Rajasthan High Court के प्लेटिनम जुबली समारोह में शामिल हुए PM Modi, संबोधन में किया ‘सेक्युलर सिविल कोड’ का जिक्र

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एकता । Aug 25 2024 6:55PM

पीएम मोदी ने कहा, 'अभी इसी 15 अगस्त को मैंने लाल किले से सेक्युलर सिविल कोड की बात की है। इस मुद्दे पर भले ही कोई सरकार पहली बार इतनी मुखर हुई हो, लेकिन हमारी जुडिशरी दशकों से इसकी वकालत करती आई है। राष्ट्रीय एकता के मुद्दे पर न्यायपालिका का ये स्पष्ट रुख न्यायपालिका पर देशवासियों में भरोसा और बढ़ाएगा।'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को जोधपुर में आयोजित राजस्थान उच्च न्यायालय के प्लेटिनम जुबली समारोह में भाग लेने पहुंचे। इस दौरान राज्य के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और कानून एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी स्टेज पर उपस्थित रहे। यहां पीएम मोदी ने राजस्थान उच्च न्यायालय के संग्रहालय का उद्घाटन किया। इसके बाद अपने संबोधन में पीएम ने कहा कि मुझे खुशी है कि मैं आज राजस्थान उच्च न्यायालय के प्लेटिनम जुबली समारोह में आप सबके बीच उपस्थित हूंं। राजस्थान हाइकोर्ट के 75 वर्ष ऐसे समय में हुए हैं, जब हमारा संविधान भी अपने 75 वर्ष पूरे करने जा रहा है। इसलिए ये अनेक महान लोगों की न्याय-निष्ठा और योगदानों को सेलिब्रेट करने का उत्सव भी है।

पीएम ने कहा, 'राजस्थान हाइकोर्ट के अस्तित्व से हमारे राष्ट्र की एकता का इतिहास जुड़ा है। आप सब जानते हैं, सरदार पटेल ने जब 500 से ज्यादा रियासतों को जोड़कर देश को एक सूत्र में पिरोया था, तो उसमें राजस्थान की भी कई रियासतें थीं। जयपुर, उदयपुर और कोटा जैसी कई रियासतों के अपने हाइकोर्ट भी थे। इनके इंटिग्रेशन से राजस्थान हाइकोर्ट अस्तित्व में आया यानी राष्ट्रीय एकता ये हमारे जुडिशियल सिस्टम का भी फॉउन्डिंग स्टोन है। ये फॉउन्डिंग स्टोन जितना मजबूत होगा, हमारा देश और देश की व्यवस्थाएं भी उतनी ही मजबूत होंगी।'

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पीएम ने कहा, 'मेरा मानना है, न्याय हमेशा सरल और स्पष्ट होता है, लेकिन कई बार प्रक्रियाएं उसे मुश्किल बना देती हैं। ये हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम न्याय को ज्यादा से ज्यादा सरल और स्पष्ट बनाएं और मुझे संतोष है कि देश ने इस दिशा में कई ऐतिहासिक और निर्णायक कदम उठाये हैं।' उन्होंने आगे कहा, 'हमने पूरी तरह से अप्रासंगिक हो चुके सैकड़ों कोलोनियल कानूनों को रद्द किया है। आजादी के इतने दशक बाद गुलामी की मानसिकता से उबरते हुये देश ने इंडियन पीनल कोड की जगह 'भारतीय न्याय संहिता' को अडॉप्ट किया है।'

पीएम मोदी ने कहा, 'आज देश के सपने भी बड़े हैं, देशवासियों की आकांक्षाएं भी बड़ी हैं। इसलिए जरूरी है कि हम नए भारत के हिसाब से नए इनोवेशन करें और अपनी व्यवस्थाओं को आधुनिक बनाएं। ये ‘जस्टिस फॉर ऑल’ के लिए भी उतना ही जरूरी है।' उन्होंने कहा, 'आज देश में 18 हजार से ज्यादा कोर्ट्स कम्प्यूटराइज्ड हो चुकी हैं। मुझे बताया गया है कि नेशनल जुडिशियल डाटा ग्रिड से 26 करोड़ से ज्यादा मुकदमों की जानकारी एक सेंट्रलाइज्ड ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर जुड़ चुकी है। आज पूरे देश की 3 हजार से ज्यादा कोर्ट कॉम्पेक्सेस और 1,200 से ज्यादा जेलें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़ गई हैं और मुझे खुशी है कि राजस्थान भी इस दिशा में काफी तेज गति से काम कर रहा है।'

पीएम मोदी ने कहा, 'हमारी न्यायपालिका ने निरंतर राष्ट्रीय विषयों पर सजगता और सक्रियता की नैतिक जिम्मेदारी निभाई है। कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाने का, देश के संवैधानिक एकीकरण का उदाहरण हमारे सामने है। CAA जैसे मानवीय कानून का उदाहरण हमारे सामने है।' उन्होंने कहा, 'अभी इसी 15 अगस्त को मैंने लाल किले से सेक्युलर सिविल कोड की बात की है। इस मुद्दे पर भले ही कोई सरकार पहली बार इतनी मुखर हुई हो, लेकिन हमारी जुडिशरी दशकों से इसकी वकालत करती आई है। राष्ट्रीय एकता के मुद्दे पर न्यायपालिका का ये स्पष्ट रुख न्यायपालिका पर देशवासियों में भरोसा और बढ़ाएगा।'

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पीएम मोदी ने कहा, 'मुझे विश्वास है हमारी कोर्ट्स, ईज ऑफ जस्टिस को इसी तरह सर्वोच्च प्राथमिकता देती रहेंगी। हम जिस विकसित भारत का स्वप्न लेकर आगे बढ़ रहे हैं, उसमें हर किसी के लिए सरल, सुलभ और सहज न्याय की गारंटी हो, ये बहुत जरूरी है।'

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