुछ झटके लगे थे। बाद में गर्दन और कमर में दर्द की शिकायत के बाद उन्हें जौलीग्रांट अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां चिकित्सकों ने उन्हें बीस दिन के पूर्ण आराम की सलाह दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी नयी दिल्ली से लौटते ही सीधे जौलीग्रांट अस्पताल पहुंचे और रावत से मिलकर उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली। धामी ने उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना की।
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देते हुए 2016 के ‘स्टिंग ऑपरेशन’ मामले में अपनी आवाज का नमूने देने के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से नयी तारीख देने का अनुरोध किया है, जिस पर एजेंसी विचार कर सकती है। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। सड़क दुर्घटना के बाद देहरादून के एक अस्पताल में भर्ती रावत को उस समय झटका लगा जब सीबीआई उन्हें समन देने के लिए अस्पताल पहुंच गई। इस पर रावत ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, ‘वाह, सीबीआई ! पूर्व केंद्रीय मंत्री ने जांच एजेंसी पर तंज कसते हुए सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘जौलीग्रांट हॉस्पिटल में मेरे स्वास्थ्य की जानकारी लेने के लिए एक बड़ी महत्वपूर्ण संस्था भी आई, सीबीआई के दोस्त आये और उन्होंने मुझे एक नोटिस दिया, तो मुझे बड़ा ताज्जुब हुआ।’’
रावत ने तंज कसते हुए कहा कि अस्पताल में लोग उनका हाल चाल पूछने के लिए आ रहे हैं, तो सीबीआई को भी लगा होगा कि उनसे देश की अखंडता, एकता, सुरक्षा और लोकतंत्र को कुछ ज्यादा खतरा है, इसलिए उन्होंने हॉस्पिटल में ही नोटिस दे दिया। अधिकारियों ने कहा कि सड़क दुर्घटना के बाद एक अस्पताल में स्वास्थ्य लाभ कर रहे रावत ने अपने स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों का हवाला देते हुए सीबीआई से नयी तारीख मांगी है, जिस पर एजेंसी ‘‘विचार कर सकती है।’’ इससे पहले, रावत के मीडिया सलाहकार सुरेंद्र कुमार ने बताया था कि नोटिस में सीबीआई ने रावत को सात नवंबर को अपनी आवाज का नमूना देने के लिए ब्यूरो के देहरादून कार्यालय में बुलाया है। ‘स्टिंग ऑपरेशन’ मामले में विशेष सीबीआई अदालत के विशेष न्यायाधीश धर्मेंद्र अधिकारी ने 18 जुलाई को रावत तथा तीन अन्य नेताओं, राज्य के पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत, द्वाराहाट से कांग्रेस विधायक मदन बिष्ट तथा स्टिंग करने वाले पत्रकार और अब खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश शर्मा को अपनी आवाज के नमूने देने के आदेश दिए थे।
इससे पहले 15 जुलाई को मामले की सुनवाई के दौरान उमेश शर्मा को छोड़कर सभी नेताओं के वकीलों ने इस आधार पर सीबीआई द्वारा आवाज के नमूने मांगने पर सवाल उठाया था कि मामले से संबंधित एक याचिका उत्तराखंड उच्च न्यायालय में लंबित है, जिसके 27 जुलाई को अपना फैसला सुनाने की संभावना है। वर्ष 2016 में 10 कांग्रेस विधायकों के हरीश रावत के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ बगावत करने और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से हाथ मिलाने के बाद यह ‘स्टिंग ऑपरेशन’ सामने आया था। इस स्टिंग में सुनाई दे रही आवाजों का मिलान करने के लिए सीबीआई ने अदालत से इजाजत मांगी थी। स्टिंग वीडियो में अपनी सरकार बचाने के लिए रावत असंतुष्ट विधायकों का समर्थन फिर से हासिल कर सत्ता में बने रहने के लिए कथित तौर पर सौदेबाजी करते नजर आ रहे थे। वीडियो सामने आने के बाद राज्य की राजनीति में भूचाल आ गया था। उस वक्त कांग्रेस विधायकों की बगावत के बाद बनी परिस्थितियों में राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था।
हालांकि, उच्चतम न्यायालय के आदेश पर विधानसभा में हुए शक्तिपरीक्षण में बहुमत हासिल करके रावत सरकार फिर बहाल हो गयी थी, लेकिन इसमें बागी विधायकों को मत डालने के अधिकार से वंचित कर दिया गया था। दो दिन पहले हल्द्वानी से काशीपुर जाते समय रावत की कार सड़क के बीच बने डिवाइडर से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गयी थी, जिसमें उन्हें कुछ झटके लगे थे। बाद में गर्दन और कमर में दर्द की शिकायत के बाद उन्हें जौलीग्रांट अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां चिकित्सकों ने उन्हें बीस दिन के पूर्ण आराम की सलाह दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी नयी दिल्ली से लौटते ही सीधे जौलीग्रांट अस्पताल पहुंचे और रावत से मिलकर उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली। धामी ने उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना की।
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