झाबुआ हार के बाद मध्यप्रदेश भाजपा में बगावती सुर जारी, विधायक के बाद पूर्व सांसद ने भी उठाए सवाल
झाबुआ उप चुनाव में भाजपा प्रत्याशी भानू भूरिया की करारी हार के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता और सीधी से विधायक केदारनाथ शुक्ल ने वर्तमान अध्यक्ष राकेश सिंह को इस हार के लिए जिम्मेदार ठहराया था। गुरूवार को विधायक केदारनाथ शुक्ल ने अपने बयान में कहा था कि प्रदेश का नेतृत्व अक्षम हो गया है।
मध्यप्रदेश में भाजपा नेतृत्व को लेकर बगावती सुर थमने के नाम नहीं ले रहे हैं। सीधी से वरिष्ठ विधायक केदारनाथ शुक्ल के बाद अब पूर्व राज्यसभा सांसद रघुनंदन शर्मा ने भी मौजूदा नेतृत्व को लेकर सवाल खड़े किए हैं। रघुनंदन शर्मा ने जहां विधानसभा चुनाव में हार के लिए पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं झाबुआ उप चुनाव में पार्टी की हार के लिए मौजूदा नेतृत्व पर सवाल खडे किए हैं।पूर्व राज्यसभा सांसद और भाजपा के वरिष्ठ नेता रघुनंदन शर्मा ने कहा कि मैंने विधानसभा के समय भी कहा था कि यदि भारतीय जनता पार्टी विधानसभा के चुनाव में जीतती है तो इसका सारा श्रेय एक व्यक्ति शिवराज सिंह चौहान को जाता है। लेकिन पार्टी सरकार बनाने में विफल रही, चुनाव हार गए तो इसकी एकमात्र जवाबदारी भी शिवराज सिंह चौहान की है। इसी प्रकार झाबुआ में इतनी बड़ी हार का तत्काल विश्लेषण होना चाहिए। जिसे भी दायित्व दिया हो, कमियों को खोजकर स्वीकार करना चाहिए।
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झाबुआ उप चुनाव में भाजपा प्रत्याशी भानू भूरिया की करारी हार के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता और सीधी से विधायक केदारनाथ शुक्ल ने वर्तमान अध्यक्ष राकेश सिंह को इस हार के लिए जिम्मेदार ठहराया था। गुरूवार को विधायक केदारनाथ शुक्ल ने अपने बयान में कहा था कि प्रदेश का नेतृत्व अक्षम हो गया है। यही नहीं उन्होनें केन्द्रीय नेतृत्व को इसके बारे में अवगत करवाने की बात कही थी। लेकिन पार्टी ने उनको कारण बताओ नोटिस जारी कर उनसे इस बयान के लिए जवाब तलब किया है। इस दौरान विधायक केदारनाथ शुक्ल ने ऐसे किसी नोटिस के न मिलने की बात कही है साथ ही कहा है कि अगर नोटिस मिलता है तो वह इसका जवाब देगें। विधायक केदारनाथ शुक्ल के बयान पर पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा ने कहा कि राकेश सिंह हो, सुहास भगत या शिवराज सिंह चौहान हो, या जो भी जिम्मेदार पदाधिकारी हैं, उन्हें इसके पीछे के कारण खोजने चाहिए। इस बुराई और कमी के पीछे संवादहीनता है।
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संवादहीनता की स्थिति में ही सारी बातें बाहर आती हैं, मजबूत व्यक्ति को अंदर जगह नहीं मिलती तो बाहर बोलता है इसलिए अब मिलजुलकर गंभीरता से संवादहीनता को समाप्त करना चाहिए। उन्होंने कहा कि संगठन, संगठन की स्थिति और वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति के बारे में तथाकथित नेतृत्व को बात करना चाहिए। पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कोई जवाबदारी से बचता है तो यह स्वस्थ लक्षण नहीं हैं। वही विधायक केदारनाथ शुक्ल के बयान पर उन्होनें कहा कि यह केदारनाथ शुक्ल का अभिमत हो सकता है, लेकिन यह सारी बातें जब बाहर आती हैं तो केदार शुक्ला मुखर होते हैं। उसके पीछे के कारण को खोजना चाहिए।
कुल मिलाकर विधानसभा चुनाव में मिली हार और उसके बाद झाबुआ उप चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया से करारी शिकस्त के बाद पार्टी नेतृत्व पर पार्टी के भीतर से बगावती सुर उठने लगे है। लेकिन इस बीच पार्टी में नेतृत्व को लेकर भी संकट की स्थिति देखने को मिल रही है। प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष भले ही राकेश सिंह हो लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, गोपाल भार्गव दूसरे ध्रुव के रूप में पार्टी में नेतृत्व करने वाले की भूमिका में नज़र आते है। यही कारण है कि पार्टी कार्यकर्ता और पदाधिकारी आसमंजस्य की स्थिति में नज़र आ रहे है।
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