Yes Milord: मुसलमानों पर हमलों की शिकायत पर SC का केंद्र राज्य को नोटिस, मंदिरों-गुरुद्वारा से जुड़ी याचिका से कोर्ट ने बनाई दूरी

SC
Prabhasakshi
अभिनय आकाश । Oct 21 2023 4:08PM

इस हफ्ते यानी 16 अक्टूबर से 21 अक्टूबर तक क्या कुछ हुआ? कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट और टिप्पणियों का विकली राउंड अप आपके सामने लेकर आए हैं। कुल मिलाकर कहें तो आपको इस सप्ताह होने वाले भारत के विभिन्न न्यायालयों की मुख्य खबरों के बारे में बताएंगे।

सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोअर कोर्ट तक के वीकली राउंड अप में इस सप्ताह कानूनी खबरों के लिहाज से काफी उथल-पुथल वाला रहा है। सुप्रीम कोर्ट पीएमएलए कानून की समीक्षा करेगा। गिरफ्तारी और संपत्ति कुर्की के अधिकार पर भी उठे सवाल। सुप्रीम कोर्ट ने कॉलिजियम की सिफारिशों पर केंद्र के रवैये से नाराजगी जताई है। राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाली को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता पर सुप्रीम कोर्ट ने जुर्माना लगाया। सीपीआई की महिला शाखा ने मुसलमानों पर हमलों की को लेकर किया सुप्रीम कोर्ट का रूख। हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध धार्मिक संस्थानों की संपत्ति के रखरखाव और प्रबंधन की जनहित याचिका पर नाराज हुआ सुप्रीम कोर्ट। इस हफ्ते यानी 16 अक्टूबर से 21 अक्टूबर तक क्या कुछ हुआ? कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट और टिप्पणियों का विकली राउंड अप आपके सामने लेकर आए हैं। कुल मिलाकर कहें तो आपको इस सप्ताह होने वाले भारत के विभिन्न न्यायालयों की मुख्य खबरों के बारे में बताएंगे।

इसे भी पढ़ें: Money Laundering: तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी की जमानत याचिका पर सुनवाई को तैयार होगा सुप्रीम कोर्ट, 30 अक्टूबर की तय की तारीख

कॉलेजियम के ठंडे बस्‍ते में पड़ी सिफारिशों को 'बाहर निकालना' होगा

सुप्रीम कोर्ट कलीजियम की सिफारिश के बाद केंद्र सरकार द्वारा कुछ नाम को अधिसूचित किए जाने और कुछ को छोड़े जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इससे वरिष्ठता प्रभावित होती है। जस्टिस कौल ने कहा, यह नहीं होना चाहिए। इससे जजों के लिए लोग नाम वापस ले लेते हैं और हम अच्छे कैंडिडेट खो देते हैं। मामले में अगली है सुनवाई 7 नवंबर को होगी । सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा गया है कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के 2021 के जजमेंट का पालन नहीं कर रही है, जिसमें कहा गया था कि कलीजियम सिफारिश से जजों के नामों को अधिसूचित करने के लिए एक टाइमलाइन बनाया जाए। याचिका पर शीर्ष अदालत में सुनवाई चल रही है। हाल ही में केंद्र सरकार ने सिफारिश से कई नाम क्लियर किए गए हैं और कई जजों के ट्रांसफर से संबंधित नोटिफिकेशन जारी किए गए हैं।

ईडी के गिरफ्तारी और संपत्ति जब्त करने के अधिकार की समीक्षा करेगा SC

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पीएमएलए के बारे में ईडी की शक्तियों को बरकरार रखने के 2022 के फैसले पर पुनर्विचार में केवल कानूनी मुद्दे ही शामिल होंगे। कोर्ट ने इस बात पर गौर करने का फैसला किया है कि क्या पीएलएलए के तहत गिरफ्तारी और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल संपत्तियों को कुर्क करने की ईडी की शक्तियों को बरकरार रखने वाले उसके पिछले साल के फैसले पर पुनर्विचार की आवश्यकता है? कोर्ट ने यह भी कहा कि वह व्यक्तिगत मामलों पर गौर नहीं करेगा। पीठ ने एक व्यक्ति द्वारा दायर अंतरिम अर्जी पर सुनवाई करते हुए यह बात कही, जिसे ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तलब किया है। पिछले साल के अपने फैसले में, शीर्ष अदालत ने पीएमएलए के तहत गिरफ्तारी, मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल संपत्ति की कुर्की, तलाशी और जब्ती की ईडी की शक्तियों को बरकरार रखा था।

राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाली को चुनौती

सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता की बहाली को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका खारिज कर दी और याचिकाकर्ता पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि याचिका कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है क्योंकि याचिकाकर्ता के किसी भी मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं किया गया है। शीर्ष अदालत गांधी की सदस्यता की बहाली को चुनौती देने वाली वकील अशोक पांडे की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा 4 अगस्त को 'मोदी' उपनाम पर एक टिप्पणी से संबंधित मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने के बाद लोकसभा सचिवालय ने गांधी की सदस्यता बहाल कर दी थी। कांग्रेस नेता, जिन्हें मार्च 2023 में निचले सदन से अयोग्य घोषित कर दिया गया था, को वायनाड सांसद के रूप में बहाल किया गया था।

इसे भी पढ़ें: Pakistan में एक और हिंदू लड़की का जबरन कराया गया निकाह, कोर्ट ने भी नहीं सुनी पीड़िता की फरियाद

सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को गो रक्षकों की हिंसा पर नोटिस भेजा

सुप्रीम कोर्ट ने सीपीआई की महिला शाखा के नए दावों पर सभी राज्यों से प्रतिक्रिया मांगी कि देश भर में गौरक्षक समूहों द्वारा घृणा अपराध और मुसलमानों की कथित हत्या बढ़ रही है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने तीन महीने पहले इस मुद्दे पर अपनी जनहित याचिका पर संज्ञान लिया था। सीपीआई की वुमेन विंग महिला राष्ट्रीय महासंघ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति पी के मिश्रा की पीठ को सूचित किया कि मांस और मवेशियों का परिवहन करने वाले लोगों को गो रक्षक समूहों द्वारा पीटा जा रहा है और फिर पुलिस घायल व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करती है। उन्हें आरोपी बना रहे हैं। 28 जुलाई को न्यायमूर्ति गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र और छह राज्यों महाराष्ट्र, ओडिशा, बिहार, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश से जनहित याचिका पर जवाब मांगा था, जिसमें दावा किया गया था कि मुसलमानों के खिलाफ लिंचिंग के मामलों में खतरनाक वृद्धि हुई है। दावा किया गया था कि सुप्रीम कोर्ट के 2018 के फैसले के बावजूद मुसलमानों के खिलाफ हत्याओं के मामलों में 'खतरनाक वृद्धि' हुई है। 

मंदिरों-गुरुद्वारा से जुड़ी याचिका से सुप्रीम कोर्ट ने क्यों बनाई दूरी

सुप्रीम कोर्ट ने उस जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें हिंदुओं, जैनियों, बौद्धों और सिखों को मुसलमानों, पारसियों और ईसाइयों की तरह अपने धार्मिक स्थलों की स्थापना, प्रबंधन और रखरखाव का अधिकार देने की मांग की गई थी। कोर्ट ने कहा कि यह नीति का मामला है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने व्यक्तिगत रूप से याचिकाकर्ता, वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय से कहा कि वह इतनी सामान्य प्रार्थना वाले मामले पर विचार नहीं कर सकते। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ता से कहा कि अपनी जनहित याचिका की प्रार्थना तो देख लीजिए। प्रार्थना ऐसी होनी चाहिए जिस पर हम विचार कर सकें। आपकी प्रार्थना तो लोकप्रियता पाने और मीडिया में बने रहने के लिए है।

इसे भी पढ़ें: फिर गरमाया Sushant Singh Rajput के मौत का मामला, आदित्य ठाकरे ने High Court में दायर की यह याचिका

समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला

सुप्रीम कोर्ट द्वारा 3-2 के फैसले में समलैंगिक विवाह को कानूनी रूप से मान्यता देने से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली संविधान पीठ ने कहा कि ऐसा कानून बनाना संसद का क्षेत्र है और अदालतें केवल उनकी व्याख्या कर सकती हैं। इसमें यह भी माना गया कि गैर-विषमलैंगिक जोड़ों को संयुक्त रूप से बच्चा गोद लेने का अधिकार नहीं दिया जा सकता है। सीजेआई के अलावा जस्टिस संजय किशन कौल, एस रवींद्र भट, हिमा कोहली और पीएस नरसिम्हा की पीठ ने केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि समलैंगिक समुदाय के साथ भेदभाव न किया जाए।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़