कृषि कानूनों के रद्द होने पर बोले राहुल, यह किसानों की जीत, सदन में चर्चा से डरती है सरकार
राहुल ने कहा कि हमने कहा था कि 3 काले क़ानूनों का वापस लेना पड़ेगा। हमें पता था कि 3-4 बड़े पूंजीपतियों की शक्ति हिन्दुस्तान के किसानों के सामने खड़ी नहीं हो सकती। और वही हुआ काले क़ानूनों को रद्द करना पड़ा।
कृषि कानून वापसी बिल को आज राज्यसभा और लोकसभा में मंजूरी मिल गई है। आपको बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान लगातार आंदोलन कर रहे थे जिन्हें विपक्षी दलों का भी समर्थन हासिल था। किसानों के आंदोलन को देखते हुए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों के वापसी का ऐलान किया था। इसके बाद आज वापसी बिल को दोनों सदन में मंजूरी मिल गई। इसी को लेकर राहुल गांधी ने बड़ा बयान दिया है। राहुल गांधी ने कहा कि यह किसानों की जीत है। आखिर में सरकार को तीनों तीनों काले कानून को वापस लेना पड़ा।
मीडिया से बात करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि यह तीनों कृषि कानून किसानों पर आक्रमण था। हम भी एमएसपी कानून चाहते हैं। कानूनों की वापसी किसानों और मजदूरों की सफलता है। सरकार ने कानून वापसी पर चर्चा नहीं की। सरकार कानून वापसी पर संसद में बहस करने से डरती है। पीएम मोदी के उस बयान पर भी राहुल गांधी ने तंज कसा जिसमें पीएम ने कहा था कि कुछ किसानों को हम समझा नहीं सके। इस पर राहुल गांधी ने कहा कि यह कुछ किसान नहीं थे बल्कि पूरे देश के किसान थे जिन्हें आपने पहले खालिस्तानी कहा था। उन्होंने कथित किसानों के मौत को लेकर मुआवजे की मांग की है। राहुल ने आरोप लगाया कि सरकार की ही वजह से किसानों को एक साल तक आंदोलन करना पड़ा।Earlier, we had said that the govt will have to withdraw the farm laws, and today these laws were repealed. It is unfortunate that the farm laws were repealed without discussion. This government is scared of holding a discussion: Congress MP Rahul Gandhi pic.twitter.com/omuigbn1Tg
— ANI (@ANI) November 29, 2021
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राहुल ने कहा कि हमने कहा था कि 3 काले क़ानूनों का वापस लेना पड़ेगा। हमें पता था कि 3-4 बड़े पूंजीपतियों की शक्ति हिन्दुस्तान के किसानों के सामने खड़ी नहीं हो सकती। और वही हुआ काले क़ानूनों को रद्द करना पड़ा। तथ्य यह है कि केंद्र सरकार इस मामले में किसानों द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए भारतीय लोगों की ताकत का सामना नहीं कर सकी। आने वाले राज्य के चुनाव भी उनके दिमाग में होंगे।
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