सत्ता में दीदी की वापसी के दरवाजे बंद करने के लिए एक्टिव मोड में संघ का सिपाही
कुछ चेहरों की भूमिका बेहद अहम रही है जो पर्दे के पीछे रहकर बंगाल की सियासी जमीन को बीजेपी के लिए मुफीद बनाने में लगे हैं। ऐसा ही नाम है आरएसएस के प्रचारक रहे शिव प्रकाश का जो 2014 में बीजेपी में एंट्री करने के बाद से ही पार्टी की जड़ों को मजबूत करने का काम बखूबी किया।
पश्चिम बंगाल में भले ही बीजेपी, तृणमूल कांग्रेस से आमने-सामने की लड़ाई में लोहा ले रही हो। लेकिन इस बार सत्ता में दीदी की वापसी के दरवाजे बंद करने के लिए आरएसएस भी फुल एक्टिव मोड में है। जब भी जिक्र बंगाल का होता है तो तीखी बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप की चर्चा होती है। पीएम मोदी की ब्रिगेड से हुंकार, अमित शाह का शंखनाद और कैलाश विजयवर्गीय द्वारा अन्य दलों से आए नेताओं का बीजेपी में स्वागत। ये कुछ प्रमुख चेहरे हैं जिससे लगभग हर कोई परिचित है। लेकिन दीदी के मुकाबिल बीजेपी को बराबरी पर लाकर खड़ा करने में कुछ चेहरों की भूमिका बेहद अहम रही है जो पर्दे के पीछे रहकर बंगाल की सियासी जमीन को बीजेपी के लिए मुफीद बनाने में लगे हैं। ऐसा ही नाम है आरएसएस के प्रचारक रहे शिव प्रकाश का जो 2014 में बीजेपी में एंट्री करने के बाद से ही पार्टी की जड़ों को मजबूत करने का काम बखूबी किया और इस काम में एबीवीपी के पूर्व नेता अरविंद मेनन उनका साथ दिया।
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दिसंबर के महीने में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने शिवप्रकाश से दिल्ली से बाहर निकलकर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना के साथ बंगाल पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा। हालांकि बंगाल के सियासी घमासान के बाद वह व्यावहारिक तौर पर स्थायी रूप से बंगाल में ही ढेरा डालने पर मजबूर हो गए। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में उन्होंने बताया कि भाजपा में आने के बाद शिव प्रकाश ने राज्य में 60% से अधिक समय बिताया। पिछले चार महीनों से अधिक समय से वह केवल पार्टी की बैठकों में भाग लेने के लिए ही दिल्ली आए। बंगाल में काम के दौरान उन्होंने बंगाली बोलनी सीखी और सूबे के सियासी गणित को भी बखूबी समझा। बंगाल आने के बाद शिवप्रकाश ने 17 हजार से ज्यादा शॉर्ट वर्कर बनाएं इसके साथ ही 78 हजार बूछों के लिए कमेटियां गठित की। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के रहने वाले शिवप्रकाश ठाकुर परिवार से आते हैं। 1986 में उन्हें संघ प्रचारक बनाया गया। 2000 में वो उत्तराखंड के प्रांत प्रचारक रहे। फिर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रचारक बने। 2014 में शिव प्रकाश की बीजेपी में एंट्री होती है और उन्हें ज्वाइंट सेक्रेटरी बनाया जाता है।
राष्ट्रीय महासचिव और बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय राज्य में बीजेपी का सार्वजनिक चेहरा हैं वहीं शिवप्रकाश को पार्टी के जमीनी स्तर पर निर्माण करने का श्रेय दिया जाता है। जिसमें उनका साथ भाजपा के एक राष्ट्रीय सचिव अरविंद मेनन ने दिया। मेनन ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत एबीवीपी से की और गुजरात के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अहम भूमिका निभाई। मेनन को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का करीबी माना जाता है।
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संघ ने भी लगाई अपनी ताकत
- संघ ने बंगाल में बीजेपी को अजेय बनाने के लिए संघ ने पूरी ताकत लगा दी है। जिसमें अहम भूमिका निभा रहे हैं अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े संघ के संगठन।
- भारतीय मजदूर संघ ने बंगाल में मजदूरों की बड़ी तादाद को हेल्फ डेस्क के जरिये जोड़़ने का काम किया।
- सहकार भारतीय ने मत्स्य व्यवसाय के लोगों को साथ जोड़ने की जिम्मेदारी निभाई।
- पिछले और अंदरुनी झलकों में पहले ही वनवासी कल्याण आश्रम सेवा प्रकल्पों का जाल फैला चुका है।
- आरएसएस का मेडिकल विंग ने भी राज्य में बड़े पैमानों पर कैंप लगाकर पैठ बनाने का काम किया।
- पढ़ाई के क्षेत्र में शिशु शिक्षा केंद्र, संस्कार केंद्र, वनवासी कल्याण आश्रम, सेवा भारती संगठन भी लोगों के बीच पहचान बनाने में लगे।
इसे इत्तेफाक कहे या कुछ और लेकिन वास्तविकता है कि बीजेपी के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष भी संघ के प्रचारक रहे हैं। उनके कामों में भी संघ की झलक दिख रही है। बीजेपी ने हर पांच से एक बूथ के लिए एक शक्ति केंद्र बनाया है। जैसे संघ में प्रचारक होते हैं वैसे ही इन शक्ति केंद्रों के लिए विस्तारक की नियुक्ति हुई।
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