Raj Babbar : फिल्म की तरह राजनीति में भी रहा हिट और फ्लाप शो
राज बब्बर का सियासी सफर लंबे समय से सफलता और असफलताओं का गवाह रहा है। इस बार के लोकसभा चुनाव में भले ही उन्होंने साइबर सिटी गुरुग्राम जैसे नये क्षेत्र में उतरने का साहस दिखाया किंतु विजय का सेहरा उनके सिर पर नहीं बंध पाया। भाजपा के वरिष्ठ नेता राव इंद्रजीत सिंह के हाथों उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
गुरूग्राम । ताज नगरी आगरा में पैदा हुए और माया नगरी मुंबई में अभिनय की कामयाब पारी खेलने वाले राज बब्बर का सियासी सफर लंबे समय से सफलता और असफलताओं का गवाह रहा है। इस बार के लोकसभा चुनाव में भले ही उन्होंने साइबर सिटी गुरुग्राम जैसे नये क्षेत्र में उतरने का साहस दिखाया किंतु विजय का सेहरा उनके सिर पर नहीं बंध पाया। भाजपा के वरिष्ठ नेता राव इंद्रजीत सिंह के हाथों उन्हें हार का सामना करना पड़ा। राव को 808336 जबकि बब्बर को 733257 वोट मिले। राज बब्बर उत्तर प्रदेश में अपनी तीन दशक पुरानी राजनीतिक जमीन को छोड़कर गुड़गांव संसदीय क्षेत्र में किस्मत आजमाने पहुंचे थे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
लगातार तीन लोकसभा चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा है। ‘इंसाफ का तराजू’, ‘आज की आवाज’, ‘निकाह’ और कई अन्य फिल्मों के जरिये संजीदा अदाकर के रूप में पहचान बनाने वाले राज बब्बर ने अपनी राजनीतिक पारी का आगाज 1989 में उस वक्त ‘जनता दल’ से किया था जब विश्वनाथ प्रताप सिंह की अगुवाई में यह दल कांग्रेस, भाजपा और वाम से इतर चौथी राजनीतिक शक्ति के रूप मे उभरा था। जनता दल से अलग होने के बाद जब मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी बनाई तो बब्बर उनके साथ हो लिए। वह पहली बार 1994 में राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए। वह 1999 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर अपनी जन्मभूमि आगरा से लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए।
2004 में राज बब्बर आगरा लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर फिर सांसद चुने गए। लेकिन कुछ साल बाद ही सपा नेतृत्व के साथ उनका मनमुटाव शुरू हो गया। स्थिति यहां तक पहुंच गई कि 2006 में राज बब्बर को समाजवादी पार्टी से निलंबित कर दिया गया। इसके बाद राज बब्बर 2008 में कांग्रेस पार्टी मे शामिल हो गए। राज बब्बर ने 2009 में फिरोजाबाद लोकसभा सीट के उपचुनाव में मुलायम सिंह यादव की बहू और अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को हराकर बड़ा उलटफेर किया।
2014 के लोकसभा चुनाव में राज बब्बर ने गाजियाबाद से चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार भी हार का सामना करना पड़ा। 2015 में वह उत्तराखंड से राज्यसभा के लिए चुने गए। 2019 के लोकसभा चुनाव में राज बब्बर फतेहपुर सीकरी से चुनावी मैदान में उतरे, लेकिन उन्हें भाजपा के राजकुमार चाहर ने करीब पांच लाख मतों के अंतर से पराजित किया। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी मित्र माने जाने वाले बब्बर इस बार गुड़गांव लोकसभा चुनाव क्षेत्र से काफी उम्मीदों के साथ मैदान में उतरे थे लेकिन बात बनी नहीं। राज बब्बर जुलाई, 2016 से अक्टूबर, 2019 तक उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रहे, लेकिन इस भूमिका में भी उन्हें सफलता नहीं मिली।
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