इंदौर से सतना भेजे गए बंदी मिले संक्रमित, कमलनाथ ने स्थानांतरण पर हैरानी जताई

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मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि बड़ा ही आश्चर्यजनक है कि जब प्रदेश में लॉकडाउन है , कई जिलों में कर्फ़्यू है , कई जिलों की सीमाएं सील हैं, कोरोना के संक्रमण को देखते हुए आमजन को भी एक ज़िले से दूसरे ज़िले में जाने की इजाज़त नहीं है।

भोपाल। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने लॉकडाउन के बावजूद रासुका के बंदियों को इन्दौर से सतना जिले में स्थानांतरित करने के निर्णय पर आश्चर्य व्यक्त किया और कहा कि इससे तो संक्रमण अन्य जिलों में भी फैलेगा। गौरतलब है कि इनमें से कुछ कैदियों को जांच में कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया है। वहीं इन बंदियों को विंध्य इलाके में भेजने का क्षेत्र के लोग भी विरोध कर रहे हैं। क्योंकि इससे पहले सतना और रीवा जिले में अब तक संक्रमण का कोई मामला नहीं है। कमलनाथ ने रविवार को ट्वीट किया, ‘‘बड़ा ही आश्चर्यजनक है कि जब प्रदेश में लॉकडाउन है , कई जिलों में कर्फ़्यू है , कई जिलों की सीमाएं सील हैं, कोरोना के संक्रमण को देखते हुए आमजन को भी एक ज़िले से दूसरे ज़िले में जाने की इजाज़त नहीं है और ऐसे में इंदौर से रासुका के अपराधियों को सतना भेज दिया गया और वे कोरोना वायरस से संक्रमित निकले। इससे तो कोरोना वायरस का संक्रमण अन्य जिलों में भी फैलेगा।’’ 

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इन्दौर में कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए चुनौतीपूर्ण माहौल में अपनी ड्यूटी को अंजाम देते वक्त स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और पुलिसकर्मियों से कथित दुर्व्यवहार करने और पथराव करने वालों को रासुका के तहत गिरफ्तार कर इन्दौर से जबलपुर और सतना की जेलों में भेजा गया था। इनमें से तीन बंदियों में कोविड-19 के संक्रमण की पुष्टि होने के बाद जबलपुर और सतना में दहशत फैल गई है। सतना जिला कलेक्टर अजय कटेसरिया ने रविवार को बताया कि दो बंदियों को इन्दौर से सतना भेजा गया था। रविवार को आई जांच रिपोर्ट में दोनों में कोविड-19 संक्रमण की पुष्टि हुई है। दोनों बंदियों को उपचार के लिए मेडिकल कॉलेज रीवा में भर्ती कराया गया है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा सतना में कोरोना का अब तक कोई मरीज नहीं पाया गया था। इन दोनों के संपर्क में आए लोगों को पृथकवास में भेजा जा रहा है। हालांकि एहतियात के तौर पर यहां लाने के बाद इन कैदियों को जेल में अलग सेल में रखा गया था।

इससे पहले जबलपुर में इन्दौर से भेजे गये एक कैदी की जांच में शनिवार को कोरोना संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी। इसके बाद जबलपुर जिला प्रशासन ने प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों से आग्रह किया था कि फिलहाल इन्दौर या भोपाल से किसी अन्य कैदी को यहां नहीं भेजा जाए। जबलपुर के जिला कलेक्टर भरत यादव ने बताया कि इन्दौर से भेजे गए रासुका के चार बंदियों में से एक कोरोना वायरस का मरीज है जबकि तीन बंदियों में कोरोना का संक्रमण नहीं है। यादव ने कहा, ‘‘हमने प्रदेश के उच्च अधिकारियों से अनुरोध किया है कि इन्दौर और भोपाल की जेलों में बंद कैदियों को फिलहाल जबलपुर केन्द्रीय जेल में स्थानांतरित नहीं किया जाए।’’ उन्होंने कहा कि यह अनुरोध इसलिए किया गया है क्योंकि संक्रमित कैदियों के कारण पुलिसकर्मियों में भी संक्रमण फैल सकता है और इससे जबलपुर में स्थिति बिगड़ सकती है। इसबीच, कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को रीवा मेडिकल कॉलेज में भेजने का दवा दुकान मालिकों सहित रीवा के लोगों ने विरोध करते हुए दवा दुकानें अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा की है। 

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रीवा के एक दवा व्यापारी राहुल गुप्ता नेकहा,‘‘ अब यहां दहशत का वातावरण है। हम लोगों की सुविधा के लिए दुकान खोलते थे लेकिन अब कोरोना वायरस के यहां फैलने का खतरा बढ़ गया है, इसलिए हम अपनी दुकानें अनिश्चितकाल के लिए बंद कर रहे हैं।’’ कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे पुष्पराज सिंह ने कहा,‘‘ हमने यहां लॉकडाउन का पूरी तरह से पालन किया लेकिन इस निर्णय ने यहां स्थिति को पूरी तरह से बदल दिया है। कोरोना वायरस के मरीजों को इन्दौर से सतना और फिर रीवा नहीं भेजा जाना चाहिए था। हमारी मांग है कि इन कैदियों को रीवा से भोपाल या इन्दौर वापस भेजा जाए।’’ प्रदेश कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष कविता पांडे ने भी सरकार के इस फैसले को गलत बताया। उन्होंने कहा,‘‘ भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रीवा के लोगों के साथ यह सही नहीं किया। हम इसका पुरजोर विरोध करेंगे।’’ उन्होंने क्षेत्र के भाजपा विधायकों, सांसदों और नेताओं से इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री से बात करने का भी अनुरोध किया।

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