'रेवड़ी कल्चर' पर सियासी पारा गर्माया! अब जयंत चौधरी ने सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख से पूछा ये सवाल

Jayant Chaudhary
ANI
रेनू तिवारी । Aug 12 2022 11:18AM

सुप्रीम कोर्ट में 'रेवड़ी कल्चर' यानी फ्री योजनाओं पर रोक की मांग को लेकर सुनवाई चल रही है। वहीं दूसरी तरफ 'रेवड़ी कल्चर' को लेकर सियासत भी तेज हो गयी हैं। फ्री योजनाओं पर रोक की मांग को लेकर राष्ट्रीय लोक दल के प्रमुख जयंत चौधरी ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एनवी रमना पर कटाक्ष किया।

सुप्रीम कोर्ट में 'रेवड़ी कल्चर' यानी फ्री योजनाओं पर रोक की मांग को लेकर सुनवाई चल रही है। वहीं दूसरी तरफ 'रेवड़ी कल्चर' को लेकर सियासत भी तेज हो गयी हैं। फ्री योजनाओं पर रोक की मांग को लेकर राष्ट्रीय लोक दल के प्रमुख जयंत चौधरी ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एनवी रमना पर कटाक्ष किया। जयंत चौधरी ने एक ट्वीट में कहा, "भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश को क्या 'मुफ्त उपहार' दिए गए हैं? जयंत चौधरी ने इसके अलावा एक और ट्वीट किया जिसमें उन्होंने पूछा कि ''प्रधानमंत्री जी को बताना चाहिए क्या अग्निपथ भी रेवड़ी नहीं है?''

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सुप्रीम कोर्ट पर जयंत चौथरी ने किया कटाक्ष

सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा चीजों को मुफ्त बांटने को लेकर टिप्पणी की गयी थी जिसके बाद केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच वाक युद्ध शुरू हो गया। इस युद्ध में सबसे पहले बिजली-पानी फ्री देने वाले अरविंद केजरीवाल आये उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उसके बाद भाजपा ने केजरीवाल पर पलटवार किया। रालोद प्रमुख की यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट की  'रेवड़ी कल्चर' पर किए गये कंमेंट के बाद आयी।

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प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इन मुफ्त सुविधाओं के कारण अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है, लेकिन साथ ही, लोगों के कल्याण को संतुलित करना होगा। सुप्रीम कोर्ट के यह कहने के बाद कि वह राजनीतिक दलों को मुफ्त योजनाओं का लालच देने के लिए प्रतिबंधित नहीं कर सकता। इस पर जयंत चौधरी ने कहा कि अदालत द्वारा की गई टिप्पणी काफी साहसिक प्रतीत होती है और सही भावना में नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या की थी टिप्पणी

SC के फैसले पर टिप्पणी करते हुए, जयंत चौधरी ने एक ट्वीट में कहा, "SC द्वारा हाल की टिप्पणी काफी साहसिक प्रतीत होती है और सही भावना में नहीं है! पिरामिड के निचले हिस्से को सीधे हस्तक्षेप की आवश्यकता है चाहे वह राशन में हो या वित्तीय सहायता के माध्यम से। यह संबंधित है जीवन के अधिकार सहित मौलिक अधिकारों की सुरक्षा! रालोद प्रमुख ने केंद्र सरकार की इस टिप्पणी को लेकर भी भाजपा पर निशाना साधा कि चुनाव के दौरान ज्यादातर मुफ्त वादे घोषणापत्र का हिस्सा हैं।

रेवड़ी वार

बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे के शुभारंभ पर बोलते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि देश में 'मुफ्त रेवड़ी' (मिठाई) बांटकर वोट इकट्ठा करने की संस्कृति को लाने का प्रयास किया जा रहा है। पीएम मोदी ने लोगों को रेवड़ी संस्कृति के खिलाफ चेतावनी दी, जिसके तहत मुफ्त उपहारों का वादा करके वोट एकत्र किए जाते हैं और कहा कि यह देश के विकास के लिए 'बहुत खतरनाक' हो सकता है।

AAP ने भाजपा पर पलटवार किया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पीएम मोदी की 'रेवड़ी' टिप्पणी का खंडन किया और कहा, "मुफ्त, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और चिकित्सा देखभाल प्रदान करना रेवाड़ी नहीं दे रहा है। मुझे गाली देने वालों ने हजारों खर्च किए हैं अपने लिए हवाई जहाज और निजी जेट खरीदने पर करोड़ों का खर्च।" मुफ्तखोरी की संस्कृति को लेकर जुबानी जंग छिड़ गई है और आप ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। आप ने कहा कि योग्य और वंचित लोगों के लिए योजनाओं को हैंडआउट नहीं माना जा सकता है।

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